उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हर्ष विहार में एक मस्जिद में बलात्कार की घटना सामने आई। मस्जिद में पानी लेने गई 12 साल की लड़की का मौलवी इलियास ने रेप किया। मंदिरों में एक थप्पड़ की घटना को भी उछालने वाला मीडिया अब मस्जिद में रेप के मामले को छिपाने में लगा है। यहाँ तक कि ‘दैनिक जागरण’ ने भी अपनी हैडिंग में मस्जिद को ‘धार्मिक स्थल’ लिखा। इतना ही नहीं, पूरे लेख में 4 बार मस्जिद की जगह ‘धार्मिक स्थल’ लिखा गया।
मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले मौलवी को दिल्ली पुलिस ने गाजियाबाद के लोनी से दबोचा। 48 वर्षीय आरोपित मौलवी फ़िलहाल 14 दिन की न्यायिक हिरासत में है। आक्रोशित लोगों ने मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद वहाँ पुलिस को तैनात करना पड़ा। जब किसी छोटे से छोटे मामले में भी मंदिर की पहचान नहीं छिपाई जाती, तो फिर मस्जिद की पहचान छिपाने का क्या उद्देश्य है?
सिर्फ ‘दैनिक जागरण’ ही नहीं, ‘अमर उजाला’ और ‘दैनिक भास्कर’ ने भी ऐसा ही कारनामा किया। ‘दैनिक भास्कर’ ने लिखा – ‘धार्मिक स्थल पर हुई वारदात।’ वहीं, ‘अमर उजाला’ ने ‘धार्मिक स्थल में किशोरी के साथ हैवानियत’ नाम से हैडिंग चलाया। यहाँ ध्यान देने वाली बात ये भी है कि 12 साल की बच्ची को ‘नाबालिग’ की जगह ‘किशोरी’ भी लिखा गया। ये सब कर के मीडिया किसके जुर्म पर पर्दा डालना चाहता है?
जहाँ बलात्कार की घटना हुई, वो जगह बच्चियों के लिए असुरक्षित है – क्या ये लोगों को नहीं पता चलना चाहिए? वैसे ये पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले भी विभिन्न मीडिया संस्थान समय-समय पर ऐसा कारनामा कर चुके हैं। 2019 छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक महिला अपने पति के दूर जाने व पारिवारिक समस्याओं के चलते परेशान थी। फकीर आलिम ने महिला की समस्या को दूर करने के बहाने पहले उसे डरा-धमका कर शारीरिक संबंध बनाया।
‘नई दुनिया’ ने उसे ‘तांत्रिक’ बताते हुए हैडिंग चलाया। असल में इस बात से ज्यादा दिक्कत नहीं है कि ऐसे मामलों की कवरेज के समय किसी मस्जिद को ‘धार्मिक स्थल’ लिख देने या फकीर को ‘तांत्रिक’ लिख देने से उनकी मुस्लिम पहचान छिप जाती है। असली परेशानी ये है कि इससे हिन्दू बदनाम होते हैं। ऐसी ख़बरों को पहली नजर में देख कर ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी मंदिर में बलात्कार की घटना हुई हो, अथवा किसी हिन्दू साधु ने इस तरह की घटना को अंजाम दिया हो।
NDTV जैसे मीडिया संस्थानों का पेशा ही यही है, इसीलिए अगर वो ऐसा करता है तो समझ में आता है। इसी के सहारे उनका पूरा प्रोपेगंडा चलता है। लेकिन, ‘दैनिक जागरण’ या उसकी शाखा अख़बार ‘नई दुनिया’ को ये चीजें शोभा नहीं देतीं। दिसंबर 2019 में भोपाल के अनवर खान निकाह हलाला के नाम पर एक युवती का बलात्कार किया, पुलिस के समक्ष जुर्म भी कबूल किया। लेकिन, NDTV ने उसे ‘तांत्रिक’ और ‘बाबा’ कह कर सम्बोधित किया। आश्चर्य नहीं जब ये मीडिया अब मौलानाओं को भी ‘साधु-संत’ कह कर ऐसे मामलों में उन्हें बचाने लगे।
इसी तरह अब दिल्ली में मस्जिद में रेप की घटना को लेकर किया जा रहा है। इस घटना पर तो वो प्लाकार्ड गिरोह भी चुप है, जिन्हें कठुआ मामले के समय खुद के भारतीय होने पर शर्म आ रही थी। अब एक 12 साल की बच्ची का मस्जिद में बलात्कार होने पर उनकी चुप्पी बहुत कुछ बोलती है। राष्ट्रीय राजधानी में हुई घटना को लेकर मीडिया कवरेज की तुलना आप सुदूर कठुआ में हुए मामले से करेंगे, तो पाएँगे कि कई मीडिया संस्थानों ने तो इसे जगह देना भी गवारा नहीं समझा।