अमेरिका के मिनियापोलिस में अफ्रीकी-अमेरिकी व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या ने हड़कंप मचा रखा है। अमेरिका के कई शहरों में प्रदर्शनकारियों ने नस्लीय भेदभाव के विरोध में सड़कों पर उतर प्रदर्शन किया।
अश्वेत अमेरिकी नागरिक फ्लॉयड की मौत के वीडियो ने दुनिया भर में कई हिंसक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया। हालाँकि, आरोपित पुलिसउस अधिकारी, डेरेक चाउविन को थर्ड-डिग्री हत्या और दूसरी डिग्री की हत्या के आरोप में निकाल दिया गया है।
फ्लॉयड की दुर्भाग्यपूर्ण मौत ने न केवल अमेरिका में, बल्कि दुनिया भर में विरोध प्रदर्शनों को अंजाम दिया, जहाँ प्रदर्शनकारी या तो अमेरिका में नस्लीय भेदभाव के शिकार लोगों के साथ एकजुटता के साथ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, या फिर अपने देशों में कथित असमानताओं का विरोध कर रहे हैं।
जॉर्ज फ़्लॉयड की मृत्यु की खबर से दुनियाभर में दहशत का माहौल है तो वहीं, भारतीय मीडिया राजस्थान की एक ऐसी घटना, जिसमें एक आरोपित ने पुलिसकर्मियों से मारपीट की, और अफ्रीकी-अमेरिकी की हत्या के बीच एक खतरनाक और बेहद अव्यवहारिक समानता को धरातल देने का काम कर रहा है।
दरअसल एक उपद्रवी और पुलिस अधिकारियों के बीच हाथापाई का वीडियो, जिसमें पुलिसकर्मी ने इस आदमी को जमीन पर ऐंठ रखा है, इंटरनेट पर तेजी से शेयर किया जा रहा है। भारत के कई मीडिया संस्थानों ने इस घटना को अमेरिका की घटना के साथ तुलना कर पेश किया, जहाँ अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड को मिनियापोलिस के अधिकारियों द्वारा उनकी गर्दन सड़क पर घुटनों से दबाकर रखी, जिससे उनकी मौत हो गई।
‘टाइम्स नाउ’ चैनल ने इस घटना को ‘भारत के जॉर्ज फ्लॉयड क्षण’ के रूप में दिखाया, जिसमें दावा किया गया कि पुलिस ने एक व्यक्ति की गर्दन पर प्रहार करते हुए हमला किया।
ABP न्यूज चैनल ने भी पुलिस और इस व्यक्ति के बीच झड़प को भारत में ‘जॉर्ज फ्लॉयड जैसी घटना’ के रूप में दिखाकर पेश किया है।
कई अन्य संगठनों ने भी झड़प के इस वीडियो, जो कि जोधपुर में पुलिस अधिकारियों और एक गुंडे के साथ हुई, की तुलना जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या वाले वीडियो से करने की कोशिश की है। यहाँ इस घटना का पूरा वीडियो है;
क्या है जोधपुर में पुलिस से झड़प वाले वीडियो की वास्तविकता
पुलिस के साथ झड़प की घटना का यह वीडियो राजस्थान के जोधपुर से संबंधित है। पुलिस के जवानों ने सोमाकरण नाम के व्यक्ति को सार्वजनिक स्थान पर बिना मास्क के पाया था। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क न पहनने के कारण उसे गिरफ्तार कर लिया। मास्क पहनने के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए उसका चालान करने की कोशिश की।
लेकिन, इस आदमी ने पुलिस की बात मानने से इनकार करते हुए उनसे उलझ पड़ा, जैसा कि वायरल वीडियो में देखा जा सकता है। इस उपद्रवी तत्व द्वारा हमला किए जाने के बाद, पुलिस अधिकारियों ने सोमाकरण नाम के इस शख्स को नीचे गिरा दिया और उसे नियंत्रण में लाने के लिए उसकी गर्दन पर घुटने लगा दिए।
जॉर्ज फ्लॉयड और जोधपुर, ये दोनों घटनाएँ एकदम विपरीत हैं
भारतीय मीडिया द्वारा सनसनी बनाई जा रही यह घटना संयुक्त राज्य अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के एकदम विपरीत है। फ्लॉयड ने पुलिस अधिकारियों को मारने के लिए हिंसक तरीके नहीं अपनाए। इसके बजाए, एक कानून का पालन करने वाले नागरिक की तरह ही फ्लॉयड ने पुलिस के निर्देशों का अनुपालन किया और फिर भी उनके साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार किया, संभवतः जिस कारण उनकी मृत्यु हो गई।
अमेरिका में अश्वेतों के खिलाफ किए गए नस्लीय अपराधों का एक बड़ा इतिहास है। जॉर्ज फ्लॉयड अमेरिकी पुलिस द्वारा संस्थागत अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय के खिलाफ संस्थागत नस्लीय अत्याचार का शिकार था, जिसका अफ्रीकी अमेरिकी मूल के लोगों के खिलाफ बर्बरता बरतने का एक लंबा इतिहास रहा है।
इसके विपरीत, जोधपुर की घटना में पुलिस अधिकारियों द्वारा एक गलत काम करने वाले को रोकने की कोशिश करने का सन्दर्भ था, जिसने कोरोना वायरस महामारी के बीच न केवल लॉकडाउन संबंधी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया, बल्कि मानदंडों की अवहेलना के लिए दोषी ठहराए जाने पर उनके साथ मारपीट भी की।
यहाँ पर अंतर स्पष्ट है कि पुलिस ने जानबूझकर इस उपद्रवी के खिलाफ हमला नहीं बोला। उनके साथ मारपीट करने के बाद ही उन्हें इस व्यक्ति के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा, अमेरिका में फ्लॉयड की मृत्यु ने एक बार फिर नस्लीय भेदभाव को सामने ला दिया, जो अमेरिकी समाज का कलंक रहा है।
जॉर्ज फ्लॉयड की मौत और जोधपुर की इस घटना के बीच समानता साबित करने का कुत्सित प्रयास सिर्फ और सिर्फ भारतीय मीडिया के प्रोपेगेंडा का हिस्सा है। राष्ट्र विरोधी लॉबी पीएम मोदी से गहरी नफरत के कारण निरंतर ऐसे मुद्दों को भड़काने के लिए तत्पर देखी गई है।