न्यूज 18 के पत्रकार अमीश देवगन के ख़िलाफ जाँच कराने के लिए राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार ने असाधारण तत्परता दिखाई है। बता दें अमीश देवगन ने 15 जून को आर-पार शो के दौरान सूफी संत मोहम्मद चिश्ती पर कथिततौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
प्रदेश की ओर से मामले की पैरवी करते हुए वकील मनीष सिंघवी ने अदालत में दलील पेश की। उन्होंने अमीश देवगन के ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का विरोध किया। साथ ही कहा कि लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से की गई टिप्पणी पर पत्रकार के ख़िलाफ़ जाँच हो।
उल्लेखनीय है कि देवगन की ओर से चिश्ती पर की गई टिप्पणी को ‘जुबान फिसलना’ बताते हुए अपील की गई थी कि उनकी माफी को मद्देनजर रखते हुए अलग-अलग प्राथमिकियों को रद्द किया जाए। इसी अपील के ख़िलाफ़ राजस्थान सरकार की ओर से मनीष सिंघवी ने दलीलें दी और कहा कि इससे लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँची है।
[Amish Devgan Case]
— Bar & Bench (@barandbench) September 25, 2020
Supreme Court to resume hearing journalist @AMISHDEVGAN ‘s plea to consolidate & quash all FIRs against him for the alleged criticism of Sufi saint, Khwaja Moinuddin Chishti, on his show, “Aar Paar”. Devgan maintains apology was tendered#SupremeCourt pic.twitter.com/R1j7TpSyN3
सिंघवी ने कहा, “जाँच के लिए एफआईआर ही एक मशीनरी है। पड़ताल होनी चाहिए और चार्जशीट भी फाइल किए जाने की जरूरत है। कोर्ट को प्रथम दृष्ट्या चार्जशीट और गवाहों पर विचार करना होगा।”
यहाँ बता दें कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना में पत्रकार के ख़िलाफ़ 7 एफआईआर दर्ज की गई है। पत्रकार के वकील सिद्धार्थ लुथरा ने न्यायाधीश एएम खानविल्कर व न्यायाधीश संजीव खन्ना के सामने पेश होते हुए कहा कि सभी एफआईआर में आईपीसी की धारा 153ए, 153जी, 295ए, 298, 5050(2) और आईटी एक्ट की धारा 66(फ) के तहत मामला दर्ज है। मगर, इनमें से कोई भी धारा इस मामले में उपयुक्त नहीं है।
इस पर सिंघवी ने कहा कि आईपीसी की धारा 295ए (जान-बूझकर अपराध करना और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना) भी इन एफआईआर में है, इसलिए जाँच होनी चाहिए और देवगन के ख़िलाफ़ दायर मुकदमे रद्द नहीं हो सकते।
कोर्ट की सुनवाई में यह भी कहा गया कि अमीश देवगन ने गलती करने के 30 घंटे बाद माफी माँगी थी, इसलिए यह भी जाँच का विषय है कि बाद में माँगी गई उनकी माफी वास्तविक है या नहीं। बता दें इस सुनवाई से पहले अमीश देवगन के वकील लुथरा कोर्ट को बता चुके थे कि उनके मुवक्किल ने अपने खिलाफ़ पहली एफआईआर होने से पहले ही माफी माँग ली थी, इसलिए उनकी अपील है कि उनके ख़िलाफ़ दायर एफआईआर रद्द की जाए।
उल्लेखनीय है कि 15 जून को अपने शो ‘आर-पार’ पर पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम के संबंध में पीआईएल के बारे में एक बहस की मेजबानी करते हुए, अमीश ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के रूप में जाना जाता है, उन्हें “हमलावर” और “लुटेरा” कहकर बुलाया था। हालाँकि, अमीश देवगन ने सूफी संत को “लुटेरा” के रूप में संदर्भित करने के लिए भी माफी माँगी थी और इसे “अनजाने” में हुई गलती बताया था।
इसके बाद 26 जून को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पर टिप्पणी के बाद न्यूज 18 एंकर अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर पर जाँच और कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तक रोक लगा दी थी। देवगन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि उनके मुवक्किल ने अपने शो के दौरान अनजाने में गलती की थी, जिसके लिए उन्होंने बाद में सार्वजनिक माफी माँगी थी। लूथरा ने कहा था, “अगर ऐसा होने लगे, जहाँ लोगों को जुबान फिसलने के कारण समस्या से सामना करना पड़े तो क्या होगा? लोग गलती करते हैं। उन्होंने माफी भी माँगी है।”