राजदीप सरदेसाई पत्रकारिता गिरोह के एक प्रमुख सदस्य हैं। यह गिरोह आपको यत्र-तत्र-सर्वत्र पत्रकारिता का पाठ पढ़ाता मिल जाएगा। लेकिन असल में इनकी अपनी पूरी पत्रकारिता प्रोपेगेंडा और फेक न्यूज के इर्द-गिर्द सिमटी रहती है।
राजदीप सरदेसाई ने मंगलवार (जनवरी 26, 2021) को ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में किसान की मौत को लेकर झूठी खबर फैलाई। बाद में खबर गलत निकली और राजदीप सरदेसाई ने चुपके से ट्वीट डिलीट कर लिया।
इससे पहले उन्होंने 23 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पोट्रेट के अनावरण को लेकर ऐसा ही किया था। इसको लेकर राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय कुमार सिंह ने भी ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी को एक पत्र लिखा था। इंडिया टुडे ग्रुप ने किसान की मौत वाले दावे को लेकर राजदीप सरदेसाई पर कार्रवाई की। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
नोएडा के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर अजय अग्रवाल ने ऑपइंडिया से बात करते हुए इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि राजदीप सरदेसाई तो आदतन अपराधी (Regular Offender) है। एक-न-एक दिन तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी ही थी।
बता दें कि डॉक्टर अजय अग्रवाल की जिंदगी राजदीप सरदेसाई के किए गए ‘कारनामे’ ने पूरी तरह से बर्बाद कर दी थी। यह मामला 2006 का है, जब नोएडा के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर अजय अग्रवाल के खिलाफ IBN-7 और CNN-IBN चैनल ने ‘शैतान डॉक्टर’ नाम से एक ‘स्टिंग ऑपरेशन’ किया था। इस तथाकथित स्टिंग ऑपरेशन में दावा किया गया था कि डॉक्टर अग्रवाल भीख मँगवाने वाले गिरोहों के लिए बच्चों के हाथ-पैर काटने का काम करते हैं। इस स्टिंग ऑपरेशन के बाद डॉक्टर अग्रवाल की जिंदगी में तूफान आ गया। उनका घर से निकलना मुश्किल हो गया। जिंदगी नर्क बन गई। लोगों ने उनके घर पर पथराव भी किया।
हालाँकि, अभी तक की जाँचों में डॉक्टर अग्रवाल को निर्दोष पाया गया है। लेकिन इसके बावजूद इन लोगों ने डॉक्टर अग्रवाल से माफी नहीं माँगी है। बता दें कि इस फर्जी स्टिंग ऑपरेशन के कर्ता-धर्ता थे राजदीप सरदेसाई, जो कि उस समय IBN-7 के एडिटर इन चीफ थे और पत्रकार से नेता और फिर भाव न मिलने पर पत्रकार बने आशुतोष चैनल के एडिटर थे।
टीवी पर बैठकर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले ये तथाकथित पत्रकार किस कदर शातिर हैं, ये इसी बात से पता चलता है कि उन्होंने गलती पकड़े जाने के बावजूद कभी माफी नहीं माँगी। जब उन्हें कोर्ट का नोटिस आया, तो वो उसकी भी कई सालों तक अनदेखी करते रहे। आखिरकार जब अदालत ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया, तब जाकर 12 साल बाद 2018 में राजदीप सरदेसाई, आशुतोष और अरुणोदय मुखर्जी ने सरेंडर किया। हालाँकि इन्हें बेल मिल गई।