सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की अंतिम दिन की सुनवाई के दौरान बुधवार (अक्टूबर 16, 2019) को राजीव धवन ने हिन्दू महासभा द्वारा पेश किए गए कागज़ात को फाड़ डाला। सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने बौखलाहट में एक-एक कर कागज़ात के पन्नों व नक़्शे के भी चिथड़े उड़ा दिए। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उन्हें फटकारते हुए कहा कि अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही तो सभी जज सुनवाई छोड़ कर चले जाएँगे। उन्होंने धवन से साफ़-साफ़ कहा कि चीखना-चिल्लाना व्यर्थ है। राजीव धवन इससे पहले कई बार ‘लोकतंत्र में बोलने की आज़ादी’ को लेकर मोदी सरकार को घेर चुके हैं।
धवन इस मामले में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की तरफ से बाबरी मस्जिद की पैरवी कर रहे हैं। शायद यही कारण है कि एनडीटीवी ने सोशल मीडिया पर अपनी ख़बर में राजीव धवन का नाम लेने से परहेज किया। अगर हिन्दू पक्ष के किसी वकील ने ऐसा या फिर इस तरह का कोई भी व्यवहार किया होता तो उनकी ख़बरें शायद कुछ ज्यादा ही सुर्खियाँ बनतीं। देखिए एनडीटीवी ने किस तरह इस ख़बर से जुड़े 2 ट्वीट्स किए, लेकिन राजीव धवन के नाम की जगह ‘वकील’ और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की जगह ‘याचिकाकर्ता’ शब्द का प्रयोग कर उनकी पहचान छिपाई।
“We’ll walk out”: Chief Justice after lawyer tears map in Ayodhya hearing https://t.co/Zmt21lLbrQ#AyodhyaCase #Ayodhya pic.twitter.com/gWLoPqk9sj
— NDTV (@ndtv) October 16, 2019
हालाँकि, ख़बर के भीतर राजीव धवन का नाम था और घटना का जिक्र भी था लेकिन ट्विटर पर दोनों ट्वीट में ऐसी बातें लिखी गईं, जिसे देख कर न तो याचिकाकर्ता की पहचान उजागर हो और न ही वकील की। इसी तरह स्क्रॉल ने भी अपनी ख़बर की हेडलाइन और सोशल मीडिया पर शेयर किया गया टेक्स्ट ऐसा रखा, जिससे बाबरी मस्जिद के पैरोकार राजीव धवन की पहचान उजागर न हो।
“Enough is enough,” says CJI Ranjan Gogoi. Today is the 40th day of hearings in the case.https://t.co/39Z1AfnHXq#AyodhyaHearing
— scroll.in (@scroll_in) October 16, 2019
ऐसा नहीं है कि स्क्रॉल राजीव धवन का नाम हेडलाइंस में या सोशल मीडिया टेक्स्ट्स में नहीं डालता है। उसने इसी ट्विटर थ्रेड में एक अन्य ट्वीट में राजीव धवन के बयान को उनके नाम और पहचान के साथ छापा। लेकिन, जब उन्होंने अदालत में ऐसा व्यवहार किया, तब उनका नाम हैडलाइन या सोशल एमडीए टेक्स्ट में छिपाया गया। हालाँकि, एक घंटे बाद जब ये ख़बर वायरल हो गई, तब स्क्रॉल ने उनके नाम के साथ इस ख़बर को प्रकाशित किया।
इसी तरह ‘आउटलुक’ ने भी सोशल मीडिया पर शेयर की गई ख़बर या उसके साथ वाले टेक्स्ट में कहीं भी राजीव धवन, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड या फिर बाबरी पैरोकार का जिक्र नहीं किया और सीधा लिखा कि ‘वकील’ द्वारा कागज़ात फाड़ने के कारण सीजेआई ने नाराज़ होकर चले जाने की बात कही।
“May, I have your permission to tear this document….this is Supreme Court and not a joke”https://t.co/x7OTvAJc4P
— Outlook Magazine (@Outlookindia) October 16, 2019
इसी तरह ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने भी यही कलाकारी की। धवन ने जिस नक़्शे को फाड़ा वह किशोर कुणाल की पुस्तक ‘अयोध्या रीविजिटेड’ में प्रकाशित है। बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कुणाल ने कहा कि धवन ने नक्शा इसीलिए फाड़ दिया क्योंकि उन्हें पता था कि कोर्ट के सामने इस नक़्शे के आते ही इस केस में कोई दम नहीं रह जाएगा।
Kunal Kishore, publisher of map that was handed over to Advocate Dhavan: He is an intellectual, he thought if this map is presented before the court his case will become non-existent. If he had objections he could have said that in the time that was given to him. #AyodhyaCase https://t.co/zO5tqnBpkg pic.twitter.com/sx2iF9gnll
— ANI (@ANI) October 16, 2019
अयोध्या मामले में ताज़ा अपडेट्स की बात करें तो योगी सरकार भी एक्शन में आ गई है और 30 नवम्बर तक सभी अधिकारियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी गई हैं। तेजी से बदले घटनाक्रम में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ दिया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड इस संबंध में शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर कर सकती है। कहा गया था कि बोर्ड की साधु-संतों के साथ बैठक भी हुई। राम मंदिर की जमीन पर मालिकाना हक़ वाला दावा छोड़ने के एवज में बोर्ड ने 3 विचित्र माँगें रखते हुए कहा है कि अयोध्या में 22 मस्जिदों के रख-रखाव की जिम्मेदारी सरकार उठाए।