गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2021) पर राजधानी की सड़कों पर ‘किसानों’ का हिंसक रूप देखने के बाद दिल्ली पुलिस अलर्ट पर है। दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस जो सुरक्षा इंतजाम कर रही है, उसकी वायरल तस्वीर आपने भी देखी होगी। ये वही तस्वीर है जिसे देख वामपंथी गिरोह बेचैन हुआ पड़ा है और गिरोह के प्रिय रवीश कुमार अपनी बात से फिर पलट गए हैं।
रवीश का इस तस्वीर को देखने के बाद सवाल है कि इतनी भारी बैरिकेडिंग करके सरकार क्या अपना शक्ति प्रदर्शन कर रही है? उनकी हालिया वीडियो की कुछ क्लिप सोशल मीडिया पर शेयर हो रही है। इसमें वह किसानों को भड़काते हुए सवाल कर रहे हैं कि कहीं ये सब सिर्फ़ महापंचायत के बाद दिल्ली आने वाले किसानों को रोकने के लिए तो नहीं किया गया या फिर सरकार बताना चाहती है कि उसकी ताकत कहाँ से आती है और कितनी है। उसके ताकत की किताब के कितने चैप्टर बाकी हैं जिसे किसानों को देखना बाकी है।
Ravish Kumar is Rahul Gandhi of Journalism, contradicting self to attack govt. pic.twitter.com/6dJGcsmEK6
— Political Kida (@PoliticalKida) February 4, 2021
रवीश अपने शो में मेड़ की ऊँचाई पर बात करते हुए कहते हैं कि चूँकि उसे पार करना आसान है इसलिए सरकार किसानों को रोकने के लिए मेड़ नहीं बैरिकेड बना रही है। उनके मुताबिक पिछले दो माह में बैरिकेड में जो बदलाव आया है, उससे पता चलता है कि आने वाले समय में सरकार अपनी जनता को किस लेंस से देख रही। उनकी भाषा में कहें तो ये बैरिकेड बताते हैं कि जनता और सरकार के बीच सिर्फ खाई नहीं, कीलें भी हैं।
दिलचस्प बात यह है कि आज सुरक्षा लिहाज से दिल्ली की सीमा पर की गई बैरिकेडिंग को देखने के बाद अपने दर्शकों को सरकार व पुलिस के ख़िलाफ़ भड़काने वाले रवीश कुमार कुछ दिन पहले तक 26 जनवरी को हुई हिंसा को ही नकार रहे थे।
उन्हें विश्वास ही नहीं था वह अब तक जिसे किसान कहते आए उन्होंने लाल किले पर चढ़ाई कर दी, तिरंगे का अपमान कर दिया, 300 पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया। वह हिंसक प्रदर्शन को किसानों का जोश कहकर दिल्ली पुलिस की मंशा पर सवाल उठाते दिखाई दिए थे।
तब, रवीश ने कहा था कि आखिर जब पुलिस की पहले से किसान नेताओं से बात चल रही थी तो उन्हें अंदाजा तो होगा ही कितने किसान ट्रैक्टर लेकर आने वाले हैं। इनमें से कुछ भटक सकते हैं। कुछ अफरातफरी कर सकते हैं। ऐसे में पुलिस का बैकअप प्लान क्या था। रवीश कुमार ने जोर देकर कहा था कि उन्हें नहीं लग रहा कि सीमाओं के अलावा या फिर तय रास्तों के अलावा दिल्ली पुलिस पर कोई बैकअप प्लान था।
अब जिस बैरिकेडिंग पर रवीश सवाल उठा रहे हैं, वह पुलिस का बैकअप प्लॉन की ही तरह है। एक तरफ टिकैत की भीड़ है जिसके बूते वह 40 लाख ट्रैक्टर दिल्ली में लाने की बात कर रहे हैं। वहीं रवीश कुमार पूछ रहे हैं कि इसकी क्या जरूरत है? क्या रवीश नहीं जानते हैं कि जिस भीड़ को रोकने के लिए पुलिस पुख्ता इंतजाम कर रही है, उसमें वो लोग भी शामिल है जिनकी वीडियो कल सोशल मीडिया पर वायरल हुई और वह भिंडरावाले के समर्थन में नारे लगाते दिखाई दिए। या उन्हें ये नहीं पता कि किसान आंदोलन की आड़ में खालिस्तानी अपनी रोटियाँ सेंक रहे हैं, विदेशी ताकतें भारत के ख़िलाफ़ माहौल बना रही हैं… और सब जानने के बाद किसान नेता कह रहे हैं कि ये प्रदर्शन अक्टूबर-नवंबर तक चलने वाला है।