Monday, November 18, 2024
Homeरिपोर्टमीडियाBJP की बढ़त पर युवाओं को ही कोसने लगे रवीश कुमार, सीटों के साथ...

BJP की बढ़त पर युवाओं को ही कोसने लगे रवीश कुमार, सीटों के साथ बदल रहा NDTV स्टूडियो का माहौल

सवाल यह है कि बदलते रुझानों के साथ रवीश-छाप लोगों के लिए जनता की प्रकृति और प्रवृत्ति भी मिनट-दर-मिनट क्यों बदलती जाती है? क्या लोकतंत्र का हर पहलू रवीश कुमार के लिए बेकार हो चुका है।

झारखंड विधानसभा चुनाव के अब तक के रूझानों में भाजपा और झामुमो गठबंधन के बीच काँटे की टक्कर दिख रही है। जब भाजपा की सीटें बढ़नी लगती है तब रवीश कुमार जनता को कोसने लगते हैं। वहीं जब झामुमो गठबंधन आगे निकल जाता है तो रवीश का चेहरा खिल उठता है। एनडीटीवी के स्टूडियो में एक अलग ही माहौल है, जहाँ ख़ुशी और गम इस आधार पर तय हो रहा है कि भाजपा हारती दिख रही है या फिर आगे निकलते। रवीश कुमार ने जैसे ही देखा कि भाजपा आगे बढ़ रही है, उन्होंने युवाओं को कोसते हुए कहा कि उन्हें अब रोज़गार से कोई मतलब नहीं रह गया है।

सुबह के रुझानों में कॉन्ग्रेस-झामुमो-राजद गठबंधन को बढ़त मिलती दिख रही थी, तब NDTV के स्टूडियो में एक अलग माहौल था। लेकिन जैसे ही भाजपा की तरफ काँटा बढ़ना शुरू हुआ, रवीश ने सुर बदल लिया और मतदाताओं के विवेक पर ही सवाल उठाने लगे।

रवीश बार-बार यह बात भूल जाते हैं कि लोकतंत्र में एक आम आदमी के वोट की कीमत वही होती है जो उनके जैसे परम ज्ञानियों के वोट की है। शायद यही अभिजात्यता और घमंड उन्हें हर मतदान के बाद यह कहने पर मजबूर कर देता है (भाजपा की जीत की स्थिति में) कि युवाओं को रोजगार से मतलब नहीं। उनका पूरा एजेंडा पूरे लोकतंत्र में चुनावी प्रक्रिया और एक वोट के महत्व को बेकार साबित करने पर टिका हुआ है।

परिणाम जब भाजपा के खिलाफ जाते हैं तब रवीश को यह याद आता है कि युवाओं ने समझदारी दिखाई है। इससे सीधा दिखता है कि रवीश और रवीश जैसों के लिए गैरभाजपा सरकार कितनी आवश्यक दिखती है। यह विचित्र बात है कि जब जनता भाजपा के खिलाफ जाती है तभी वो रवीश को समझदार दिखती है अन्यथा वो मजे लेने लगते हैं कि युवाओं को तो मतलब ही नहीं, वो तो भावनात्मक मुद्दों पर वोट दे रहे हैं।

सवाल यह है कि बदलते रुझानों के साथ रवीश-छाप लोगों के लिए जनता की प्रकृति और प्रवृत्ति भी मिनट-दर-मिनट क्यों बदलती जाती है? क्या लोकतंत्र का हर पहलू रवीश कुमार के लिए बेकार हो चुका है।

झारखंड: गढ़ में हार की ओर बढ़ रहे विपक्ष के CM उम्मीदवार हेमंत सोरेन, भाभी भी चल रहीं पीछे

त्रिशंकु दिख रहे झारखंड का कौन होगा ‘दुष्यंत’: बाबूलाल मरांडी या सुदेश म​हतो?

शुरुआती रुझानों में भाजपा और जेएमएम के बीच कड़ी टक्कर, क्या मिथक तोड़ पाएँगे रघुवर दास?

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -