अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी मामले पर आज (नवंबर 6, 2020) सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को फटकार लगाई है। कोर्ट ने पूरे मामले पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करके उनके पत्र पर उनसे दो हफ्तों में जवाब माँगा है।
[Breaking] Supreme Court Issues Contempt Notice To Maharashtra Assembly Secretary Over Letter To Arnab Goswami; Stays Arrest Of Republic TV Anchor https://t.co/NGH4PzKehD
— Live Law (@LiveLawIndia) November 6, 2020
इसके साथ ही कोर्ट ने अर्णब को राहत प्रदान करते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि उन्हें वर्तमान कार्यवाही के बाद गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
[Breaking ]Arnab Goswami Shall Not Be arrested Pursuant To Breach Of Privilege Notice By Maharashtra Assembly:Supreme Court #ArnabGoswami #Arnab @CMOMaharashtra @OfficeofUT https://t.co/d03FiIH5F1
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लाइव लॉ के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीजेआई ने महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को शीर्ष न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का नोटिस जारी किया और इसमें उनसे कारण बताने को कहा गया कि आखिर क्यों उनके द्वारा लिखे पत्र के विरुद्ध कार्यवाही नहीं शुरू की जानी चाहिए।
#CJI: We issue notice to the Secretary of Maharashtra Legislative Assembly, to show cause as to why contempt should not be issued against him in terms of Article 129 of the Constitution of India, returnable in 2 weeks.
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बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में अर्णब की गिरफ्तारी का पूरा मामला वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने उठाया और अर्णब को किसी भी प्रकार की कार्रवाई से बचाने की अपील की। उन्होंने अर्णब की ओर से बताया कि उन्हें धमकी दी जा चुकी थी, “तुमने हमें गाली दी है। ये दीवाली तुम जेल में बिताओगे।”
कोर्ट ने सारा पक्ष सुनकर पूरे मामले पर हैरानी जताई कि आखिर किसी नागरिक को कोर्ट जाने से कैसे रोका सकता है। उसे कैसे धमकाया जा सकता है। सीजेआई ने नाराजगी महाराष्ट्र विधानसभा सचिव पर जाहिर करते हुए कि आखिर अनुच्छेद 32 किसलिए है?
सीजेआई ने कहा, “हमारे पास पत्र लिखने वाले के लिए गंभीर सवाल है और हमारे लिए इसे अनदेखा करना बेहद मुश्किल है।” सीजेआई विधानसभा सचिव के पत्र पर बोले, “ये न्याय की प्रक्रिया में व्यवधान है, पत्र लिखने वाले की भाषा अर्णब को धमकाने वाली है। ऐसा लगता है जैसे पत्र लिखने वाली की मंशा याचिकाकर्ता को डराने वाली थी क्योंकि उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।”
#CJI: The respondent no. 2 would have been well advised to understand that the right to approach this court under Article 32 of the Constitution of India is itself a fundamental right.
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बता दें कि अर्णब गोस्वामी को बुधवार को बिना समन जारी किए जबरदस्ती घर से उठाया गया था। कुछ पुलिस अधिकारी उनके घर पहुँचे थे और उनके साथ मारपीट करते हुए उन्हें एक पुराने केस में गिरफ्तार किया था।
इसके बाद अर्णब की कई वीडियोज सामने आई थी। वीडियो में उनके शरीर पर मारपीट के निशान साफ नजर आए थे, जिसे देख जगह-जगह मुंबई पुलिस के रवैये की आलोचना हुई थी।
देर रात तक अदालत की सुनवाई चलने के बाद अर्णब को कल 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया जबकि मुंबई पुलिस लगातार 14 दिन की हिरासत का अनुरोध कर रही थी। अदालत ने पुलिस से कहा कि हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है।