द वायर के फाउंडर एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन ने मंगलवार (जून 9, 2020) को सोशल मीडिया ट्विटर पर एक आधा अधूरा माफीनामा जारी किया। उन्होंने यह माफीनामा तब जारी किया, जब एक यूजर ने बताया कि कैसे द वायर ने उनके द्वारा बनाए गए नक्शे को हैप्पीमन जैकब और लेफ्टिनेंट जनरल आरएस पनाग (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा के दौरान इस्तेमाल किया।
@KesariDhwaj हैंडल से ट्विटर यूजर ने वायर पर अपने डिस्कशन में बिना उनकी अनुमति के नक्शा इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। यह नक्शा लद्दाख सीमा के साथ चीनी और भारतीय सैनिकों की स्थिति के बारे में था। ट्विटर यूजर ने वायर द्वारा उपयोग की गई तस्वीर का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कहा कि दूसरों की चीज इस्तेमाल करने से पहले उनसे अनुमति ले लेनी चाहिए।
Apologies for this, sir. Our team mistakenly thought it was sufficient to acknowledge credit since they had assumed these were in the “public domain”. Permission should have been sought from you before using them in the video. Thank you for your understanding.
— Siddharth (@svaradarajan) June 9, 2020
ट्विटर यूजर की शिकायत का संज्ञान लेते हुए, द वायर के फाउंडर एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन ने अपनी टीम द्वारा की गई गलती के लिए आधी-अधूरी माफी माँगी। उन्होंने अपनी टीम का बचाव करते हुए लिखा कि चूँकि यह तस्वीर पब्लिक डोमेन में था तो उनकी टीम को लगा कि यह पर्याप्त है। हालाँकि, आगे उन्होंने कहा कि उन्हें अनुमति लेनी चाहिए थी।
गौरतलब है कि द वायर का कॉपीराइट सामग्री को चुराने का पुराना इतिहास रहा है, इससे पहले राज्यसभा टीवी ने भी वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट को इस मामले में नोटिस भेजा था। राज्य सभा टीवी (RSTV) ने अपनी कानूनी नोटिस में वायर पर टीवी की कॉपीराइट सामग्री के “अवैध और गैरकानूनी तरीके से चोरी करने या प्राप्त करने और चोरी की संपत्ति का उपयोग करने” का आरोप लगाया था।
द वायर ने 17 सितंबर 2018 को एक लेख प्रकाशित किया था, जिसका शीर्षक था, “RSTV benches anchor for the question about Vajpayee’s role in Quit India Movement’। नोटिस में कहा गया है कि इसमें उन्होंने एक वीडियो क्लिप का इस्तेमाल किया था, जिसमें एंकर एक और अन्य वरिष्ठ पत्रकार अटल बिहारी वाजपेयी के साथ चर्चा कर रहे थे।
नोटिस में कहा गया है कि द वायर ने अपनी लेख में जिस वीडियो क्लिप का इस्तेमाल किया है, वह राज्यसभा टीवी की एक्सक्लूसिव प्रॉपर्टी है और पोर्टल द्वारा इस्तेमाल की गई क्लिप में राज्यसभा टीवी का लोगो भी नहीं है। नोटिस में यह भी कहा गया है कि द वायर ने इस क्लिप के इस्तेमाल के लिए RSTV से कोई अनुमति नहीं ली थी।