कोरोना वायरस के संक्रमण का देश-विदेश में सबसे बड़ा हॉट-स्पॉट बनकर उभरे तबलीगी जमात के सदस्य अब मीडिया के गिरोह-विशेष के लिए सरदर्द बन गए हैं। दुखद बात यह है कि मीडिया का यह गिरोह विशेष इस बात से चिंतित नहीं है कि संक्रमित होने के बावजूद तबलीगी जमात के लोग डॉक्टर्स, नर्स, पुलिस और प्रशासन से अभद्रता करते रहे हैं, बल्कि उनका दर्द यह है कि उनकी हरकतों पर बात ही क्यों की जा रही है?
21 दिन के लॉकडाउन के कारण घर पर बैठे लोगों के समय बिताने के लिए दैनिक भास्कर समाचार पत्र ने एक बेहद रचनात्मक तरीका ढूँढा। दैनिक भास्कर ने एक ऐसा क्रॉसवर्ड अपने पाठकों को दिया, जिसमें कोरोना के संक्रमण से जुड़ी समसामयिक घटनाओं पर जानकारी से जुड़े तथ्य थे। हास्यास्पद बात यह रही कि दैनिक भास्कर ने जिन स्थानों को रिक्त छोड़कर पाठकों से भरने की बात कही, उसमें ‘द वायर‘ और ‘न्यूज़लॉन्ड्री‘ ने अपनी समझ के अनुसार ‘तबलीगी जमात’ भर दिया और इसका आरोप दैनिक भास्कर पर लगा दिया। द वायर और न्यूजलॉन्ड्री का आरोप है कि दैनिक भास्कर ने इस क्रॉसवर्ड के जरिए देश में कोरोना का सबसे बड़ा स्रोत बनकर उभरे तबलीगी जमात संगठन की छवि खराब कर घटना को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया है।
न्यूज़लॉन्ड्री के जहरीले ‘टैग्स’ –
दैनिक भास्कर ने इस क्रॉसवर्ड में जो सवाल पूछे थे वो आप इस चित्र में देख सकते हैं। इन सवालों में से कुछ इस प्रकार हैं –
1. किस संगठन की लापरवाही की वजह से देशभर में कोरोना प्रभावितों की संख्या बढ़ी?
2. दिल्ली में हजारों लोगों के एकत्रित होने के बाद किस बिल्डिंग को सील किया गया है?
3. दिल्ली में हजारों लोगों को एकत्रित करने वाले इस्लामिक संगठन का मुखिया कौन है?
वो क्रॉसवर्ड जिसने वायर और न्यूज़लॉन्ड्री की एकसाथ सुलगा दी –
इसके साथ ही इस क्रॉसवर्ड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से जुड़ी योजनाओं के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से जुड़े सवाल भी पूछे गए हैं। आखिर इस सब से समस्या का कारण क्या हो सकता है?
वजह एक ही है, सरकार और संस्थाओं से घृणा में मीडिया गिरोह इतने ज्यादा डूब चुके हैं कि इन्हें जनकल्याण के उद्देश्य से जारी की गई योजनों से भी समस्या होने लगी है। कोरोना महामारी के दौरान भी इन मीडिया संस्थानों का अपना एजेंडा जारी है। लेकिन इसमें वह यह बात भूल गए कि यह क्रॉसवर्ड भरकर दैनिक भास्कर ने नहीं दिया था बल्कि इसमें उचित उत्तर को रिक्त स्थानों में भरने का काम पाठकों पर छोड़ा गया था। न्यूजलॉन्ड्री और द वायर ने इसमें ‘तबलीगी जमात’ भर दिया।