Friday, November 22, 2024
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टूलकिट का संबंध ऑल्ट न्यूज़ से बताने वाला वीडियो यूट्यूब ने किया डिलीट, भारत विरोधी षड्यंत्रों में विदेशी फंडिंग का था जिक्र

'दी स्ट्रिंग' ने दावा किया था कि वो इस टूलकिट को लेकर खुलासे करेगा, जिनसे स्पष्ट होगा कि किस तरह से मजहबी फैक्ट चेकर वेबसाइट 'ऑल्ट न्यूज़' का भी इस टूलकिट से सम्बन्ध है।

अभिव्यक्ति की आजादी की बहस के बीच ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग वेबसाइट यूट्यूब ने ‘दी स्ट्रिंग’ (The String) नाम के एक चैनल का वीडियो डिलीट कर दिया है। ‘दी स्ट्रिंग’ ने हाल ही में चर्चा में आई ‘टूलकिट’ का वामपंथी मीडिया और ऑल्ट न्यूज़ जैसे कुछ स्वघोषित फैक्ट चेकर्स से संबंधों को उजागर करने का दावा किया था।

ट्विटर पर ‘द स्ट्रिंग’ (The String) ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया है कि यूट्यूब द्वारा उनका वीडियो डिलीट कर दिया गया है। ग्रेटा थनबर्ग द्वारा किसान आन्दोलनों को लेकर ‘गलती से’ सार्वजानिक की गई एक ‘टूलकिट’ पर जारी विवाद को लेकर ‘दी स्ट्रिंग’ नाम के इस चैनल ने दावा किया था कि वो इस टूलकिट को लेकर खुलासे करेगा, जिनसे स्पष्ट होगा कि किस तरह से मजहबी फैक्ट चेकर वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ का भी इस टूलकिट से सम्बन्ध है। हालाँकि, इस वीडियो के प्रकाशित होने के कुछ देर बाद ही यह यूट्यूब द्वारा हटा दिया गया।

अपने ट्विटर अकाउंट से ‘दी स्ट्रिंग’ ने मंगलवार (फरवरी 09, 2021) को अपने इस वीडियो द्वारा अहम खुलासे करने की घोषणा करते हुए लिखा था, “आपका तथाकथित ‘देशभक्त’ मोहम्मद जुबैर वास्तव में एक भारत-विरोधी तत्व है, जो देशद्रोही है और वो लीक होने से पहले ही ग्रेटा थनबर्ग वाली टूलकिट साजिश का हिस्सा था। मेरे पास अपने दावे के बचाव में और इस दंगा भड़काने वाले को जेल भेजने के लिए पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं।”

उन्होंने लिखा था कि फेक न्यूज़ बनाने की कम्पनी ऑल्ट न्यूज़ ‘रिवर्स साइक्लॉजी’ के माध्यम से अपने दर्शकों को फेक न्यूज़ देता है और अपने प्रतिद्वंदियों को फेक बताता है।

यूट्यूब पर ‘दी स्ट्रिंग’ द्वारा पोस्ट किए गए इस वीडियो की शुरुआत में ही कुछ वामपंथी मीडिया गिरोहों का नाम लेते हुए इसके एंकर कहते हैं, “मुझे नहीं पता कि इस वीडियो को बनाने के बाद मुझे नहीं पता कि मैं जिन्दा रहूँगा या नहीं। लेकिन इसके लिए जो लोग जिम्मेदार होंगे उनके नाम साकेत गोखले, बरखा दत्त, मोहम्मद जुबैर, ध्रुव राठी, वायर, क्विंट, न्यूज़लौंड्री, स्क्रॉल, कारवाँ, दी न्यूज़ मिनट, आउटलुक डॉट कॉम, इंडिया स्पेंड, परी नेटवर्क, और कॉन्ग्रेस पार्टी।”

‘दी स्ट्रिंग’ ने ये वीडियो सार्वजानिक करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अपनी जान बचाने की विनती भी की। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के नाम उन्होंने लिए हैं, उनके पास ये टूलकिट पहले से ही मौजूद थी।

क्या था ‘दी स्ट्रिंग’ के इस वीडियो में

यूट्यूब चैनल ‘दी स्ट्रिंग’ के इस एपिसोड का नाम ‘अरेस्ट राठी, जुबैर, बरखा (ग्रेटा थनबर्ग एक्सपोज्ड) था। एपिसोड की शुरुआत में ‘स्ट्रिंग’ ने ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर की गई टूलकिट और उसके समय यानी, 3 फरवरी शाम 5.19 दिखाया है। इसके बाद ‘स्ट्रिंग’ ने बताया कि कैसे वामपंथी मीडिया गिरोह के दी कारवाँ, स्क्रॉल, परी नेटवर्क, द वायर, द न्यूज मिनट, ऑल्ट न्यूज समेत कई ऑनलाइन पोर्टल इस पर 01 या 2 फरवरी को ही ट्वीट कर चुके थे। उन्होंने कहा कि यह यह इस बात का पहला सबूत है कि ग्रेटा थनबर्ग की टूलकिट शेयर होने से पहले ही इन लोगों के पास सिर्फ मौजूद ही नहीं थी बल्कि ये लोग इसके जरिए चंदा भी जुटाना चाहते थे।

वीडियो में ‘ दी स्ट्रिंग’ ने टूलकिट की टाइमलाइन के बारे में आगे बताया कि किसानों के समर्थन में टूलकिट शेय़र करने के आग्रह से कहीं पहले भारत को बदनाम और बर्बाद करने की साजिश रची जा चुकी थी। स्ट्रिंग ने सबसे पहले ‘डिजीपब न्यूज इंडिया फॉउंडेशन’ की प्रेस रिलीज का जिक्र किया, जो अक्टूबर 27, 2020 की है।

यानी, कथित किसान आंदोलन से कई माह पहले से ही इसे लेकर षड्यंत्र रचे जा रहे थे। दी स्ट्रिंग के अनुसार, डिजीपब के साथ जो नाम जुड़े हैं, उनका संबंध कहीं न कहीं ग्रेटा थनबर्ग द्वारा ‘गलती से लीक’ हुई इस टूलकिट से भी जुड़े मिलते हैं। मजहबी फैक्ट चेकर ऑल्टन्यूज़ के मोहम्मद जुबैर और बरखा दत्त के नाम भी ग्रेटा थनबर्ग वाली टूलकिट में थे। इन नामों में से अधिकतर अक्सर ही सरकार विरोध में प्रपंच करते नजर आते हैं।

12 मिनट के इस इस वीडियो में, ‘द स्ट्रिंग’ ने खुलासा किया कि मजहबी फैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN) से प्रमाणित है, जो पोयन्टर इंस्टीट्यूट द्वारा समर्थित है। बदले में, पोयन्टर इंस्टीट्यूट को ओपन सोसाइटी फाउंडेशन द्वारा फंड दिया जाता है, जिसे जॉर्ज सोरोस द्वारा नियंत्रित किया जाता है और फंड दिया जाता है। जॉर्ज सोरोस के अलावा, पोयंटर इंस्टीट्यूट को फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी कंपनियों द्वारा भी फंड दिया जाता है।

एनालिसी मैरिली की ‘टूलकिट’ और भारत विरोधी प्रपंच में भूमिका

‘दी स्ट्रिंग’ ने अपने वीडियो में एनालिसी मैरिली का भी जिक्र किया है। एनालिसी उसी जॉर्ज सोरोस के लिए काम करती हैं जो कि ये भी बयान दे चुके हैं कि नरेंद्र मोदी भारत को राष्ट्रवादी हिन्दुराष्ट्र बनाना चाह रहे हैं। एनालिसी मैरिली के ट्विटर अकाउंट से पता चलता है कि उसने 03 फरवरी से पहले ही 01 फरवरी को वामपंथी मीडिया गिरोहों को डोनेशन देने की बात कही थी और उन्हें प्रोमोट किया, जिसे मोहम्मद जुबैर द्वारा रीट्वीट भी किया गया था।

जुबैर का नाम और उनकी कथित फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ का नाम भी इस टूलकिट में शामिल था। ‘दी स्ट्रिंग’ ने कहा कि ये तमाम मीडिया गिरोह चंदा जुटाने के लिए डिजीपब से जुड़े हुए हैं। स्ट्रिंग ने अमित शाह से आग्रह किया है कि वो इन सबकी जाँच कराएँ। साथ ही, स्ट्रिंग ने कहा कि जुबैर जैसों को तो लटका दिया जाना चाहिए। इसमें स्ट्रिंग ने अपने वीडियो में ध्रुव राठी का भी सम्बन्ध बताया है।

वीडियो में स्ट्रिंग ने एनालिसी को राहुल गाँधी का प्रशंसक बताते हुए उनके वामपंथी मीडिया गिरोहों से जुड़े तार भी सामने रखे हैं। स्ट्रिंग ने बताया कि एनालिसी ने राहुल गाँधी की वायनाड रैली को भी कवर किया था। स्ट्रिंग ने जॉर्ज सोरोस के खिलाफ भी कुछ साक्ष्य अपने वीडियो में रखे हैं, और बताया है कि भारत और मोदी विरोधी प्लेटफॉर्म्स को वैरीफाई कराने या फिर उनके भारत विरोधी प्रपंचों को पैसे और ताकत का प्रयोग कर बढ़ावा दिया जाता है। स्ट्रिंग ने जिक्र किया है कि यही जॉर्ज सोरोस ‘क्वॉड मीडिया’ यानी, एनालिसी मैरिली को फंड देते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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