Zee Media के प्रोडक्शन हेड नासिर आज़मी ने रविवार (22 दिसंबर) को सोशल मीडिया पर दावा किया कि उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए इस्तीफ़ा दे दिया है। नासिर का कहना था कि जेएनयू, कन्हैया कुमार, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और हाल ही में जामिया मिलिया इस्लामिया की घटनाओं को कवर करने के मामले में Zee News “विफल” रहा है।
उन्होंने अपने ट्वीट में भी ऐसा ही दावा किया।
Left Zee Media?
— Nasir Azmi (@nasirazmi) December 22, 2019
Dear Students of Jamia
Zee News failed on whether it is the matter of JNU, Kanhaiya, AMU and Jamia Millia incident. Channel has tried to mis lead the Nation especially on Jamia where students were beaten brutally after CAA act and upcoming NRC.
लोगों की नज़र में आने के लिए नासिर आज़मी ने कुछ राजनीतिक दलों और राजनेताओं को टैग भी किया, जिससे उन्हें कुछ रीट्वीट मिल सकें।
AICC General Secretary Smt. @priyankagandhi visits families in Bijnor, UP, who have lost loved ones during the anti-CAA protests. pic.twitter.com/ny3Mm4KY1e
— Congress (@INCIndia) December 22, 2019
Basically, if I’m not involved in a #twittercontroversy once a week, assume I’m dead!!! ??? #realisation
— Swara Bhasker (@ReallySwara) July 14, 2019
लेकिन नासिर आज़मी के Zee Media छोड़ने की असल वजह कुछ और है, जो उन्होंने नहीं बताई।
ऑपइंडिया को सूत्रों ने बताया कि नासिर आज़मी को पहले ही एक महीने के लिए परफॉर्मेंस इम्प्रूवमेंट प्लान (PIP) में रखा गया था, क्योंकि उनके काम की परफार्मेंस मीडिया संस्थान के मानक पर खरी नहीं उतरती थी। इस बात को प्रमाणित करने के लिए ऊपर अपलोड किए दस्तावेज़ के अनुसार, उनका PIP टाइम 4 दिसंबर, 2019 से 4 जनवरी 2020 तक प्रभावी था।
22 दिसंबर को जब उन्होंने जामिया के छात्रों और अन्य लोगों के साथ नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ एकजुटता दिखाते हुए ट्वीट किया तो उन्होंने अपने PIP से जुड़े सच के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया। शायद उन्हें यह लगा होगा कि उनका यह सच किसी के सामने तब तक नहीं आएगा, जब तक वो किसी से शेयर नहीं करेंगे। लेकिन सोशल मीडिया के युग में कुछ भी छिपाए नहीं छिपता।
Zee News के सीनियर प्रोड्यूसर अमित कुमार सिंह ने आज़मी के झूठ का पर्दाफ़ाश फेसबुक पर किया।
सिंह ने कहा कि आज़मी न केवल जामिया के छात्रों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि इस्लाम के नाम पर झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई अपनी बेहतरी के लिए किसी भी संस्थान को छोड़ने के लिए स्वतंत्र होता है। लेकिन यहाँ सवाल बेहतरी का नहीं, बल्कि मौक़ा देखकर ख़ुद को शहीद दिखाने का है।
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि उम्मीद नहीं थी कि जिस संस्थान ने आपको (नासिर आज़मी) 10 सालों से भी ज्यादा वक्त तक आसरा दिया, जहाँ की बदौलत आपकी दाल-रोटी चलती रही वहाँ से रुखसत होते समय आप अपने झूठे ज़मीर को आगे कर देंगे। पोस्ट में नासिर से पूछा गया है कि उन्होंने अपने फैसले की वजह जेएनयू, एएमयू, कन्हैया कुमार और जामिया को बताया है। लेकिन, जब इन जगहों पर घटनाएँ हुई तो उनका जमीर क्यों नहीं जागा? यह एहसास होने के बाद कि ज़ी मीडिया में ज्यादा दिन तक ठहरना मुमकिन नहीं है तो आपने जामिया के छात्रों और दूसरे लोगों को बेवकूफ़ बनाना शुरू कर दिया।
सिंह ने नासिर को फ़टकारते हुए लिखा कि आपके ज़मीर के मुताबिक़ 2016 में ही आपको ज़ी मीडिया को बाय-बाय बोल देना चाहिए था..लेकिन कौन छोड़ता है मोटी तनख्वाह को, वो भी लाखो की तनख्वाह को। लेकिन, यहाँ तो ज़मीर का मसला था ही नहीं, आपने तो ज़मीर के नाम पर दूसरों को बेवकूफ़ बनाना शुरू कर दिया..इस बारे में सोचिएगा। उन्होंने लिखा कि CAA और NRC के बारे में अफ़वाह फैलाने वालों में आप भी शामिल हैं… आपको सच्चाई मालूम है, इसलिए PIP का ये लेटर उनके लिए अटैच कर रहा हूँ, जो आपके बारे में जानते नहीं हैं।
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