Thursday, April 25, 2024
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असम से 29 साल बाद हटेगा AFSPA, हालात हो रहे हैं सामान्य

पिछले वर्ष सितंबर में केंद्र ने राज्य को यह अधिकार सौंपा था कि वह AFSPA लागू रहने की समय सीमा को प्रदेश में हटा या बढ़ा सकती है। प्रदेश सरकार ने NRC की प्रक्रिया का हवाला देते हुए 2 बार इस कानून को आगे बढ़ाया।

केंद्र सरकार ने असम से आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पॉवर ऐक्ट (AFSPA) को हटाने का फैसला किया है। ये निर्णय कानून लागू होने के 29 साल बाद लिया गया है। इसके साथ ही खबरों के मुताबिक सेना को वापसी के लिए तैयारियाँ शुरू करने के निर्देश भी दे दिए गए हैं।

बता दें कि असम में उल्फा संगठन द्वारा (ULFA) उग्रवाद के चरम पर होने के कारण 27 नवंबर 1990 को वहाँ AFSPA लागू किया गया था। उस समय पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित करने के बाद इस कानून को लागू किया गया था। इस कानून के तहत सशस्त्र बलों को विशेष अधिकार दिए गए थे। हालाँकि कुछ सालों में स्थिति सुधरने के बाद क्षेत्र के कई जिलों से सेना को धीरे-धीरे हटा दिया गया था।

इसके बाद पिछले वर्ष सितंबर में केंद्र ने राज्य को यह अधिकार सौंपा था कि वह AFSPA लागू रहने की समय सीमा को प्रदेश में हटा या बढ़ा सकती है। प्रदेश सरकार ने नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की प्रक्रिया का हवाला देते हुए 2 बार इस कानून को आगे बढ़ाया।

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक सुरक्षाबलों के अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार एनआरसी की प्रक्रिया 30 जुलाई तक पूरी हो जाएगी। इस बीच उन्हें अनौपचारिक रूप से प्लान करके बताना है कि राज्य से जाने के बाद सेना को कहाँ पर तैनात किया जाएगा।

AFSPA हटाए जाने के फैसले पर कॉन्ग्रेस के दिग्गज़ नेता पी चिदंबरम ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने नरेंद्र मोदी से सवाल किया है कि आखिर चुनाव प्रचार के दौरान AFSPA को त्रिपुरा, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के हिस्सों से क्यों हटाया गया है?

चिदंबरम ने कहा है कि भाजपा ने उनके मेनिफेस्टों का विरोध किया था जिसमें उन्होंने AFSPA में संशोधन की बात कही थी। ऐसे में मोदी सरकार को पूर्ण रूप से ही AFSPA को असम से हटा रही है। लेकिन चिदंबरम भूल गए हैं कि AFSPA वहाँ लगाया जाता है जहाँ हालात सामान्य नहीं होते। जैसे ही हालात सामान्य होते जाते हैं अफ्स्पा हटा लिया जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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