भारतीय सेना को आज जबलपुर स्थित ‘Gun Carriage Factory’ में बनी ‘धनुष’ आर्टिलरी गन्स की पहली खेप सौंप दी गई। स्वदेश निर्मित ‘धनुष’ को स्वीडन निर्मित बोफोर्स गन्स का स्वदेशी वर्जन माना जाता है। Ordnance Factory Board (OFB) द्वारा ये आर्टिलरी गन्स जीसीएफ में केन्द्र सरकार के रक्षा सचिव (उत्पादन) डॉक्टर अजय कुमार के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय सेना के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल पीके श्रीवास्तव को औपचारिक रूप से सौंपी गई। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अब तक इन गन्स का 81% स्वदेशीकरण हो चुका है और 2019 ख़त्म होने तक ये आँकड़ा 91% तक पहुँच जाएगा।
“आज 155 मी.मी. धनुष तोप भारतीय सेना में शामिल हो गया है। आपसी तालमेल, उत्कृष्टता और आपसी विश्वास, धनुष तोप प्रोजेक्ट की सफलता के आधार रहें हैं। धनुष तोप की सफलता ने आने वाले दिनों में कई सफल परियोजनाओं का रास्ता प्रशस्त किया है”।
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– महानिदेशक
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जबलपुर गन कैरिज फैक्ट्री में हुए इस कार्यक्रम में ऐसे 6 आर्टिलरी गन्स सेना को सौंपे गए। ऐसे 18 गन्स के साथ साल ख़त्म होने तक एक धनुष रेजिमेंट तैयार हो जाएगा। 18 फरवरी 2019 को जीसीएफ को सेना से ऐसे 114 गन्स के निर्माण के लिए बल्क प्रोडक्शन क्लीयरेंस मिला था। ‘धनुष’ 155mm का 45-calibre towed आर्टिलरी गन है, जिसका रेंज 36 किलोमीटर है। विशेष गोला-बारूद के साथ ये रेंज 38 किलोमीटर हो जाता है। अभी जो 39 calibre Bofors FH 77 बोफोर्स गन भारतीय सेना के पास है, ‘धनुष’ को इसका अपग्रेडेड वर्जन माना जा रहा है। जबलपुर में हुए कार्यक्रम के बाद नव निर्मित धनुष आर्टिलरी गन को हरी झंडी दिखाकर फैक्टरी से रवाना किया गया।
‘धनुष’ 13 सेकंड में तीन फायर कर सकती है। फायर करने के बाद गन अपनी पोजिशन चेंज कर सकती है। इस आर्टिलरी गन का वजन 13 टन है। बोफोर्स तथा धनुष के कुछ फंक्शन समान हैं। यह रात के समय भी लक्ष्य पर निशाना साध सकती है। भारतीय सेना ने ऐसे कुल 414 गन की माँग की है। 2012 में इस पर कार्य शुरू किया गया था। इसमें अपग्रेडेड कम्यूनिकेशन सिस्टम लगाया गया है। ये आर्टिलरी गन्स सेटेलाइट के जरिए न केवल दुश्मन के ठिकानों की पोजीशन हासिल कर सकती है, बल्कि खुद गोले लोड कर फायर करने में भी सक्षम है।
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इन गन्स के वजन के कारण पहाड़ी व सुदूर इलाकों में इनका सुगम इस्तेमाल किया जा सकता है। पाकिस्तान व चीन से लगी सीमा पर इसकी तैनाती की जाने की उम्मीद है। जुलाई 2016 से जून 2018 के बीच पोखरण सहित अन्य क्षेत्रों में इन गन्स के कई ट्रायल किए गए। पाँच जगहों पर हुए कई परीक्षणों में इसे अलग-अलग तापमान पर परखा गया। इस से अब तक 4599 बार फायर किया जा चुका है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत में निर्मित होने वाली लंबी रेंज की पहली आर्टिलरी गन है।