Thursday, March 28, 2024
Homeरिपोर्टराष्ट्रीय सुरक्षाSpice-2000 'अचूक' बमों का इस्तेमाल, और 90 सेकंड में सब तबाह: ऐसे हुई थी...

Spice-2000 ‘अचूक’ बमों का इस्तेमाल, और 90 सेकंड में सब तबाह: ऐसे हुई थी बालाकोट पर एयर स्ट्राइक

पायलट कहते हैं, “स्पाइस 2000 चूकने वाला हथियार नहीं है। संभव है कि इमारतों की छतों पर जो नुकसान हुआ है, उसे छिपाने का प्रयास हो रहा हो।”

एनडीटीवी से बात करते हुए बालाकोट पर हमला करने वाले भारतीय वायुसेना के पायलटों ने सीधे शब्दों में कहा कि उनका निशाना नहीं चूका था। पाकिस्तान अपने यहाँ हुए नुकसान को कमतर कर के दिखाने की कोशिश कर रहा है। नाम गुप्त रखने की शर्त पर हुए इस इंटरव्यू में जिन दो मिराज 2000 पायलटों ने अपनी बात रखी, उनमें से एक स्क्वाड्रन लीडर हैं। बालाकोट एयर स्ट्राइक 1971 की जंग के बाद पाकिस्तान पर भारत का पहला हवाई हमला था।

वीडियो फीड वाले बमों का इस्तेमाल होना था

पुलवामा हमले के जवाब में जैश-ए-मोहम्मद के बालाकोट स्थित ट्रेनिंग सेंटर पर कार्रवाई के तहत हुई एयर स्ट्राइक बारे में पायलटों ने बताया कि पूरा ऑपरेशन 2-2.5 घंटों में खत्म हो गया। बम गिरने के बाद जिहादी कैंप मात्र 90 सेकंड में पूरी तरह तबाह हो गए थे। दोनों पायलटों ने मिराज से 5 इज़राइली स्पाइस-2000 बमों से जिहादी प्रशिक्षण केंद्रों पर हमला किया था। 26 फरवरी को भारतीय वायु सेना ने कुल 12 मिराज-2000 जेटों को इन जिहादी कैम्पों को तबाह करने के लिए हमले का आदेश दिया था।

हमले में हालाँकि स्पाइस के अलावा क्रिस्टल मेज़ (Crystal Maze) नामक एक दूसरे तरह की हवा-से-सतह पर हमला करने वाली मिसाइल की 6 यूनिट का भी इस्तेमाल होना था लेकिन मौसमी परिस्थितियों की गड़बड़ी के चलते यह संभव नहीं हो पाया। क्रिस्टल मेज़ मिसाइल की खासियत यह है कि यह हमला करने के साथ-साथ वीडियो फीड भी भेजती है, अतः अगर इसका इस्तेमाल हो सकता तो वायु सेना के पास मिशन की सफलता का सबूत भी होता। 

‘इमारतों की सैटेलाइट तस्वीरें साफ़ नहीं हैं’

क्रिस्टल मेज़ बमों का इस्तेमाल न हो पाने और हमले की सफलता का कोई वीडियो सबूत न होने के बावजूद वायु सेना पायलटों के मन में मिशन की सफलता को लेकर कोई संदेह नहीं है। “मुझे स्पाइस बमों के निशाने पर गिरने में कोई संदेह नहीं है।” सैटेलाइट इमेजिंग कंपनी ‘डिजिटल ग्लोब’ ने तस्वीरें जारी की थीं जिनमें एयर स्ट्राइक का दावा जिस स्थान पर किया गया था, वहाँ पर इमारतें खड़ीं थीं। इस बात पर पायलटों ने बताया कि स्पाइस बमों की डिज़ाइन ऐसी है कि वह किसी ढाँचे (जैसे इमारत) से टकराने पर तुरंत धमाका नहीं करते।

उनकी विस्फ़ोटक सामग्री का धमाका ढाँचे को भेद कर मानव निशाने के निकटतम पहुँच कर होता है, ताकि दुश्मन के ज़िंदा बचने की संभावना न्यूनतम हो जाए। अतः अमूमन इस बम के इस्तेमाल पर निशाने के बाहरी ढाँचे की तबाही नहीं होती, लेकिन अंदर के मानव-लक्ष्य मारे जाते हैं। “सैटेलाइट से जारी तस्वीरें इतनी साफ़ नहीं हैं कि वह बमों के ढाँचे के अंदर घुसने से बने छेदों को दिखाएँ।”

पायलट आगे जोड़ते हैं, “स्पाइस 2000 चूकने वाला हथियार नहीं है। संभव है कि इमारतों की छतों पर जो नुकसान हुआ है, उसे छिपाने का प्रयास हो रहा हो।” NDTV का दावा है कि उसे निशाने पर रहीं इमारतों में से एक की अल्ट्रा-हाई रेज़ोल्यूशन की तस्वीर दिखाई गई है, जिसमें इमारत की छत पर तीन छेद साफ़ देखे जा सकते हैं। जिहादी रंगरूटों का हॉस्टल मानी जा रही यह इमारत पाकिस्तानी अधिकारियों ने उन विदेशी पत्रकारों और कूटनीतिज्ञों को नहीं दिखाई थी, जिन्हें वह बालाकोट स्ट्राइक के 43 दिन बाद ‘दौरे’ पर ले गए थे। 

मिशन जानने के बाद सिगरेट और चहलकदमी

भारतीय युद्धक विमान लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल को पार कर 8 किलोमीटर अंदर गए थे उन बमों को दागने की पोज़ीशन पर आने के लिए। पायलटों ने अपने व्यक्तिगत अनुभव भी एनडीटीवी को बताए। स्क्वाड्रन लीडर के मुताबिक स्ट्राइक के पहले (तनाव कम करने के लिए) उन्होंने बहुत सारी सिगरेट पी थी, और मिशन से लौटकर भी उन्होंने कुछ और सिगरेट पी। “मिशन क्या है, यह ब्रीफिंग दिए जाने के बाद हम लगातार चहलकदमी कर रहे थे।” पायलटों ने बताया कि मिशन के दौरान इतना कुछ होता है करने के लिए कि दो घंटे कितनी तेज़ी से बीत गए, यह पता भी नहीं चला।

उन्होंने यह भी बताया कि मिशन के दौरान एक पाकिस्तानी जेट को भारतीय जेटों के हवाई व्यूह (फॉर्मेशन) की तरफ़ उड़ते हुए भी मिशन के बाकी जेटों का समन्वय और ऐसी ही परिस्थिति की चौकसी कर रहे जेट ने पकड़ा। अच्छी बात यह थी कि तब तक बम दागकर भारतीय योद्धा नुक्सान की सीमा के बाहर चुके थे। “स्पाइस 2000 को दागने के बाद उसके लास्की की तरफ बढ़ने के दौरान उस क्षेत्र में रुककर नहीं देखना पड़ता। यह दागिए-और-भूल-जाइए किस्म का है।” 

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘भाषण’ देना नहीं आया केजरीवाल के काम, कोर्ट ने 1 अप्रैल तक के लिए ED को सौंपा: ASG बोले – मुख्यमंत्री कानून से ऊपर...

AAP के गोवा के प्रदेश अध्यक्ष अमित पालेकर को भी जाँच एजेंसी ने समन भेजा है। अब अरविंद केजरीवाल को 1 अप्रैल, 2024 को सुबह के साढ़े 11 बजे कोर्ट में फिर से पेश किया जाएगा।

बरसात का पानी बहाने के लिए सरकार लेगी पैसा, विरोध में जनता: जानिए क्या है कनाडा का ‘रेन टैक्स’, कब से और कैसे होगा...

कनाडा में बरसात और बर्फ पिघलने के कारण बहने वाले पानी को लेकर सरकार लोगों पर रेन टैक्स लगाने जा रही है। यह टोरंटो में लगाया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe