Thursday, May 16, 2024
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जिस आतंकी नदीम का परिवार रो रहा था गरीबी का रोना, पक्की इमारत में तब्दील हो गया उसका जर्जर घर: हैरान ग्रामीण पूछ रहे – बेटा जेल में, कहाँ से आ रहा इतना पैसा?

नदीम के जेल में रहते हुए इतना बड़ा घर बन जाने पर एक ग्रामीण ने कैमरे पर न आने की शर्त पर कहा कि जेल और कोर्ट कचेहरी के चक्कर में लोगों के घर तक बिक जाते हैं लेकिन नदीम का परिवार लगातार कैसे फल-फूल रहा है ये समझ के बाहर की बात है।

उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने 12 अगस्त 2022 को सहारनपुर जिले से नदीम नाम के एक आतंकी को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आतंकी का कनेक्शन पाकिस्तान से संचालित अंतरराष्ट्रीय और प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से पाया गया था। नदीम भाजपा की निलंबित नेत्री नूपुर शर्मा की हत्या सहित कई अन्य आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की फिराक में था। गिरफ्तारी के बाद जब हम नदीम का घर गए थे, तो देखा था कि घर बेहद जर्जर हालत में था। उसके अब्बा ने अपनी गरीबी और बीमारी का हवाला देते हुए रहम की अपील भी की थी। ऑपइंडिया ने लगभग डेढ़ साल बाद आतंकी नदीम के गाँव का दौरा किया तो अब नजारा कुछ अलग था।

डेढ़ साल पहले टूटे घर में ऑपइंडिया से बात करते नदीम का अब्बा नफीस

आतंकी नदीम अभी भी लखनऊ की जेल में बंद है। उसके भाई देहरादून और अन्य शहरों में मेहनत मजदूरी करते हैं। अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में हमने पाया कि पिछले डेढ़ वर्षों में आतंकी नदीम के घर और घर वालों में बहुत बदलाव आया है। डेढ़ साल पहले नदीम का घर टूटी-फूटी हालात में था। घर में प्लास्टर भी नहीं लगा था। तब बैठने के लिए पड़ी चारपाई भी जर्जर हालत में थी। जिस कमरे में नदीम और उसके अब्बा सोते थे वहाँ पंखा भी नहीं लगा था लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है।

नदीम का घर किनारे से

अब नदीम का घर किसी महल जैसा लगने लगा है। घर के अंदर लगभग आधे दर्जन से अधिक नए कमरे बन गए हैं। चारों तरफ से घर प्लास्टर हो गया है। कुंडा से गंगोह जाने वाली सड़क पर नदीम के घर के बाहरी हिस्से में आधे दर्जन से अधिक दुकानें खुल चुकी हैं। इन दुकानों में फल और जनसेवा केंद्र जैसे तमाम कारोबार भी चालू हो चुके हैं। जैश आतंकी नदीम के घर में जरूरत के तमाम सामान भी आ गए हैं। इसमें कई महंगे इलेक्ट्रॉनिक आइटम भी शामिल हैं। गाँव के लोगों में चर्चा है कि इन सब बदलावों में करीबन आधे करोड़ रुपए यानी 50 लाख रुपए का खर्च आया है।

घर में ही बनीं नई दुकानें

अगस्त 2022 में जब ऑपइंडिया की टीम नदीम के घर पहुँची थी तब उसके अब्बा अपने परिवार के भविष्य को लेकर कई बार चिंता जताए थे। उन्होंने कहा था कि वो बीमार हैं और घर में दवाओं के लिए भी पैसे नहीं हैं। तब गर्मी में घर की छत के बजाय अधिकतर लोग हाथ का पँखा झल रहे थे। महज डेढ़ साल के अंदर वही घर न सिर्फ बाहर बल्कि अंदर से भी चमक उठा है। घर में अच्छी क्वालिटी के फर्नीचर आदि भी आ चुके हैं। नदीम के अब्बा नफीस का अच्छी जगह से इलाज भी हो रहा है। ऑपइंडिया द्वारा इस रिपोर्ट में दिखाए गए चित्र लगभग 6 माह पहले के हैं। गाँव के स्थानीय लोगों ने हमें बताया कि इस ढाँचे को अब और भव्य कर दिया गया है।

2 साल पहले ऐसे कमरे में इस खाट पर सोता था नदीम

ऑपइंडिया ने जब गाँव कुंडाकला के स्थानीय लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि नदीम के घर का यह नवनिर्माण उसके जेल जाने के 6 महीने बाद ही शुरू हो गया था। हालाँकि कोई यह नहीं बता पाया कि कभी बेहद गरीब रहा आतंकी का परिवार एकदम से इतना पैसे वाला कैसे हो गया। नदीम के अन्य भाई मेहनत मजदूरी कर के जीवन यापन करते हैं। इसी मजदूरी के पैसे से न सिर्फ वो अपने अब्बा के इलाज बल्कि नदीम की कानूनी पैरवी का भी दावा करते हैं। इसके बावजूद नदीम के घर और शानो-शौकत पर लाखों रुपए का खर्च किस माध्यम से आया ये फ़िलहाल कोई नहीं बता पाया।

एक ग्रामीण ने कैमरे पर न आने की शर्त पर कहा कि जेल और कोर्ट कचेहरी के चक्कर में लोगों के घर तक बिक जाते हैं लेकिन नदीम का परिवार लगातार कैसे फल-फूल रहा है ये समझ के बाहर की बात है।

अपना नाम न छपने की शर्त पर गाँव के एक व्यक्ति ने हमें बताया कि गिरफ्तारी से पहले नदीम का नशीली दवाओं के कुछ तस्करों से संबंध था। उसने बताया कि यह तस्करी हरियाणा और उत्तराखंड में की जाती है। आरोप है कि नदीम ने गाँव के ही कुछ लोगों के साथ मिल कर इस अवैध कारोबार को करते हुए लाखों रुपए कमाए थे। इस पैसे से कुछ स्थानों पर प्लॉट भी खरीदे गए थे। नदीम द्वारा पहले किसी मेडिकल स्टोर पर काम करने की भी बात बताई गई। दावा है कि यह मेडिकल स्टोर गंगोह मार्किट में था। इस गिरोह के कुछ लोगों को हरियाणा पुलिस द्वारा पहले गिरफ्तार किए जाने की भी खबर है जो कुंडाकला गाँव के ही निवासी हैं।।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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