हाल में कई रिपोर्टें आई हैं जो बताती हैं कि नेपाल-भारत सीमा पर तेजी से डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है। मस्जिद-मदरसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए 20 से 27 अगस्त 2022 तक ऑपइंडिया की टीम ने सीमा से सटे इलाकों का दौरा किया। हमने जो कुछ देखा, वह सिलसिलेवार तरीके से आपको बता रहे हैं। इस कड़ी की चौथी रिपोर्ट;
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में बौद्धों के आस्था केंद्रों के पास दरगाह और मजारों का होना सामान्य है। अंगुलीमाल गुफा के आसपास के कई गाँव मुस्लिम बहुल हैं।
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पुरैनिया गाँव में अर्ध निर्मित मजार और ईदगाह
अंगुलीमाल गुफा से लगभग 1 किलोमीटर दूर भिनगा रोड पर हाइवे से लगभग 100 मीटर दूर बाग़ में एक अर्धनिर्मित मज़ार दिखी। इमारत के निर्माण का काम पूरा चुका था और प्लास्टर का काम बाकी था। निर्माण कौन करवा रहा था, इसका जवाब देने के लिए मौके पर कोई मौजूद नहीं था।
इस इबादतगाह से करीब आधा किलोमीटर आगे बढ़ने पर एक ईदगाह दिखी। यह ईदगाह मुख्य हाईवे से गाँव को जोड़ने वाले लिंक रोड से सटी हुई है। ईदगाह में लगभग 200 लोगों के एक साथ जमा होने की क्षमता है। ईदगाह को पक्की बॉउंड्री से घेरकर मुख्य द्वार पर लोहे का गेट लगा हुआ है।
ग्राम पंचायत के तालाब पर भी मज़ार
श्रावस्ती के ही इकौना क्षेत्र में आने वाले गाँव पंचायत कटरा में हमने देखा कि जल संचयन के लिए मनरेगा के माध्यम से बने तालाब पर भी मज़ार बननी शुरू हो गई है। तालाब के बाँध पर कर्बला की आकृति बना उसे सीमेंट से पक्का कर दिया गया है। उस जगह पर इस्लामी झंडे भी लगे थे।
ग्राम पंचायत कटरा के जिस सर्वजनिक तालाब के बाँध पर मजार बन रही है, उसका निर्माण शासकीय योजना के अंतर्गत हुआ था। तालाब में पानी नाममात्र का था और उसमें हमें कई ताजिया फेंकी मिली। यह तालाब मुख्य हाईवे से अधिकतम 100 मीटर अंदर की तरफ है जो कटरा गाँव की कनेक्टेड सड़क पर है।
खंभों पर अयूब खान
श्रावस्ती जिले में बने हाईवे पर आगे बढ़ते हुए हमने राजनैतिक तौर पर सबसे अधिक डॉक्टर अयूब खान के बोर्ड देखे। ये बोर्ड हाइवे से सटे बिजली के खंभों पर लगे हुए थे। इन बोर्डों में सम्पूर्ण स्वराज्य रैली का आह्वान किया गया था। ये बोर्ड बलरामपुर जिले की सीमाओं से ले कर भिनगा तक लगभग 20 किलोमीटर के क्षेत्रों में लगे दिखाई दिए।
गौरतलब है कि डॉक्टर अयूब को भड़काऊ पर्चे बाँटने के आरोप में UP पुलिस 1 अगस्त 2021 को गिरफ्तार किया था। अक्टूबर 2021 में उन्हें जमानत मिली थी।
गोपियापुर में एक साथ कई कर्बला
श्रावस्ती से हाईवे के रास्ते बलरामपुर लौटते हुए हमें गोपियापुर नाम की जगह दिखाई दी। इस जगह पर सड़क के एकदम बगल में इस्लामी झंडे लगे हुए थे। कुछ झंडे हरे रंग के थे और कुछ लाल रंग। यहाँ हमें सड़क से सटे कम से कम 3 पक्के निर्माण दिखे, जिन्हें हरे रंग से रंगा गया था। स्थानीय लोगों से बताया कि यह कर्बला है।
घरों पर इस्लामी झंडे, दरगाह और मदरसा
भले ही उस समय देश आज़ादी का 75वां साल मनाया रहा हो लेकिन गोपियापुर के पास सड़क के किनारे बने कई घरों पर इस्लामी झंडे फहराते दिखाई दिए। इन घरों के नीचे आमीन मोबाइल और यादव ट्रेवल्स के बोर्ड लगे दिखे। हरे झंडे के बीच में एक तिरंगा भी लहरा रहा था।
श्रावस्ती जाने वाले मुख्य हाईवे पर गोपियापुर के ही पास सड़क से सटी हुई एक दरगाह दिखी। इस दरगाह के आसपास चादरें बिक रहीं थीं और कई लोग जमा थे।
इस दरगाह से महज 200 मीटर और आगे श्रावस्ती की तरफ बढ़ते ही सड़क से सटा एक मदरसा दिखाई दिया। मदरसे में काले रंग का गेट लगा हुआ था और बाहर अरबी भाषा में कुछ शब्द लिखे हुए थे।
मदरसे के पास ही चाय की दुकान पर एक व्यक्ति ने हमें बताया कि जितना आपको सड़क पर दिख रहा है, उसका कई गुना अंदर गाँवों में दिखेगा। एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि अगर आप इसी जिले के भिनगा क्षेत्र में जाएँगे तो आपको इससे अधिक मस्जिद और मदरसे दिखाई देंगे।
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