एनआईए (नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी) ने अपनी चार्जशीट में खुलासा किया है, जिसके मुताबिक़ महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली एक महिला को दो बार कट्टरपंथ के चंगुल से मुक्त कराया गया था। इसके बावजूद वह आईएस (इस्लामिक स्टेट) की तरफ वापस चली गई।
एनआईए के अनुसार पुणे के येरवड़ा की निवासी सादिया अनवर शेख को सबसे पहली बार साल 2015 में कट्टरपंथ से मुक्त कराया गया था, उस दौरान वह नाबालिग थी। इसके बाद साल 2018 में भी उसे कट्टरपंथ से आज़ाद कराने का प्रयास किया गया था।
सादिया अनवर शेख को कट्टरपंथ से मुक्त कराने के सारे प्रयास असफल होने के बाद इस साल जुलाई महीने में उसे इस्लामिक स्टेट से ताल्लुक रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद एनआईए ने सितंबर में उसके विरुद्ध चार्जशीट दायर की थी।
साल 2015 में जब पहली बार वह एनआईए की जाँच के दायरे में आई, तब वह महज़ 15 साल की थी। सबसे पहले वह सोशल मीडिया पर कट्टर विषय वस्तु और विवादित सामग्री साझा करने की वजह से सुर्ख़ियों में आई थी। एनआईए ने अपनी चार्जशीट में यह भी कहा है कि कट्टर इस्लामी ज़ाकिर नाईक उसका आदर्श है।
एनआईए द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक़ सादिया सुसाइड बॉम्बर बनने की ख्वाहिश रखती है। साल 2015 में पुणे के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने उसे कट्टरपंथ से आज़ाद कराने के बाद छोड़ दिया था।
NIA का यह प्रयास हालाँकि व्यर्थ गया। इसके बाद सादिया ने सोशल मीडिया पर दोबारा विवादित और कट्टर विचार साझा करना शुरू कर दिए। इसके बाद साल 2018 में जम्मू कश्मीर पुलिस ने भी उसके तौर-तरीके और मानसिकता में सुधार का प्रयास किया था। तब भी इस प्रक्रिया के बाद उसे छोड़ दिया गया था।
एनआईए ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि सादिया 2015 से ही अनेक आतंकवादी संगठनों से जुड़े लोगों के संपर्क में थी। इसमें इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रोविंस (आईएसकेपी), इस्लामिक स्टेट इन जम्मू एंड कश्मीर (आईएसजेके), अल कायदा, अंसार गज़वत उल हिन्द (एजीएच) पाकिस्तान, श्रीलंका और अफग़ानिस्तान मुख्य थे।
इतना ही नहीं, वह फ़िलीपीन्स स्थित आईएस के ‘ऑनलाइन मोटिवेटर’ करेन ऐशा हमीदोन (karen aisha hamidon) से लगातार संपर्क में थी। इसने भारत के तमाम युवाओं को कट्टरपंथ अपनाने में अहम भूमिका निभाई है। एनआईए के अधिकारी अप्रैल 2018 के दौरान हमीदोन से पूछताछ करने के लिए मनीला भी गए थे।