Friday, April 19, 2024
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अग्निपथ समय की जरूरत, वापस नहीं होगा: NSA अजीत डोभाल का दो टूक, कहा- अग्निवीर तैयारी कर रहे, हिंसा करने वाले सेना के योग्य नहीं

डोभाल ने इस बात पर जोर देकर कहा, "ये मैसेज बड़ा क्लियर होना चाहिए। सेना में जो लोग जाते हैं, वह सिर्फ पैसे के लिए नहीं जाते हैं। वे एक जज्बे के साथ जाते हैं। उनमें देशप्रेम, राष्ट्र की भक्ति और यौवन की शक्ति होती है। अगर वह भावना नहीं है, तो आप इसके लिए नहीं बने हैं।"

अग्निपथ योजना पर देश के कई राज्यों में मचे बवाल के बीच विरोध प्रदर्शन करने वाले युवाओं को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने दो टूक संदेश दिया है। डोभाल ने कहा कि जो अग्निवीर बनने वाला होता है, वह न किसी प्रलोभन में आता है, न वह किसी से बहकाया जा सकता है, न ही वह किसी के दुष्प्रचार के लिए प्रेरित किया जा सकता है। ये जितने भी लोग हैं, मुझे नहीं लगता है कि ये वे लोग हैं जो सेना के लिए और सेना में जाने के इच्छुक और फिट हैं। अग्निवीर अपने घरों में बैठकर तैयारी कर रहे होंगे। उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना की माँग 22-25 साल से लंबित थी।

न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत के दौरान, अजीत डोभाल ने अग्निपथ योजना को समय की जरूरत बताया है। अजीत डोभाल ने अग्निपथ योजना समेत राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी बात की है। उन्होंने कहा, “माहौल बदल रहा है और अब प्राथमिकता देश को सुरक्षित करना है। हालात को देखते हुए संरचना में बदलाव करना होगा। रक्षा क्षेत्र के हर स्तर पर सुधार हो रहा है। सेना की आधुनिकता के लिए सरकार नए हथियार खरीद रही है। हमें अपनी सेना को विश्व स्तरीय सेना बनाना है। ऐसे में इस योजना को वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं है।”

डोभाल ने कहा कि आर्म्‍ड फोर्सेज की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव ‘जरूरत’ के चलते हुआ है। अग्निपथ योजना पर डोभाल का कहना है, “अगर हमें कल के लिए तैयारी करनी है तो हमें बदलना ही होगा। अग्निपथ कोई ‘स्‍टैंडअलोन’ योजना नहीं है। सेना में चार साल बिताने के बाद अग्निवीर जब वापस जाएगा तो वह स्किल्‍ड और ट्रेन्‍ड होगा। वह समाज में सामान्‍य नागरिक की तुलना में कहीं ज्‍यादा योगदान कर पाएगा।”

वहीं ट्रेनिंग पर बात करते हुए डोभाल ने कहा, “अकेले अग्निवीर कभी पूरी सेना तो बनेंगे नहीं। जो अग्निवीर रेगुलर आर्मी में जाएँगे, उनकी कड़ी ट्रेनिंग होगी, अनुभव हासिल करने के लिए वक्‍त मिलेगा। अग्निवीर को बेहद कम उम्र में इतना अनुभव हासिल होगा, उनकी स्किल्‍स डिवेलप होंगी। 25 साल की उम्र में वे सामान्‍य नागरिकों से कहीं ज्यादा योग्‍य और प्रशिक्षित होंगे। पहला अग्निवीर जब रिटायर होगा तो 25 साल का होगा। उस वक्‍त भारत की इकनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर की होगी। ऐसे में तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था को ऐसे लोग चाहिए होंगे। उनमें सेना का जूनून और जज्‍बा कूट-कूटकर भरा होगा। ये लोग बदलाव के वाहक बनेंगे।”

नई भर्ती योजना के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हुए इस सवाल के जवाब में डोभाल ने कहा क‍ि जब बदलाव आता है तो ऐसा होता ही है, घबराहट होती है। उन्होंने कहा क‍ि एक दूसरा वर्ग भी है जिसे देश की शांति, सुरक्षा से कोई मतलब नहीं है। वे बस ऐसे मुद्दे ढूंढ़ते हैं जहाँ भावुकता को बढ़ावा दिया जा सकता है। जो अग्निवीर बनना चाहते हैं, वो इस तरह हिंसा नहीं करते।

उन्होंने इसी मुद्दे पर आगे कहा, “इसमें दो तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं, एक तो वे हैं जिन्हें चिंता है, उन्होंने देश की सेवा भी की है। जब भी कोई बदलाव आता है कुछ चिंताएँ उसके साथ आती हैं। हम इसे समझ सकते हैं। जैसे-जैसे उन्हें पूरी बात का पता चल रहा है वे समझ रहे हैं। जो दूसरा वर्ग है उन्हें न राष्ट्र से कोई मतलब है, न राष्ट्र की सुरक्षा से मतलब है। वे समाज में टकराव पैदा करना चाहते हैं। वे ट्रेन जलाते हैं, पथराव करते हैं, प्रदर्शन करते हैं। वे लोगों को भटकाना चाहते हैं।”

डोभाल ने आगे यह भी कहा, “कुछ लोग जिनके पश्चिमी हित हैं, कोचिंग चला रहे हैं, हमें अंदाजा था कि ऐसा होगा। लेकिन जब उन्‍होंने प्रदर्शन की हदें पार कीं, राष्‍ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बनने लगे, सख्‍ती करनी पड़ेगी। लोकतंत्र में विरोध की इजाजत है, अराजकता की नहीं।” उन्होंने कहा कि ऐलान के बाद से धीरे-धीरे युवाओं को समझ आने लगा है कि ये तो उनके फायदे की बात है। युवाओं के जो भय और आकांक्षाएँ हैं, वो दूर हो जाएँगे।

डोभाल ने इस बात पर जोर देकर कहा, “ये मैसेज बड़ा क्लियर होना चाहिए। सेना में जो लोग जाते हैं, वह सिर्फ पैसे के लिए नहीं जाते हैं। वे एक जज्बे के साथ जाते हैं। उनमें देशप्रेम होता है। उनके अंदर राष्ट्र की भक्ति और यौवन की शक्ति होती है। वो अपने आपको इन्वेस्ट करते हैं। अगर वह भावना नहीं है, तो आप इसके लिए नहीं बने हैं।”

उन्होंने कहा कि भारत सबसे ज्यादा युवा आबादी है। यह दुनिया में सबसे अधिक है। सेना में 25 प्रतिशत युवाओं को एक अलग स्तर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। भारतीय सेना की औसत उम्र सबसे ज्यादा है। देश में अब तक 2 से 3 तीन ही जाति आधारित रेजिमेंट हैं। ऐसे में रेजिमेंट के सिद्धांत के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। जो रेजिमेंट हैं वे रहेंगी। अग्निवीरों को नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया जाएगा। दुनिया के सबसे अच्छे असाल्ट राइफल भारतीय सेना के पास हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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