आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से बौखलाया पाकिस्तान हर रोज नई साजिशें रच रहा है। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई ने जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल जीसी मुर्मू और ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के हालिया चुनावों में जीत हासिल करने वाले उम्मीदवारों की हत्या का प्लान बनाया है। लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों के साथ बैठक कर उसने मुर्मू पर हमले का आदेश दिया है।
आतंकी हमलों में तेजी लाने को लेकर जैश ए मोहम्मद ने 29 अक्टूबर को पीओके के कोटली इलाके स्थित एक मदरसे में कमांडरों के साथ बैठक की है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक इस बैठक में कमांडरों को निर्देश दिया गया कि वे अपने आतंकी शागिर्दों को ज्यादा से ज्यादा हमला करने के लिए उकसाएँ।
मीडिया की ख़बरों में खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि मुर्मू पर हमले का आदेश आईएसआई ने कोटली में लश्कर और हिज्बुल के साथ बैठक में दिया। आईएसआई ने उपराज्यपाल और बीडीसी चुनाव में जीते उम्मीदवारों पर हमले की जिम्मेदारी लश्कर आतंकी जिया-उल-रहमान मीर को सौंपी है। जम्मू-कश्मीर भाजपा के कई बड़े नेता भी लश्कर और हिज्बुल आतंकियों की हिट लिस्ट में हैं।
बता दें कि कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ। इस बौखलाहट में वह लगातार आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश में सीजफायर का उल्लंघन कर रहा है। ख़ुफ़िया एजेंसियों के मुताबिक पाकिस्तान ने खालिस्तान समर्थक समूहों से हाथ मिलाकर एक नया आतंकी संगठन खड़ा किया है। कश्मीर खालिस्तान रेफरेंडम फ्रंट (केकेआरएफ) नामक इस संगठन को भारत में माहौल बिगाड़ने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए आईएसआई नई भर्तियॉं करने और नए आतंकी संगठनों को हथियार मुहैया कराने में जुटा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के बहाने पाकिस्तान विदेश में बसे खालिस्तानी आतंकवादियों को एकजुट करने में लगा है। भारतीय सुरक्षाबालों का ध्यान भटकाने के इरादे से K2 प्लान पर काम कर रहा है। इस योजना के तहत वह खालिस्तानी आतंकियों की मदद से कश्मीर और पंजाब में दहशतगर्दी को बढ़ावा देने की फिराक में है। पंजाब में ड्रोन के जरिए सीमापार से हाथियार पहुँचाने की घटनाएँ भी सामने आई हैं। इसके मद्देनज़र गृह-मंत्रालय पठानकोट में एनएसजी को तैनात करने पर विचार कर रहा है।
बता दें कि भारत सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले कानून को निरस्त कर दिया था। जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बाँटकर केंद्र शासित बना दिया गया है। मुर्मू ने एक नवंबर को जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल के तौर पर शपथ ली थी।