Saturday, November 16, 2024
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‘चाचा (लखवी) ने कहा था जब तक जिंदा रहना मारते रहना’: पढ़िए नार्को टेस्ट में कसाब से क्या हुए थे सवाल, क्या दिया था जवाब

पूछताछ के दौरान आतंकी कसाब ने अधिकारियों को बताया था कि आतंकी सरगना लखवी लोगों को बताते था कि जिहाद एक पाक और साहस वाला काम है। यह अल्लाह का काम है। इससे सम्मान के साथ-साथ खूब पैसे मिलेंगे और गरीबी दूर होगी।

आज मुंबई के दुर्भाग्यपूर्ण आतंकी हमले की 13वीं बरसी है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में साल 2008 में आज ही के दिन यानी 26 नवंबर को पाकिस्तान से समंदर के जरिए देश में घुसे लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने हमला कर 60 घंटे से अधिक समय तक मुंबई में आतंक का खेल खेला। इस हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें 18 सुरक्षाकर्मी भी शामिल थे।

इस हमले को अंजाम देने वाले 9 आतंकियों को ढेर कर दिया गया, लेकिन एक आतंकी आमिर अजमल कसाब को जिंदा पड़ लिया गया। इस वारदात का सच उगलवाने के लिए जब उसका नार्को टेस्ट किया गया तो पता चला कि पाकिस्तान में बैठे उसके आका उसके जैसे गरीब परिवार के लोगों का ब्रेनवॉश कर इस्लामिक जिहाद की आग में झोंक देते हैं।

आइए पढ़ते हैं आमिर अजमल कसाब ने नार्को टेस्ट के दौरान क्या कहा था:-

प्रश्न: चाचा (जकी-उर-रहमान) किस गाँव के रहने वाला है?

उत्तर: मुझे नहीं पता कि वह कहाँ रहता है, लेकिन उसका अपना स्पेशल ऑफिस है। वह वहीं से आता था। इसके बारे में वह किसी को नहीं बताता था।

प्रश्न: तुम्हें मुंबई जाने के लिए किसने तैयार किया?

उत्तर: मुझे मेरे अब्बू ने बोला था। उन्होंने मुझसे कहा, “हम बहुत गरीब हैं, तुम भी दूसरों की तरह ही पैसा कमाओगे। यह मुश्किल नहीं है। हमें पैसे मिलेंगे और हमारी गरीबी दूर हो जाएगी। तुम्हारे भाई-बहनों की भी शादी होगी। तुम भी दूसरों की तरह खुश रहोगे।”

प्रश्न: तुम्हारे परिवार में कौन-कौन हैं?

उत्तर: अम्मी, खाला (बहन)।

प्रश्न: तुम्हारी अम्मी का क्या नाम है?

उत्तर: नूर इलाही, वो करीब 40 साल की हैं।

प्रश्न: वो क्या करती हैं?

उत्तर: वो घरेलू औरत हैं।

प्रश्न: तुम्हारे अब्बू क्या करते हैं?

उत्तर: वह लाहौर में काम करते हैं। उनका नाम आमिर शाबान कसाब है। उनकी उम्र करीब 45 साल है। वह लाहौर में फेरी लगाने का काम करते हैं।

प्रश्न: तुम कितने भाई हो?

उत्तर: हम तीन भाई हैं। पहला है अफजल कसाब और उसकी पत्नी का नाम साफिया है। वह 25 साल का है। उसके दो बच्चे हैं। एक लड़का और एक लड़की। लड़के का नाम आदिल है और वह 7 साल का है। लड़की हाल ही में पैदा हुई थी। मैं उसका नाम नहीं जानता।

प्रश्न: तुम्हें अपने भाई की बेटी का नाम क्यों नहीं पता?

उत्तर: मेरे भाई और उसकी पत्नी के बीच कुछ विवाद है। वे साथ नहीं रहते। वह अपनी अम्मी के साथ रहती है।

प्रश्न: तुमने कितनी पढ़ाई की है?

उत्तर: मैंने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की है।

प्रश्न: तुमने स्कूल जाना कब बंद किया?

उत्तर: मैंने साल 2000 में स्कूल छोड़ दिया। तब से मैं मजदूर के रूप में काम कर रहा था। फिर मैं लाहौर गया और वहाँ भी मजदूरी करने लगा। मैं मोहल्ला तोहिदाबाद, गली नं. 54, मकान नं. 12 में रहता था।

प्रश्न: वहाँ कितने समय तक रहे?

उत्तर: 5 साल। 2000 से 2005 तक। मुझे मेरे काम के लिए अच्छी कीमत नहीं दी जा रही थी। मेरे अब्बू ने मुझे बताया कि हम बहुत गरीब हैं। उन्होंने ही मुझे लश्कर के आदमियों से मिलवाया था।

प्रश्न: तुम्हारे अब्बू (आमिर कसाब) और चाचा (लखवी) एक-दूसरे को कैसे जानते थे?

उत्तर: वे एक दूसरे को मेरे गाँव से जानते थे।

प्रश्न: क्या वो (लखवी) तुम्हारे गाँव गया था?

उत्तर: हाँ, मेरे गाँव के साथ ही दीपलपुर में भी उनका ऑफिस है। वे वहाँ पर लोगों को बुलाते थे, जैसे मेरे अब्बू को बुलाया था। उन्होंने मुझे बताया कि यह बहुत कठिन काम है। यह बहुत सम्मानजनक है। उन्होंने कहा था, बेटा तू जा, तेरी दरिद्रता दूर हो जाएगी। सम्मान मिलेगा।

प्रश्न: वह लोगों को कैसे बुलाता था?

उत्तर: वह लोगों को बताते थे कि यह एक जिहाद है। यह पाक और साहस वाला काम है। यह अल्लाह का काम है और इससे सम्मान मिलेगा। तुम खूब पैसे कमाओगे और तुम्हारी गरीबी दूर होगी।

प्रश्न: तुमने कितने दिनों तक ट्रेनिंग ली थी?

उत्तर: करीब तीन महीने।

प्रस्न: ट्रेनिंग कहाँ हुई?

उत्तर : मनसेहरा शहर के पास ही एक गाँव है बटाल, वहीं ट्रेनिंग हुई।

प्रश्न: कितने लोगों ने ट्रेनिंग ली थी?

उत्तर: ट्रेनिंग के दौरान हमारे बैच में करीब 24-25 लोग थे।

प्रश्न: आज का काम (26/11) खत्म करने के बाद कहाँ जाने वाले थे?

उत्तर: हमारा मरना तय था।

प्रश्न: कैसे?

उत्तर: वह (लखवी) कहते थे तुम स्वर्ग जाओगे। मैंने खुद से कहा यहाँ से भागो, ये सही नहीं लगता।

प्रश्न: तुमने कितने लोगों पर गोलियाँ चलाईं?

उत्तर: मुझे नहीं पता।

प्रस्न: तुमने कितनी गोलियाँ चलाईं?

उत्तर: पता नहीं। शायद दो-ढाई मैगजीन।

प्रश्न: तुमने कितने लोगों को मारा?

उत्तर: मुझे नहीं पता। बस गोली चलाता रहा।

प्रस्न: तुम्हें किसे मारने के लिए कहा गया था?

उत्तर: आम लोगों को।

प्रश्न: ऐसा करते रहने की तुम्हारी कब तक योजना थी?

उत्तर: वह (लखवी) कहा करते थे, जब तक तुम जीवित हो, मारते रहो, मारते रहो।

प्रश्न: कितने लोग साथ आए थे?

उत्तर: और भी थे, लेकिन हम दो लोगों के आँखों पर पट्टी बँधी थी। फिर हमें नाव से उतरने को कहा गया।

प्रश्न: भारत में तुम्हारा साथ कौन दे रहा था?

उत्तर: मुझे नहीं पता। उन्होंने हमें नहीं बताया।

प्रश्न: तो तुम सभी यहाँ जिहाद के लिए आए थे?

उत्तर: (रोते हुए) क्या जिहाद साहब!

प्रश्न: जिन लोगों की मौत हुई वो भी तुम्हारी तरह ही गरीब थे? तुम्हारे जैसे ही लोग मरे?

उत्तर: (रोते हुए) हाँ। अल्लाह मुझे कभी माफ नहीं करेंगे।

प्रश्न: इससे पहले तुमने कहाँ पर हमला किया था?

उत्तर: कहीं नहीं, यह मेरा पहला ऑपरेशन है।

प्रस्न: उन लोगों ने तुम्हारे लिए क्या किया है?

उत्तर: उन्होंने मेरे परिवार को एक बड़ी रकम देने का वादा किया था। वे शायद मेरे परिवार को लाखों रुपए देंगे।

प्रश्न: पैसा कौन देगा?

उत्तर: चाचा पैसे देंगे। उनकी लंबी दाढ़ी है। उनकी उम्र करीब 40-45 साल है। वह जिहादी हैं। वो सोवियत सेना के खिलाफ लड़ने के लिए अफगानिस्तान गए थे।

प्रश्न: उसने तुम्हें क्या बताया?

उत्तर: वो बहुत व्यस्त रहते हैं, लेकिन जब भी आते थे तकरीर देते थे। वो हमसे कहते थे, तुम मुसलमान हो, ये इंसानियत नहीं है। वो लोग तुम्हारे लोगों को मार रहे हैं। उन्होंने ही तुम्हें गरीब बना दिया है।

प्रश्न: जिहाद क्या है? उन्होंने तुम्हें जिहाद के बारे में क्या बताया था?

उत्तर: मुझे नहीं पता। उन्होंने हमें नहीं बताया। उन्होंने हमें केवल बताया था कि यह जन्नत का रास्ता है।

प्रश्न: निर्दोषों को मारने के लिए पैसों के अलावा और क्या कारण था?

उत्तर: कुछ नहीं सर, गरीबी सबसे बड़ा कारण है। अगर किसी व्यक्ति के पास खाने के लिए कुछ नहीं है, पहनने के लिए कुछ नहीं है तो वह कुछ भी कर सकता है।

प्रश्न: तुम्हारी ट्रेनिंग कितने दिनों तक चली?

उत्तर: सबसे पहले नए रंगरूटों को एक महीने की ट्रेनिंग दी जाती थी। फिर परिपक्व लड़कों के लिए अधिक प्रशिक्षण होता है। फिर उन्हें और तीन महीने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

प्रश्न: और?

उत्तर: वो तैयार हैं। इसके बाद कहा जाता था, अब जाओ, मारो। इतना ही।

प्रश्न: तुम्हारी ट्रेनिंग एक साल पहले हुई थी। तुमने एक साल तक क्या किया?

उत्तर: अंत में उसने मुझे कराची भेज दिया। मछली पकड़ने में इस्तेमाल होने वाले लॉन्च में मैं कराची आया था। मुझे लगा कि अब मुझे नौकरी मिल गई है। मुझे ऐसा कुछ नहीं पता था। पैसा घर भेजा जा रहा था। कोई तनाव नहीं था। अब्बू कहते थे बेटा बहुत अच्छा काम करेगा? उन्हें इसकी जरूरत है।

प्रश्न: निर्दोष लोगों की हत्या के अपराध के बारे में क्या?

उत्तर: उन्होंने कहा कि अगर तुम्हें पैसा और प्रसिद्धि चाहिए तो कुछ करना होगा।

प्रश्न: मुंबई कैसे पहुँचे?

उत्तर: हम अजीजाबाद के पास ट्रॉलर में चढ़े थे। हमें बोहरो से एक कार में बोर्डिंग पॉइंट पर लाया गया।

प्रश्न: हमले की योजना कब बनाई गई थी?

उत्तर: हमले की प्लानिंग 26 नवंबर 2008 से एक महीने पहले बनी थी।

प्रश्न: मीटिंग के बारे में बताओ?

उत्तर: इस्माइल और मुझे बुलाया गया था। हमें बताया गया कि सम्मानजनक काम का वक्त आ गया है। मुंबई में हमें हमारे टारगेट की सीडी दिखाई गई थी।

प्रश्न: सीडी में क्या था?

उत्तर: उन्होंने हमें वह रास्ता दिखाया, जिससे हमें जाना था। हमें आजाद मैदान के रास्ते वीटी स्टेशन (सीएसटी स्टेशन) की तस्वीरें दिखाई गईं। हमें बताया गया कि ताज होटल रास्ते में होगा।

प्रश्न: इस्माइल का क्या काम था?

उत्तर: अगर रास्ते में कोई समस्या थी तो उसे इसका ध्यान रखना चाहिए था, क्योंकि वह हम दोनों में बड़ा था।

प्रश्न: मुंबई पर हमला करने वाले सभी आतंकवादियों के नाम बताओ?

उत्तर: फरदुल्लाह, काशा, उमर, इस्माइल, अब्दुर रहमान सीनियर, सोहैब, अब्दुर रहमान जूनियर, ओमैर, अली और मैं (आमिर अजमल कसाब)।

प्रश्न: तुम कब हमला करने वाले थे? यही तारीख चुनने के पीछे क्या कारण था?

उत्तर: हमें हमले की तारीख और समय दिया गया था। अगर हम सुबह पहुँचते हैं तो उन्होंने हमें 10 से 11 के बीच हमला करने के लिए कहा था। अगर हम रात में पहुँचते तो रात 11 बजे तक हमला कर देना था।

प्रश्न: 11 के बाद क्या?

उत्तर: कुछ नहीं, हम मरने वाले थे।

प्रश्न: तुमने मुंबई में मिशन कब शुरू किया?

उत्तर: मुझे याद नहीं है, लेकिन 23 या 24 नवंबर होना चाहिए। हम सभी को एक महीने से अधिक समय तक अजीजाबाद में एक सीक्रेट जगह पर रखा गया था। ऐसा मिशन को गुप्त रखने के लिए किया गया था।

प्रश्न: पाकिस्तान से जिस ट्रॉलर पर सवार होकर आए उसका नाम क्या था?

उत्तर: यह अल-हुसैनी था और इसके मालिक चाचा (जकी-उर-रहमान लखवी) थे।

प्रश्न: वो (चाचा) कहाँ रहते हैं?

उत्तर: मनसेहरा। हम केवल उनके ऑफिस के बारे में जानते थे। वो ट्रेनिंग सेंटर के हेड थे।

प्रश्न: चाचा तुम्हारे साथ कितनी दूर गए थे?

उत्तर: वो तब तक हमारे ही साथ थे, जब तक हम दूसरी नाव पर नहीं चढ़े। यह पाकिस्तान में समुद्र के बीच में कहीं था।

प्रश्न: क्या भारतीय ट्रॉलर का ड्राइवर पाकिस्तानी था?

उत्तर: नहीं, वह एक भारतीय था। उसने किसी से बात नहीं की। उसका स्वभाव काफी गंभीर था।

प्रश्न: तुम्हें किसे मारने का आदेश दिया गया था?

उत्तर: कोई खास नहीं। सिर्फ आम लोग। जब हम वहाँ पहुँचे तो हमें लगा कि यह काम बहुत ही मुश्किल है, इसलिए हमने भागने का फैसला किया।

प्रश्न: पुलिस की गाड़ी तुम्हें कैसे मिली?

उत्तर: पास में ही गाड़ी खड़ी थी। गाड़ी के अंदर मौजूद पुलिस अधिकारी हम पर गोली चला रहे थे। मैं नीचे गिर गया, लेकिन इस्माइल ने उनकी हत्या कर दी और मुझे गाड़ी के अंदर खींच लिया।

प्रश्न: तुमसे किस चीज की माँग करने को कहा गया था?

उत्तर: चाचा द्वारा माँग की जानी थी।

प्रश्न: तुम कितने हैंडग्रेनेड्स ले जा रहे थे?

उत्तर: हम सभी 8 हैंड ग्रेनेड ले जा रहे थे। इस्माइल के पास भी 8 ग्रेनेड थे। सभी को 8 ग्रेनेड दिए गए। केवल एक टीम को अधिक गोला-बारूद दिया गया। अब्दुर रहमान और अली की टीम के पास ज्यादा गोलियाँ लगी थीं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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