बांग्लादेश की जेल से रिहा होने के तीन हफ़्ते बाद कट्टरपंथी मुहम्मद जसीमुद्दीन रहमानी ने जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने की बात कही है। उसने अपने नापाक एजेंडे के लिए पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान स्थित कट्टरपंथियों से भी मदद माँगी है। रहमानी कट्टरपंथी संगठन ‘अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT)’ का नेता है और इस्लामी आतंकी संगठन ‘अलकायदा’ का मुखर समर्थक है।
ऑनलाइन मीडिया हाउस The Print ने शनिवार (7 सितंबर) को एक रिपोर्ट में ये खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रहमानी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन से आजादी की घोषणा करने का भी आग्रह किया था। इतना ही नहीं, उसने खालिस्तानियों के समर्थन से भारत के विघटन में सहायता करने का वादा किया था।
शेख हसीना के तख्ता पलट के बाद BNP एवं जमात जैसे ट्टरपंथियों के सहयोग से बांग्लादेश में बनी मुहम्मद यूनुस सरकार द्वारा छोड़े गए रहमानी का वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो को लेकर द प्रिंट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “अस्पताल के कमरे जैसी दिखने वाली जगह से की गई उसकी भड़काऊ टिप्पणी यूट्यूब पर पोस्ट की गई है और अब यह सोशल मीडिया पर घूम रही है।”
इस वीडियो में इस्लामी कट्टरपंथी मुहम्मद जसीमुद्दीन रहमानी यह कहता हुआ दिख रहा है, “मैं भारत को चेतावनी दे रहा हूँ… बांग्लादेश कोई सिक्किम या भूटान जैसा नहीं है। यह 18 करोड़ मुसलमानों का देश है… अगर आप बांग्लादेश की तरफ़ एक कदम भी बढ़ाते हैं तो हम चीन से कहेंगे कि चिकन नेक बंद कर दो।”
वीडियो में वह आगे कहता दिख रहा है, “हम सात बहनों (सेवन सिस्टर कहलाने वाले पूर्वोत्तर भारत के राज्य) से कहेंगे कि वे स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हों… कश्मीर से कहेंगे कि वह आजादी के लिए तैयार हो जाए। पाकिस्तान और अफगानिस्तान मिलकर कश्मीर को आजादी दिलाने में मदद करेंगे। हम कश्मीर की आजादी के लिए काम करेंगे।”
कट्टरपंथी रहमानी का ममता बनर्जी से विशेष आग्रह
इस्लामी कट्टरपंथी मुहम्मद जसीमुद्दीन रहमानी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कहा, “हम पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी से कहेंगे कि वह बंगाल को मोदी के शासन से मुक्त करें और आजादी की घोषणा करें।” उसने उन खालिस्तानी चरमपंथियों के साथ भी एकजुटता व्यक्त की, जो पंजाब को भारत से अलग करने का ख्वाब देखते हैं।
आतंकी संगठन ABT को दिल्ली पर कब्जे की उम्मीद
वीडियो में रहमानी आगे कहता है, “मैं सिखों से कहूँगा कि तुम्हारा समय आ गया है। अब आजादी का आह्वान करो। भारत के हर प्रांत में जो सिख खालिस्तानी हैं, उनका समय आ गया है।” आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के सरगना ने बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना को अलोकतांत्रिक तरीके से हटाए जाने से प्रेरित होकर दिल्ली पर कब्जे की उम्मीद जताई है।
उसने कहा, “अगर हमें चुनौती दी गई, अगर हमें नजरअंदाज किया गया, अगर हमारे देश में अराजकता पैदा की गई तो बांग्लादेश की तौहीद आबादी जैसे हसीना के खिलाफ उठी है, बांग्लादेश की आजादी की रक्षा के लिए, बांग्लादेश में इस्लाम की रक्षा के लिए, तौहीद एकजुट होकर आपका सामना करेंगे। वह दिन दूर नहीं जब आपका देश भी टूट जाएगा और दिल्ली के ऊपर तौहीद के झंडे लहराएँगे।”
कौन है जसीमुद्दीन रहमानी?
बरगुना में लोगों को हिंसा के लिए उकसाने के मामले में रहमानी को 12 अगस्त 2013 को गिरफ्तार किया गया था। अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के 30 सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया था। 2013 में गिरफ्तारी के बाद से रहमानी जेल में ही था। उस पर छह अलग-अलग मामले चल रहे हैं और पुलिस ने उनके खिलाफ सभी मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी है।
ढाका की एक अदालत ने 31 दिसंबर 2015 को ब्लॉगर राजीब हैदर की हत्या से जुड़े एक मामले में उसे 5 साल की सजा सुनाई थी। यह मामला पल्लबी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। उसने यह सजा पूरी कर ली है। इस चरमपंथी समूह ने कम से कम चार ब्लॉगर्स और लेखकों की हत्या की है।
इस मामले के अलावा मोहम्मदपुर पुलिस स्टेशन में दो, गुलशन पुलिस स्टेशन में एक, बरगुना सदर पुलिस स्टेशन में एक और उत्तर पश्चिम पुलिस स्टेशन में एक मामला दर्ज किया गया था। इन सभी मामलों में मुकदमा लंबित है। दो मामलों में उसे 2020 और 2022 में ढाका के आतंकवाद-रोधी विशेष न्यायाधिकरण द्वारा जमानत दी गई थी।
साल 2022, 2023 और जनवरी 2024 में उसे अन्य तीन मामलों में जमानत दी गई थी। फरवरी 2013 में राजीब हैदर की हत्या के साथ अंसारुल्लाह बांग्ला टीम सुर्खियों में आई थी। मई 2015 में बांग्लादेश सरकार ने संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया। ABT ने 2016 में LGBT अधिकार कार्यकर्ता ज़ुल्हाज़ मन्नान और उनके दोस्त खांडोकर महबूब रब्बी टोनॉय की हत्या में भी शामिल थे।
भारत में अंसारुल्लाह बांग्ला टीम
बांग्लादेश में स्थित अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) अंतरराष्ट्रीय इस्लामी आतंकी संगठन अल कायदा से संबद्ध है। यह बांग्लादेश। के साथ-साथ भारत और म्यामांर में अपनी जड़े जमाने की फिराक में है। साल 2017 में भारत में पैर जमाने की कोशिश कर रहे पाँच एबीटी आतंकवादियों को असम में पकड़ा गया था।
जुलाई 2022 में असम में एबीटी से जुड़े दो मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया था। 2022 में फिर से एबीटी से जुड़े दो इमामों को गिरफ्तार किया गया था। दोनों इमामों को असम के गोलपाड़ा पुलिस ने एबीटी और इस्लामिक आतंकवादी समूह अल कायदा भारतीय उपमहाद्वीप (AQIS) के खिलाफ अभियान के तहत गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस द्वारा कई घंटों तक पूछताछ करने के बाद तिलपारा नतून मस्जिद के 49 साल के इमाम जलालुद्दीन शेख और मोरनोई के टिंकुनिया शांतिपुर मस्जिद के 43 वर्षीय इमाम अब्दुस सुभान को पुलिस हिरासत में ले लिया गया था। जाँच के दौरान दोनों इमामों के घरों से आतंकी संगठनों से जुड़े सामान बरामद हुए थे।
अधिकारियों ने बताया कि जब दोनों इमामों के घरों की तलाशी ली गई तो उन्हें AQIS से जुड़े कई महत्वपूर्ण सबूत मिले थे। इसके अलावा उनके यहाँ से जिहादी साहित्य, पोस्टर, किताबें और मोबाइल फोन, सिम कार्ड और आईडी कार्ड सहित अन्य सामग्री भी मिली थीं। गिरफ्तार किए गए दोनों इमाम बारपेटा और मोरीगाँव में ABT इकाइयों के संपर्क में थे।
अगस्त 2022 में असम के मुख्यमंत्री ने बताया था कि पुलिस ने बांग्लादेशी आप्रावासियों के कई जिहादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। इनमें AQIS से जुड़ा अंसारुल्लाह बांग्ला टीम सबसे अधिक सक्रिय था। पिछले कुछ महीनों में राज्य में एबीटी के पाँच मॉड्यूल पकड़े गए हैं। इन समूहों का भंडाफोड़ खुफिया सूचनाओं के आधार पर किया गया।