हाल में कई रिपोर्टें आई हैं जो बताती हैं कि नेपाल-भारत सीमा पर तेजी से डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है। मस्जिद-मदरसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए 20 से 27 अगस्त 2022 तक ऑपइंडिया की टीम ने सीमा से सटे इलाकों का दौरा किया। हमने जो कुछ देखा, वह सिलसिलेवार तरीके से आपको बता रहे हैं। इस कड़ी की 15वीं रिपोर्ट:
पिछली रिपोर्टों में हमने जानकारी दी थी कि बलरामपुर से बढ़नी बॉर्डर और जरवा बॉर्डर जाने वाली सड़कों पर मौजूद मस्जिद, मज़ारों और इबादतगाहों को लेकर वहाँ के लोग क्या कहते हैं। इस बार हम नेपाल की सीमा को छूती हुई निकलने वाली तुलसीपुर-हर्रैया-सिरसिया रोड पर आगे बढ़ेंगे। इस पूरे रास्ते में नेपाल सीमा के पहाड़ दाईं तरफ दिखाई देते हैं। इस सड़क पर पड़ने वाले सभी गाँव नेपाल के सीमावर्ती गाँव माने जाते हैं। यह मार्ग भी बलरामपुर जिले में स्थित है।
ये रास्ता नेपाल सीमा पर मौजूद हिन्दुओं के सबसे आस्था के केंद्र बिंदु तुलसीपुर देवीपाटन मंदिर के बगल से जाता है। बॉर्डर से छू कर गुजर रहे इस रास्ते पर आगे बढ़ते ही हमें बाकी राहों की तरह इबादतगाहें दिखनी शुरू हो गईं।
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चाँद-तारे वाले ‘गरीब नवाज़ स्कूल’ से शुरुआत
अभी हम हर्रैया रोड पर आगे ही बढ़े थे और तुलसीपुर बाजार खत्म हुआ ही था कि हमें ‘गरीब नवाज प्राथमिक विद्यालय’ दिखाई दिया। यह स्कूल तुलसीपुर क्षेत्र के बैरागीपुरवा नाम की जगह पर बना हुआ है। स्कूल के मुख्य बोर्ड पर फ़ारसी भाषा में स्कूल का नाम लिखा था। इसके बाएँ और दाएँ यही चीज क्रमशः अंग्रेजी और हिंदी में लिखी हुई थी। स्कूल के गेट के सबसे ऊपर चाँद-तारे का निशान बना हुआ था।
सड़क से सटा हुआ बड़ा सा मदरसा
गरीब नवाज स्कूल से हम बमुश्किल 2 किलोमीटर ही आगे बढ़े होंगे कि हमें सड़क से सटा हुआ हरे रंग का बड़ा सा मदरसा दिखाई दिया। ये 2 मंजिला मदरसा है। स्थानीय लोगों ने जानकारी दी कि इसमें आसपास के सैकड़ों बच्चे पढ़ते हैं। इस पर बाहर से अरबी भाषा में ‘मदरसा दारुल उलूम’ लिखा हुआ था। इस मदरसे के बगल में सड़क पर हरे रंग का इस्लामी झंडा भी दिखाई दिया। इस जगह का नाम ओड़ाझार है।
अभी हम ओड़ाझार बाजार में ही मदरसे से बमुश्किल 200 मीटर ही आगे बढ़े होंगे कि हमें एक और इबादतगाह सड़क से सटा कर बनी हुई दिखी। ये इबादतगाह भी हरे रंग की ही थी, जिसके चारों तरफ बाउंड्री की गई थी। दिखने में यह ईदगाह के जैसी लगती है। हालाँकि इसके पीछे एक मस्जिदनुमा मीनार भी बनी हुई है।
सुनसान जगह पर मज़ार और मस्जिद
अभी हमने ओड़ाझार पार ही किया था कि हमें सड़क के दाईं तरफ एकदम सुनसान में एक नई जैसी मज़ार दिखी। हमने देखा कि मज़ार के आस-पास हरे रंग के कई झंडे भी लगे थे। मज़ार खेतों में बनी थी और स्थानीय लोगों का कहना था कि वहाँ से आबादी लगभग आधे किलोमीटर दूर है। मज़ार के पीछे नेपाल बॉर्डर के अंदर मौजूद पहाड़ साफ़ दिखाई हैं।
अभी हम इस मज़ार से महज आधे किलोमीटर ही आगे बढ़े ही थे कि हमें नेपाल सीमा से सटी एक मस्जिद दिखाई दी। यह मस्जिद सफेद रंग की थी और मुख्य सड़क से लगभग 1 किलोमीटर दूर बनी थी। इस गाँव के बाद सीमा के जंगली क्षेत्र शुरू हो जाते हैं। इस मस्जिद में एक मीनार थी।
हल्का अँधेरा हो चला था लेकिन हम आगे बढ़ते रहे। अभी हम करौंदा गाँव में ही थे और पिछली मस्जिद से अधिकतम 100 मीटर ही आगे बढ़े होंगे कि हमें उसी सीमावर्ती क्षेत्र में एक और मस्जिद दिखाई दी। यह मस्जिद भी नेपाल सीमा पर मौजूद पहाड़ों के पास बनी दिख रही थी, जो मुख्य सड़क से लगभग 1 किलोमीटर दूर है। काफी दूर से ही इसकी मीनार देखी जा सकती है।
सड़क से सटा कर मज़ार
2 मस्जिदों और 1 मज़ार वाले करौंदा गाँव से कार से निकले अभी हमें अधिकतम 2 मिनट ही हुआ होगा कि हमें सड़क से ठीक सटा कर एक और मज़ार बनी हुई दिखी। देखने में यह मज़ार सड़क की ही जमीन पर बनी लग रही थी। इस मज़ार को बाकायदा पक्का कर दिया गया था और इसके आसपास ढेर सारे इस्लामी झंडे लगे दिखाई दे रहे थे। इस मज़ार को हरे रंग की चादरों से घेरा गया था, जिसने अच्छी-खासी जगह घेर रखी थी। यह मज़ार भी सुनसान में बनी है, जिसके पीछे किसानों के खेत हैं।
छतों पर मज़हबी झंडे
करौंदा गाँव से हम आगे बढ़ कर पिपरहवा मार्किट में पहुँचे, यहाँ कई घरों की छतों पर मज़हबी और विशेष निशानों वाले झंडे देखे जा सकते हैं। ये झंडे सिर्फ घरों ही नहीं, बल्कि दुकानों पर भी लगे हुए थे।
पिपरहवा बाज़ार में ही हमें 2 मीनारों वाली मस्जिद दिखाई दी। यह मस्जिद सड़क से लगभग 100 मीटर अंदर थी।
सुनसान में एक और मस्जिद
अभी हम पिपरहवा बाज़ार से अधिकतम 1 किलोमीटर ही आगे बढ़े थे कि हमें नेपाल सीमा से सटे गाँव में एक अन्य गाँव में एक और 2 मीनारों वाली मस्जिद दिखी। इस मस्जिद के आसपास खेत थे और आबादी के हिसाब से सन्नाटा था। इस मस्जिद के भी कुछ ही दूर पर नेपाल सीमा के पहाड़ साफ देखे जा सकते हैं। लोगों ने बताया कि इस इलाके में तेंदुआ जैसे जंगली जानवर कभी भी आ जाते हैं।
मस्जिद और मदरसा एक साथ
नेपाल सीमा से सटी रोड पर हम हर्रैया की तरफ आगे बढ़ रहे थे। इस हमें प्रेम नगर बाजार दिखी। यहाँ बाजार के बीचोंबीच में हमें एक मस्जिद दिखी जो एक मीनार वाली थी। स्थानीय लोगों ने हमें बताया कि इस मस्जिद के ठीक पीछे एक मदरसा भी है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में छात्र पढ़ते हैं।
सड़क से अधिक इबादतगाहें गाँवों के अंदर
तुलसीपुर से लगभग 15 किलोमीटर आगे जाने के बाद प्रेम नगर बाजार में ही रात हो गई थी। स्थानीय निवासियों ने जंगली क्षेत्र होने की बात कह कर हमें रात में आगे न जाने की सलाह दी। उन्होंने हमें बताया कि इस्लामी इबादतगाहों के दिखने का ये सिलसिला नेपाल सीमा के साथ चल रही इस रोड पर इसी तरह सिरसिया और आगे तक जाता है। ग्रामीणों ने हमें ये भी बताया कि सड़क से हट कर गाँवों में इस से अधिक मस्जिद और मदरसे दिखेंगे। रात में और आगे न जाने की उन सभी की सलाह मान कर हमने भी बलरामपुर शहर की तरफ वापसी कर ली।
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