उत्तर प्रदेश के कानपुर से समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी को एमपी-एमएलए कोर्ट ने सात साल की सुनाई है। इरफान को एक महिला का घर जलाने और उसके बेटे को पीटने का दोषी पाया है। इस सजा के बाद अब इरफान की विधायकी भी जा सकती है। इरफान के कानपुर दंगों के मुख्य आरोपित के साथ संबंध हैं। इसके अलावा, विधायक के रूप में इसने अवैध बांग्लादेशियों को भारतीय नागरिक के रूप में सत्यापित किया था।
दरअसल, जाजमऊ की डिफेंस कॉलोनी में रहने वाली नजीर फातिमा ने सपा विधायक इरफान सोलंकी, उसके भाई रिजवान सोलंकी और उसके साथियों पर घर में आग लगाने का आरोप लगाया था। फातिमा का आरोप था कि 7 नवंबर 2022 को वह अपने परिवार के साथ एक रिश्तेदार की शादी में गई हुईं थी। उनका बेटा अपने घर पहुँचा तो देखा कि उसके घर में आग लगी हुई है।
महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि इरफान सोलंकी, उसके भाई रिजवान सोलंकी और उनके साथियों ने उनके बेटे से मारपीट भी की थी और उसे आग में धकेलने की कोशिश भी की थी। मामले को लेकर जब विधायक सोलंकी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई तो वह गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो गया था।
इसी साल अप्रैल में (4 अप्रैल 2024) नजीर फातिमा की 14 वर्षीया नातिन (बेटी की बेटी) लापता हो गई थी। वह अपने भाई के साथ स्कूल गई थी, लेकिन लौटकर घर नहीं आई। गुमशुदा की साइकिल रेलवे स्टेशन के पास लावारिस हालत में बरामद हुई है। लापता नाबालिग के अब्बा असलम ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। इसके पीछे भी शंका इरफान सोलंकी पर जाहिर की थी।
बांग्लादेशियों को अवैध रूप से भारत में बसाता था इरफान
इन सब आरोपों से अलग, इरफान सोलंकी पर बांग्लादेशी मुस्लिमों को भारतीय नागरिक होने का सर्टिफिकेट देने और दंगों के आरोपितों के साथ नजदीकी संबंध होने के भी आरोप हैं। दरअसल, दिसंबर 2022 में कानपुर पुलिस ने अवैध तौर पर रह रहे 5 बांग्लादेशी मुस्लिमों को गिरफ्तार किया था। पकड़े गए आरोपितों में 2 पुरुष, 2 महिलाएँ और एक नाबालिग किशोर शामिल थे।
ये सभी घुसपैठिए फर्जी पहचान के साथ भारत में रह रहे थे। इनके पास से कई पासपोर्ट और आधार कार्ड बरामद किए गए थे। इनमें से एक बांग्लादेशी नागरिक कई देशों की यात्रा भी कर चुका था और उसके पास तमाम देशों की करेंसी भी बरामद हुई थी। कानपुर विधायक इरफ़ान सोलंकी ने इन सभी के कागजातों को वेरिफाई किया था।
कानपुर से 5 बांग्लादेशी पकड़े गये नक़ली आधार कार्ड और पासपोर्ट के साथ …पुलिस ने पता किया तो मालूम चला की अखिलेश जी की समाजवादी पार्टी के MLA इरफ़ान सोलंकी ने इन पाँचों को कानपुर का निवासी बनाने के लिये अनेकों बार इनके काग़ज़ों को Certify किया !
— Major Surendra Poonia ( Modi Ka Parivar ) (@MajorPoonia) June 7, 2024
कुछ नहीं हो सकता इस देश का …इस… pic.twitter.com/EqOaO9KK04
दरअसल, 11 दिसंबर को कानपुर के थाना मूलगंज पुलिस को कुछ संदिग्धों के मेस्टन रोड की तरफ जाने की सूचना मिली थी। इस सूचना पर पुलिस ने घेराबंदी की तो 4 लोग पकड़ में आए। उन्हें जब पहचान पत्र दिखाने को कहा गया तब वो लोग टालमटोल करने लगे। पुलिस को गुमराह करने के लिए सभी संदिग्धों ने पहचान पत्र घर पर होने का बहाना बनाने लगे।
पुलिस उन सभी संदिग्धों को लेकर उनके घर पहुँची। वहाँ पुलिस को खालिद माजिद नाम का व्यक्ति पहले से मौजूद मिला। पुलिस ने इनके घर की तलाशी ली तो वहाँ से बांग्लादेशी पासपोर्ट, फर्जी आधार कार्ड, विदेशी करेंसी के साथ लगभग साढ़े 14 लाख रुपए भी बरामद हुए थे। इस बाबत पूछने पर आरोपित कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
आख़िरकार पुलिस ने सभी 5 संदिग्धों को हिरासत में ले लिया था। जब उनसे पूछताछ की गई तो आरोपितों ने बताया कि वो मूल रूप से बांग्लादेश के खुलना जिले के निवासी हैं। संदिग्धों की पहचान 79 साल के ख़ालिद माज़िद, 53 साल के रिज़वान मोहम्मद, 45 साल की हिना खालिद और 21 साल की रुखसार के तौर पर हुई थी। एक अन्य नाबालिग भी पकड़ा गया था।
पुलिस को आरोपितों ने बताया था कि वे साल 2016 से भारत में रह रहे हैं। इन सभी के पास 1001 डॉलर विदेशी मुद्रा और सोने के कई आभूषण बरामद हुए हैं। पकड़ा गया रिज़वान पाकिस्तान, मलेशिया, बांग्लादेश और नेपाल कई बार जा चुका है।
पुलिस ने बताया था कि इन आरोपितों के कागजात विधायक इरफ़ान सोलंकी ने वेरिफाई किए थे। इरफ़ान ने न सिर्फ पकड़े गए आरोपितों को अपने आधिकारिक लेटर हेड पर भारतीय होने का सर्टिफिकेट दिया था, बल्कि उनके कागजातों को लगातार सत्यापित भी किया था। इरफ़ान के अलावा सपा पार्षद मन्नू रहमान ने साल 2019 में इन बांग्लादेशियों के भारतीय होने का प्रमाण पत्र जारी किया था।
कानपुर दंगों के मुख्य आरोपित से भी लिंक
इरफान सोलंकी और उसके साथियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश में जबरन उगाही, सरकारी और निजी जमीन पर कब्जे, अवैध निर्माण जैसे कई मुकदमे दर्ज हैं। इरफान सोलंकी की बिल्डर शौकत अली और हाजी वासी खान के साथ साठ-गाँठ की खबरें भी आती रही हैं। वासी खान साल 2022 के कानपुर दंगों की फंडिंग का आरोपित है। उस पर बांग्लादेशियों को अवैध तरीके से कानपुर में बसाने के आरोप हैं। इस मामले में हाजी वासी खान और उसके गुर्पों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में भी मामला दर्ज है।
मनी लॉन्ड्रिंग में ED कर चुकी है छापेमारी
इरफान सोलंकी की अनियंत्रित रूप से बढ़ रही संपत्तियों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस साल मार्च में उसके कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। दरअसल, साल 2016 से 2022 के बीच विधायक रहते हुए इरफान की संपत्ति में 282 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इरफान सोलंकी के पास ये बेहिसाब बेनामी संपत्ति मनी लॉन्ड्रिंग करके बनाई गई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इरफान ने फर्जी कंपनियों के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग को अंजाम दिया। साल 2015-16 और साल 2022-23 के बीच इरफान के एकाउंट से पता चला था कि उनमें करीब साढ़े 12 करोड़ रुपए नकद जमा किए गए, जबकि इनकम टैक्स रिटर्न्स महज 6 लाख रुपए की भरी गई थी। इरफान और उसका भाई रिजवान जिस 1000 स्क्वायर मीटर के बंगले में रहते हैं, उसकी कीमत करीब 10 करोड़ रुपये है।
एजेंसी के अनुसार, ये दौलत भी अवैध तरीके से बनाई गई है। ईडी की छापेमारी में कुछ डायरियाँ बरामद हुई थीं, जिनमें करीब 40 से 50 करोड़ रुपए के लेनदेन की जानकारी सामने आई थी। इसके अलावा, मुंबई में 5 करोड़ की जमीन के कागजात भी मिले थे। यही नहीं, छापेमारी के दौरान नकदी के साथ ही डिजिटल डिवाइस भी बरामद की गई हैं, जिसकी जाँच की जा रही है।