Wednesday, May 21, 2025
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1971 के बाद पहली बार पूरे देश में गूँजेगी ‘रेड सायरन’, पाकिस्तान बॉर्डर पर लड़ाकू विमान भरेंगे उड़ान: ब्लैकआउट-मॉक ड्रिल से लेकर मोदी सरकार के NOTAM तक जानिए सब कुछ

ब्लैकआउट, यानि अँधेरा करना - ये भी इस अभ्यास का एक अहम हिस्सा है। जब ब्लैकआउट का सायरन बजता है, तब सभी तय SOP का अनुसरण किया जाना चाहिए। सायरन कैसे काम कर रहा है और लोग प्रतिक्रियास्वरूप क्या कर रहे हैं, ये जाँचा जाएगा। लोगों को समझाया जाएगा कि कैसे और क्या करना है, घबराना नहीं है।

पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने 26 पर्यटकों को उनका धर्म पूछ-पूछकर मार डाला, हत्या से पहले उनके पैंट उतरवा कर चेक किए गए कि खतना हुआ है या नहीं। इस नरसंहार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैन्य अधिकारियों और मंत्रियों के साथ कई दौर की बैठकें की हैं। इसी क्रम में बुधवार (7 मई, 2025) को देशभर में मॉक ड्रिल का ऐलान किया गया। भारत पहले ही सिंधु जल समझौता को निलंबित कर पाकिस्तान का पानी रोक चुका है, पाकिस्तानियों के लिए वीजा बंद कर चुका है और पाकिस्तान से आयात-निर्णय पर प्रतिबंध लगा चुका है।

क्या होता है मॉक ड्रिल

अब लोगों के मन में ये सवाल आ सकता है कि ये मॉक ड्रिल आखिर है क्या? देश में इस स्तर का नागरिक सुरक्षा अभ्यास पहली बार हो रहा है। इससे पहले 1971 में पूरे देश में मॉक ड्रिल हुई थी। सिविल डिफेन्स DG विवेक श्रीवास्तव ने कहा कि इस मॉक ड्रिल से लोगों को घबराना नहीं चाहिए, ये इसीलिए हो रहा है ताकि नागरिक सुरक्षा के जो SOPs (मानक संचालन प्रक्रिया) हैं, उन्हें जाँच-परख कर ठीक रखा जाए। ज़रूरी नहीं है कि केवल युद्ध के समय ही ये मॉक ड्रिल होता है।

मॉक ड्रिल के जरिए ये जाँचा जाता है कि क्या भूकंप, बाढ़, केमिकल लीक, आतंकी हमले और परमाणु बमबारी की स्थिति में हम बचाव के लिए कितने तैयार हैं इसे जाँचा जाए। कोई कमी है तो दुरुस्त किया जाए। शीत युद्ध के दिनों में कई देश बार-बार इसे आजमाते थे। परमाणु हमला, हवाई हमला या फिर की स्थिति में ब्लैकआउट (महत्वपूर्ण स्थलों को बचाने के लिए वहाँ बिजली काटकर अँधेरा करना) और राहत व बचाव कार्य का अभ्यास किया जाता है।

इससे पहले 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध से पहले मॉक ड्रिल हुई थी। इस दौरान गुप्त सैन्य अभियान चलाया गया था पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) को आज़ाद कराने के लिए बनी ‘मुक्ति वाहिनी’ के साथ समन्वय का अभ्यास किया गया था। ‘मुक्ति वाहिनी’ की फ़ौज को उस दौरान गुरिल्ला युद्ध तकनीक से प्रशिक्षित किया गया, पाकिस्तान में घुसकर वहाँ के निशानों को ध्वस्त करने जैसे अभ्यास भी किए गए थे। मंढोल और चाचरो में घुसकर भारतीय सेना ने पाकिस्तानी फ़ौज को नेस्तनाबूत किया।

मॉक ड्रिल में क्या-क्या किया जाएगा

7 मई से सभी जिलों के डीएम भी सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की सूची में नाम व संपर्क सूत्र जैसे विवरण दुरुस्त करेंगे। नागरिकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। जिन जिलों में हमलों का ज़्यादा ख़तरा है, वहाँ विशेष ध्यान दिया जाएगा। आपात स्थित में डीएम तुरंत स्वयंसेवकों को जुटाकर राहत व बचाव में लगा सकें, इसकी तैयारी की जाएगी। आइए, अब जानते हैं कि मॉक ड्रिल में क्या-क्या होगा और किन-किन चीजों की तैयारी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

सबसे पहले तो हवाई हमले की चेतावनी जारी की जाएगी, सायरन बजाकर। ‘रेड सायरन’ 1971 के बाद पहली बार बजेगा। किसी भी हवाई हमले की स्थिति में नागरिक तैयार रहें, इसीलिए ये सायरन बजाए जाएँगे। जो फ्रंटलाइन क्षेत्र हैं, वहाँ नागरिकों को बचाव के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें संरक्षित क्षेत्र में कैसे जल्द से जल्द घुसना है, ये बताया जाएगा। जैसे, जम्मू कश्मीर के उरी में पहले से ही बंकर बनाकर रखे गए हैं। जम्मू कश्मीर के ही अरनिया में छात्रों को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है कि कैसे आपात स्थिति में उन्हें लोगों के साथ सुरक्षित जगहों पर पहुँचना है।

ब्लैकआउट, यानि अँधेरा करना – ये भी इस अभ्यास का एक अहम हिस्सा है। जब ब्लैकआउट का सायरन बजता है, तब सभी तय SOP का अनुसरण किया जाना चाहिए। सायरन कैसे काम कर रहा है और लोग प्रतिक्रियास्वरूप क्या कर रहे हैं, ये जाँचा जाएगा। लोगों को समझाया जाएगा कि कैसे और क्या करना है, घबराना नहीं है। रक्षा, सशस्त्र बलों, सैन्य और मेडिकल ठिकानों के अलावा अन्य रणनीतिक ठिकानों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। संस्थाओं के साथ आपात स्थिति में निकासी की प्रक्रिया पर चर्चा की जाएगी।

प्राकृतिक आपदा के हिसाब से संवेदनशील क्षेत्रों में भारत में मॉक ड्रिल होता रहा है। सुरक्षा कारणों से पिछला मॉक ड्रिल 2008 में 26/11 मुंबई हमलों के बाद हुआ था। 2001 में संसद भवन पर हमले के बाद दिल्ली समेत कुछ इलाक़ों में मॉक ड्रिल हुई थी। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में मॉक ड्रिल की गई थी। मार्च 2025 में ताइवान, नवंबर 2023 में जापान, और कुछ ही दिनों पहले फ़िनलैंड मॉक ड्रिल आयोजित कर चुका है। ताइवान ने सुनामी और जापान ने मिसाइल हमले की स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल किया।

मॉक ड्रिल के साथ-साथ युद्धाभ्यास भी

भारत के मॉक ड्रिल की बात करें तो 33 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में 259 स्थलों पर मॉक ड्रिल आयोजित किया जाएगा। NDRF और SDRF जैसे राष्ट्रीय आपदा बल भी इस अभ्यास का हिस्सा बनेंगे। अस्पताल घायलों के इलाज के लिए कितने तैयार हैं, ये देखा जाएगा। मिसाइल अटैक की स्थिति में नागरिकों को बेसमेंट या सबवे में छिपने को कहा जाएगा। जम्मू कश्मीर में ये ड्रिल्स पहले से शुरू हैं, स्कूलों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। लखनऊ में भी छोटी-मोटी ड्रिल हो चुकी है।

पुलिस ने पर्यटन स्थलों व भीड़-भाड़ वाले बाजारों में गश्ती बढ़ा दी है। होमगार्ड्स को भी सक्रिय कर दिया गया है। अस्पताल ही नहीं, अग्निशमन विभाग की तैयारी भी जाँची जाएगी क्योंकि हमलों से आग लगने की स्थिति में भारतीय वायुसेना के साथ कम्युनिकेशन रेडियो जाँचा जाएगा। आपात स्थिति में प्रशासनिक इकाइयों तक सन्देश तुरंत पहुँचने चाहिए। ये ड्रिल नहीं है बल्कि वास्तविकता का रिहर्सल है, ऐसा वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है। आम लोगों को फर्स्ट एड की ट्रेनिंग भी दी जाएगी

पाकिस्तान की सीमा के पास भारत युद्धाभ्यास भी करेगा। इसके लिए भारत सरकार ने NOTAM, यानी नोटिस टू एयरमैन भी जारी किया है। ये वो अधिसूचना है, जो भारतीय वायुसेना को किसी भी प्रकार के ख़तरे या आपात स्थिति को लेकर सूचित करती है। इस युद्धाभ्यास से भारत की सैन्य तत्परता को प्रदर्शित किया जाएगा। राजस्थान में भारतीय सीमा पर भी IAF युद्धाभ्यास करेगी। यह युद्धाभ्यास 7 मई को रात 9:30 बजे शुरू होगा और 8 मई को सुबह 3:00 बजे तक जारी रहेगा। पिनाका जैसी मिसाइलें भी दागी जाएँगी। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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