Saturday, July 27, 2024
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बंगाल की प्रज्ञा 2009 में धोखे से बना दी गई थी आएशा: करती थी आतंकी संगठन JMB में महिलाओं की भर्ती, ढाका से गिरफ्तार

प्रज्ञा (आएशा) को काम दिया गया था जिसके तहत उसे हिंदू लड़कियों को इस्लाम धर्म स्वीकार करने का लालच देना था। इसके बाद आएशा लड़कियों का कट्टर सलफी मौलवी से परिचय कराती थी। अंत में उन्हें जेएमबी में शामिल करने की तैयारी की जाती थी। ‘जेएमबी’ बंगाल में काफी सक्रिय है और बड़े पैमाने पर यही काम करता है।

ढाका पुलिस की काउंटर टेररिज्म एंड ट्रांसनेशनल क्राइम (सीटीटीसी) की इकाई ने शुक्रवार (जुलाई 17, 2020) को एक आएशा नामक (पहले प्रज्ञा) महिला को गिरफ्तार किया। गिरफ़्तार की गई 25 वर्षीय महिला गैर क़ानूनी संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी) की सदस्य है।   

पूछताछ के दौरान कई हैरान कर देने वाली बातें सामने आई हैं। पूछताछ में उसने बताया कि उसका जबरन धर्मांतरण कराया गया था। असल में वह हिंदू थी, कक्षा 9 में पढ़ती थी तब उसे जबरन इस्लाम धर्म कबूल कराया गया। आएशा का असली नाम प्रज्ञा देबनाथ था।   

आएशा कोलकाता के धनियाकाली पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले गाँव पश्चिम केशाबपुर की रहने वाली थी। पढ़ाई के दौरान उसकी सबसे अच्छी दोस्त मुस्लिम थी। उसके प्रभाव में बेहद खुफ़िया तरीके से प्रज्ञा (आएशा) का धर्म परिवर्तन कराया गया। साल 2009 के दौरान धोखे से उसे इस्लाम धर्म कबूल कराया गया।   

बेहद खुफ़िया तरीके से ही प्रज्ञा को अपना नाम बदलने के लिए भी मजबूर किया गया। जिसके बाद उसे अपना नाम आएशा जन्नत मोहोना रखना पड़ा। इसके अलावा आएशा के शहर में ही रहने वाले सलफ़ी मौलवी की वजह से कट्टरता का शिकार होना पड़ा। कुछ सालों पहले ही प्रज्ञा जेएमबी की महिला इकाई से जुड़े नेताओं के संपर्क में आई। जिसके बाद उसे जेएमबी की सदस्यता दिलाई गई। महिला इकाई की मुखिया असमानी खातून (बोंदी जिबोन) ने आएशा को सदस्यता दिलाने में अहम भूमिका निभाई।   

प्रज्ञा (आएशा) को काम दिया गया था जिसके तहत उसे हिंदू लड़कियों को इस्लाम धर्म स्वीकार करने का लालच देना था। इसके बाद आएशा लड़कियों का कट्टर सलफी मौलवी से परिचय कराती थी। अंत में उन्हें जेएमबी में शामिल करने की तैयारी की जाती थी। ‘जेएमबी’ बंगाल में काफी सक्रिय है और बड़े पैमाने पर यही काम करता है। प्रज्ञा से आएशा बनी गिरफ्तार युवती से अभी और पूछताछ होनी है।   

इस मामले पर डेली स्टार में एक रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई थी जिसमें सीटीटीसी के असिस्टेंट कमिश्नर एसके इमरान हुसैन के बयान का ज़िक्र था। उसके मुताबिक़ आएशा ने साल 2016 से ही ढाका में घूमना शुरू कर दिया था। सबसे पहले उसने नकली जन्म प्रमाण पत्र बनवाया। इसकी मदद से बांग्लादेशी पहचान पत्र भी बनवाया। इतने के अलावा उसके पास एक भारतीय पासपोर्ट भी बरामद हुआ है।   

आएशा को संगठन से फंड इकट्ठा करने की ज़िम्मेदारी भी मिली थी। इमरान हुसैन ने यह भी कहा ‘आएशा ने हाल ही में आमिर हुसैन सद्दाम नाम के बांग्लादेशी युवक से फोन पर शादी की। फिलहाल वह ओमान में रह रहा है। अपने पति के सुझाव पर वह पिछले साल अगस्त महीने से बांग्लादेश में रह रही है। उसने ढाका में घर लिया और शहर के ही केरानीगंज और नारायणगंज इलाके में स्थित मदरसे में धार्मिक शिक्षक बन गई।’   

उसका मुख्य कार्य यही था कि सबसे पहले वह ऐसे युवाओं की पहचान करे जिन्हें आसानी से कट्टरपंथी बनाया जा सकता है। इसे बाद उन्हें जेएमबी की सदस्यता दिलवाना था। इस साल के फरवरी महीने में आएशा (प्रज्ञा) की दिशा निर्देशक अस्मानी खातून गिरफ्तार की गई थी। जिसके बाद उसने मदरसे में पढ़ाना बंद कर दिया था। फिर वह जेएमबी के सोशल मीडिया के सहारे युवाओं को प्रभावित करती थी।   

पुलिस ने अपने द्वारा दी गई जानकारी में यह भी बताया कि पिछले कुछ महीनों में उसने कई युवाओं को जेएमबी की सदस्यता दिलाई। इस दौरान उसने कई बार अंतरराष्ट्रीय सीमा भी पार की। डेली स्टार में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़, गिरफ्तारी के बाद और जाँच के दौरान वह थोड़ी देर के लिए भी परेशान नज़र नहीं आई। जिससे एक बात साफ़ हो जाती है कि वह अपने काम में कितनी माहिर है और उसे अपने लक्ष्य के अलावा बहुत कम बातें समझ आती हैं।   

सबसे पहले वामपंथी सरकारों ने पश्चिम बंगाल में मुस्लिम तुष्टिकरण की शुरुआत की। इसके बाद इस काम को कई कदम आगे लेकर गई तृणमूल कॉन्ग्रेस। जिसके चलते पश्चिम बंगाल में इस्लामी कट्टरपंथियों और मौलवियों के लिए कुछ भी करना बहुत आसान है। पूरे बंगाल में सलफ़ी मौलवियों ने ऐसे हज़ारों मदरसे और मस्जिदें बनाई हैं। जिन्हें खाड़ी के देशों से फंड मिलते हैं, यहाँ कट्टर पंथ और धर्म परिवर्तन के अलावा कुछ और नहीं होता है। जेएमबी के भी तमाम आतंकवादियों ने रिफ्यूजी बन कर बंगाल में शरण ले रखी है।  

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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