राहुल गाँधी ने 17 अप्रैल 2019 को एक वीडियो शेयर किया। यह वीडियो वामपंथियों की प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘द वायर’ द्वारा बनाई गई है। वीडियो में यह दिखाया गया है कि कुम्भ मेले के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन स्वच्छता कार्यकर्ताओं के पैर धोए थे, वो मोदी से असंतुष्ट हैं।
Excerpts from a documentary by the Wire, that tells the story of the men & women PM Modi used in his made for media, “washing feet” event.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 17, 2019
Unfortunately, other than the photo op, he had no interest or time for the “mann ki baat” of those whose feet he washed. pic.twitter.com/yQzhLCHERc
राहुल गाँधी ने ट्विटर पर लिखा कि पीएम मोदी द्वारा स्वच्छता कार्यकर्ताओं के पैर धोने की घटना ‘मीडिया के लिए बनाया गया’ एक कार्यक्रम मात्र और फोटो-ऑप्स था। पीएम को स्वच्छता कार्यकर्ताओं के ‘मन की बात’ जानने में न तो कोई दिलचस्पी थी, न ही समय।
वीडियो पर शक क्यों?
17 तारीख को लगभग साढ़े तीन बजे दोपहर में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को एक ऐसा वीडियो मिल जाता (दिया जाता है – सटीक शब्द) है, जो कहीं और पब्लिश ही नहीं हुआ। अगर यह किसी आम यूजर के द्वारा बनाई गई वीडियो होती तो शायद यह दिलचस्पी न जागती। लेकिन यह वीडियो शूट से लेकर एडिटिंग तक ‘द वायर’ के द्वारा की गई है। दिलचस्पी इसलिए जाग गई क्योंकि खबर 19 तारीख को लिखी जा रही है और अभी तक द वायर ने यह वीडियो पब्लिश नहीं की है। ऐसा क्यों? कोई मीडिया हाउस आखिर क्यों अपने ही एक्सक्लुसिव वीडियो को पब्लिश करने से पहले किसी नेता को देगा? जवाब न तो वायर देगा, न ही राहुल गाँधी – उम्मीद करना ही बेमानी है! लेकिन इस ‘फर्जी’ वीडियो शेयरिंग प्रकरण के बाद पब्लिक यह तो जान गई है कि वामपंथियों की प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘द वायर’ कॉन्ग्रेसियों के लिए भी भाईचारे का ही व्यवहार रखती है।
वीडियो ‘फर्जी’ क्यों?
कोई वीडियो कितनी सच्ची या कितनी झूठी है – यह उसके एडिटेड वर्जन के साथ-साथ रॉ वर्जन को देखने पर समझा जा सकता है। इस मामले में ‘द वायर’ ने न तो एडिटेड वर्जन ही पब्लिश किया है, न ही रॉ। ऐसे में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के द्वारा शेयर किए गए एडिटेड वीडियो पर शक और गहरा जाता है। क्योंकि इस वीडियो में कई लोगों के अलग-अलग शब्दों, छोटे-छोटे वाक्यों को बिना किसी संदर्भ के आपस में जोड़ा गया है। ‘द वायर’ का रिपोर्टर क्या सवाल पूछ रहा है, जिसका जवाब वीडियो में दिया जा रहा है, आप पूरी वीडियो में नहीं सुन पाएँगे। मतलब वीडियो की सत्यता के लिए आपको रॉ वीडियो से तुलना वाले रास्ते से कुछ अलग अपनाना होगा। OpIndia इसके लिए उन लोगों तक पहुँचा, जिनकी बातों को घुमा-फिराकर ‘द वायर’ ने वीडियो में पेश किया है।
शक इसलिए भी जाता है क्योंकि यह वीडियो कुम्भ खत्म होने के बाद शूट किया गया है। कहीं-कहीं लोगों को यह पता भी नहीं है कि कैमरा ऑन (कैमरा के एंगल को गौर से देखिए) है। और सबसे बड़ी वजह – जिन पाँच लोगों के पैर प्रधानमंत्री ने धोए थे, उनकी बाइट शुरू में लगाई है। तब वो सारे सामान्य बात कर रहे हैं। वीडियो जब आगे बढ़ती है तो दूसरे लोगों के साथ कंटेंट को एडिट किया गया है। मतलब एक सवाल पर एक जवाब के बजाय, जवाब-प्रतिक्रिया-जवाब-प्रतिक्रिया का खेल खेला गया है। ऊपर राहुल गाँधी द्वारा शेयर किए वीडियो को देख चुके हैं तो अब देखिए वो एक्सक्लुसिव वीडियो, जहाँ प्यारेलाल पीएम मोदी को दोबारा-तिबारा प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएँ दे रहे हैं। इसके साथ ही वो राहुल गाँधी और ‘द वायर’ के फर्जीवाड़े पर तमाचा भी जड़ रहे हैं।
दोनों वीडियो को सुनिए। तुलना कीजिए। प्रोपेगेंडा स्पष्ट हो जाएगा। OpIndia के एक्सक्लुसिव वीडियो में प्यारेलाल खुल कर बताते हैं कि वो सरकार की सभी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। वो न सिर्फ प्रधानमंत्री से बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी काफी संतुष्ट हैं। प्यारेलाल ने यह भी स्पष्ट किया कि जो वीडियो पहले से सोशल मीडिया पर (राहुल गाँधी वाली) शेयर की जा रही है, वो एकदम झूठ है और अफवाह फैलाने के लिए बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
जिन पाँच लोगों के पाँव पीएम नरेंद्र मोदी ने धोए थे, उनमें से एक नरेश कुमार भी थे। OpIndia ने उनसे भी बात की। प्यारेलाल की तरह नरेश भी अपने गाँव में मिल रही सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं और अगर कोई दिक्कत होती है तो ग्राम प्रधान उसका समाधान निकालते हैं। यह राज्य और केंद्र दोनों सरकारों से संतुष्ट हैं। राहुल गाँधी वाले वीडियो की बात पर इन्होंने स्पष्ट किया कि मीडिया अपने मन से अफवाह फैलाती है और उनका इससे कोई सरोकार नहीं है।
OpIndia द्वारा हासिल किए गए वीडियो से यह स्पष्ट होता है कि राहुल गाँधी ने पीएम मोदी की गलत तस्वीर पेश करने के लिए दुर्भावनापूर्ण तरीके से वीडियो शेयर की – ऐसा वीडियो, जो ‘फर्जी’ है और जिसकी कोई प्रामाणिकता नहीं है। उपरोक्त दो प्रमाणों से, यह स्पष्ट है कि जिन दो लोगों का साक्षात्कार ‘द वायर’ ने लिया था, उनके संदर्भ को वीडियो से निकाल दिया गया। उनके शब्दों के साथ दुर्भावनापूर्ण तरीके से खेला गया। इन दो लोगों के अलावा बाकी के वीडियो की सच्चाई का केवल तभी पता लगाया जा सकता है जब ‘द वायर’ पूरी रॉ वीडियो जारी करे। एडिटेड वीडियो से सिर्फ प्रोपेगेंडा फैलाया गया है – यह प्रमाणित हो चुका है।