राजस्थान के भरतपुर स्थित एक गाँव में में ईसाई में धर्मांतरण की घटना में 20 महिलाओं सहित 28 लोगों को हिरासत में लेने के बाद उन्हें जमानत मिल गई है। ईसाइयों की चंगाई सभा में धर्मांतरण के लिए 100 से अधिक लोगों को बुलाया गया था। इस मामले में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। वे लोग हर महीने 10 हजार रुपए देने और कैंसर जैसी बीमारी का इलाज करने का दावा कर रहे थे।
धर्मांतरण सभा में बुलाए गए लोगों को पैसे के साथ-साथ कैंसर जैसी बीमारियों का मुफ्त इलाज का लालच दिया गया था। सभा में आरोपित हिन्दू-देवी देवताओं के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे। जब इसका एक व्यक्ति ने विरोध किया तो उसे अपमानित किया गया और धमकी दी कि ईसा मसीह उसे भस्म कर देंगे। ईसा मसीह के सामने हिन्दू देवी-देवता कमजोर बताया जाता था।
दरअसल, सिमको रेलवे फाटक संख्या 39 के निकट एक मकान में शुक्रवार (5 जुलाई 2024) की सुबह धर्म-परिवर्तन सभा चल रहा था। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को जब इसकी जानकारी मिली तो वे पहुँचकर विरोध करने लगे। इसके बाद उन लोगों के साथ मारपीट की गई। इसकी सूचना मिलने पर थाना मथुरा गेट पुलिस मौके पर पहुँची और 28 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
मथुरा गेट थाना इंचार्ज करन सिंह राठौड़ ने बताया कि आरोपितों के खिलाफ धारा 299 (किसी धर्म को लेकर विद्वेष पूर्ण कार्य करने) और 302 (शब्दों के माध्यम से किसी को धर्म बदलने के लिए प्रेरित करने) में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। शनिवार (6 जुलाई) को कोर्ट ने रविंद्र कुमार को जमानत दे दी। बाकी लोगों को शुक्रवार को ही 5-5 हजार के मुचलके पर जमानत दे दी गई थी।
इस घटना का मुख्य आरोपित 39 वर्षीय रविंद्र कुमार और 32 साल की उसकी पत्नी रूबी हैं। दोनों फाटक नंबर 39 और एक अन्य आरोपित फूल सिंह डीग के तेलीपाड़ा का निवासी है। दोनों पति-पत्नी शहर में चर्च फाउंडेशन चलाते हैं। इन्होंने पंजाब के चंडीगढ़ से बाकायदा ट्रेनिंग भी ली थी। ये वॉट्सऐप ग्रुप से लोगों को जोड़ते थे और सेंटर में कैंसर जैसी बीमारी को ठीक करने का दावा करते थे।
घटना को लेकर FIR निरंजन सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “आरोपित सभा में शामिल लोगों से कह रहे थे कि देवी-देवताओं की मूर्ति पूजा छोड़कर ईसाई धर्म अपनाओ। हिंदू देवी-देवताओं ने कोई अवतार नहीं लिया। भगवान श्रीकृष्ण के बारे में अपशब्द कहे और हिंदू धर्म को सबसे नीच बताया। यह भी कहा कि यीशु सबसे बड़े भगवान हैं। उनकी सेवा करोगे तो स्वर्ग मिलेगा।”
दैनिक भास्कर के अनुसार, FIR में कहा गया है, “सभा में आरोपितों ने लोगों से कहा कि देवी-देवताओं की मूर्तियाँ तोड़कर फेंक दो। सभा में आने वालों को 10,000 रुपए बोनस और फ्री इलाज का लालच दिया गया। लगातार आने पर बोनस बढ़ने की बात भी कही। जब हमने विरोध किया तो रविंद्र ने कहा- भाग जा यहाँ से, वरना यीशु तुझे भस्म कर देंगे। तेरे देवता यीशु के सामने नहीं रुक सकते।”
पुलिस की जाँच में रविंद्र के घर से करीब 5 बाइबिल और ईसाई धर्म की अन्य प्रचार सामग्री मिली है। उन सबको जब्त कर लिया गया है। आरोपित रविन्द्र कुमार के मोबाइल में कई वॉट्सऐप ग्रुप भी मिले हैं। इनमें लोगों को सेंटर से जुड़ने को लेकर मैसेज किए गए थे। पुलिस इस मामले में रविंद्र कुमार के बैंक खातों को खंगाल रही है और फंडिंग के स्रोत के बारे में पता लगा रही है।
विहिप के जिला अध्यक्ष लाखन सिंह ने बताया कि रविंद्र कुमार भरतपुर के अजान गाँव का रहने वाला है। वह कई सालों से भरतपुर में धर्म परिवर्तन का सेंटर चला रहा है। इसमें उसकी पत्नी भी साथ देती है। रविंद्र की पत्नी ने चंडीगढ़ में धर्म परिवर्तन की ट्रेनिंग ली। इसके बाद दोनों ने धर्म परिवर्तन का सेंटर शुरू किया। वे गाँव-गाँव और बस्तियों में जाकर लोगों को ईसाई धर्म के बारे में बताने लगे।
लाखन सिंह ने बताया कि रविंद्र ने अपने घर से देवी-देवताओं की तस्वीरें निकालकर नाली में फेंक दी थी। अजान गाँव के लोगों को जब पता चला तो उसे और उसकी बीवी को पीटकर गाँव से भगा दिया। उसके बाद दोनों भरतपुर के एकता विहार कॉलोनी में प्लाॅट लेकर उस पर धर्मांतरण सेंटर चलाने लगे। वहाँ से लोगों ने भगाया तो वे रेलवे फाटक आ गए। इस दौरान इस काम में रविंद्र का भाई भी जुड़ गया।