पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर अक्सर चुप्पी साध लेने वाले पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी ने 3 दिन पहले सोशल मीडिया के जरिए चीन में उईगर और उम्माह की स्थिति पर चिंता जाहिर की। साथ ही उन्होंने अपने प्रधानमंत्री इमरान खान से भी इसके ख़िलाफ़ बोलने की गुहार लगाई और कहा उईगर मुस्लिम उनके भाई-बहन ही है। लेकिन, इसी बीच चीन से एक राजदूत ने उन्हें उनके ट्वीट का जवाब दिया और शाहिद को बिना कोई जवाब-सवाल किए अपना ट्वीट तुरंत डिलीट करना पड़ा।
दरअसल, चीन में उईगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार के ख़िलाफ़ शाहिद ने रविवार को ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था, “उईगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार की खबरों से दिल दुखी है। मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से अपील करता हूँ कि वो इस बारे में जरूर बोलें। जब हम दुनियाभर के मुस्लिमों के बीच एकता की बात करते हैं तो इसमें हमारे चीन में रहने वाले उईगर भाई और बहनें भी शामिल हैं। मैं चीनी दूतावास से भी अपील करता हूँ कि वो इस मसले पर मानवता का परिचय दें और वहाँ के मुस्लिमों के साथ उचित व्यवहार करें।”
अब इस ट्वीट के बाद, चीन के एक राजदूत लिजियां झाओ ने उनको ट्वीट पर ही जवाब दिया और लिखा,”मुझे लगता है कि चीन के ख़िलाफ़ पश्चिमी प्रोपगेंडा के कारण तुम बरगला गए है। हम यहाँ की स्थिति को देखने के लिए तुम्हारा स्वागत करते हैं। तुम्हें यहाँ एक अलग ही शिनजियांग मिलेगा। पश्चिमी चीन का बुरा दिखा रहा है और मुस्लिमों की भावनाओं को भी ठेस पहुँचा रहा हैं।”
Just one reply from the Chinese & Afridi had to delete his tweet. This is what fascism look like!?@SAfridiOfficial.. Imran apne boss k saamne kyu mooh kholega? pic.twitter.com/u8xPco1ivo
— φ (@decibel008) December 25, 2019
हालाँकि, सोशल मीडिया पर लिजियां के इस जवाब देने से पहले शाहिद अफरीदी का ये ट्वीट सोशल मीडिया पर मौजूद था। लेकिन जैसी ही चीनी राजदूत ने उनके ट्वीट पर रिप्लाई दिया, उन्होंने फौरन अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। जिस कारण लोगों ने दोनों ट्वीट शेयर करते हुए तंज भी कसा कि आखिर इमरान खान अपने बॉस के सामने मुँह क्यों खोलेगा?
गौरतलब है कि ऐसे समय में जब विश्व के लगभग सभी देशों ने पाकिस्तान का साथ छोड़ दिया है। उस समय चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा साझेदार है और इसी कारण वहाँ के बड़े-बड़े राजनेता भी उईगर मुस्लिमों की स्थिति पर कुछ भी बोलने से बचते हैं। ऐसे में शाहिद अफरीदी का चीन के खिलाफ़ बोलना और प्रधानमंत्री इमरान खान को इस मुद्दे पर बोलने के लिए उकसाना उन्हें महंगा पड़ सकता है। क्योंकि इस समय सीपेक और रक्षा समेत कई करोड़ डॉलर के प्रोजेक्ट पाकिस्तान में चीन के कर्ज से ही चल रहे हैं।