Wednesday, March 26, 2025
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US, UK और फ्रांस भारत के साथ: आतंकी मसूद अज़हर को ब्लैक-लिस्ट करने का प्रस्ताव UNSC में पेश

फ्रांस इस मोर्चे पर पूरी तरह भारत के साथ खड़ा नज़र आ रहा है। 1 मार्च से फ्रांस औपचारिक तौर पर सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेगा।

पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड मसूद अज़हर को सुरक्षा परिषद द्वारा ब्लैक-लिस्ट कराने की भारत की कोशिशों को कूटनीतिक स्तर पर बड़ी सफलता मिलती दिख रही है। फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के संस्थापक मसूद को ब्लैक-लिस्ट करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक की समयसीमा तय की गई है। बुधवार (फरवरी 27, 2019) को पेश किए गए इस प्रस्ताव में अज़हर की अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर प्रतिबंध लगाने और उसकी संपत्तियों को जब्त करने की माँग की गई है।

ज्ञात हो कि इससे पहले 2009 और 2016 में मसूद अज़हर पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाया जा चुका है। 2016 में पठानकोट हमले के बाद लाए गए इस प्रस्ताव पर फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन ने भारत का साथ दिया था। 2017 में अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रेज़ोलुशन 1267 पारित किया था, जिसमें पाकिस्तानी आतंकी मसूद अज़हर पर प्रतिबंध की माँग की गई थी। आपको बता दें कि चीन हमेशा से इस प्रस्ताव के पास होने में अड़ंगा लगाता रहा है।

ताजा प्रस्ताव में ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ने कहा:

“पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का मुखिया मसूद अजहर ने ही भारत के जम्मू-कश्मीर में 14 फरवरी को किए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।”

फ्रांस इस मोर्चे पर पूरी तरह भारत के साथ खड़ा नज़र आ रहा है। 1 मार्च से फ्रांस औपचारिक तौर पर सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेगा। बता दें कि 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर माह एक देश से दूसरे देश के पास चली जाती है। फ्रांस द्वारा इसकी अध्यक्षता ग्रहण करने के साथ ही मसूद अज़हर के ख़िलाफ़ कुछ कड़े क़दम उठाए जाने की उम्मीद है। चीन द्वारा इस प्रस्ताव का फिर से विरोध किए जाने की संभावना है।

पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद फ्रांस ने कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि वह जिम्मेदार आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वित्तीय नेटवर्क पर रोक लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लामबंद करने में पूरी तरह लगा हुआ है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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