सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी जिन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, ने तीन न्यायाधीशों के इन-हाउस पैनल द्वारा की जा रही जाँच से यह कहते हुए शामिल होने से इनकार किया है कि उन्हें लगता है कि वहाँ कोई न्याय मिलने की संभावना नहीं थी।
न्यायमूर्ति एसए बोबडे के नेतृत्व में वाले पैनल, जिसने सोमवार को अपना तीसरा इन-चैंबर सुनवाई किया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी के सामने महिला ने अपना बयान दिया था। अब तक हुई तीन सुनवाई में, महिला ने कहा कि उसे डर लग रहा है क्योंकि उसे अकेले इसमें शामिल होना है और यहाँ तक कि उसके वकील को भी कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनने दिया गया।
इतना ही नहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला ने इस मामले की सुनवाई कर रही जजों की समिति पर भी सवाल खड़े किए हैं। महिला ने समिति पर यौन उत्पीड़न अधिनियम के नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है।
महिला का आरोप है कि समिति द्वारा मुझसे बार-बार पूछा गया कि यौन उत्पीड़न की शिकायत मैंने क्यों देर से की। महिला ने कहा कि तीन जजों की समिति द्वारा पूछताछ से मैं घबरा गई थी। वहाँ का माहौल अजीब था। मेरे वकील भी साथ में नहीं थे। इसके अलावा महिला ने कहा कि उसे 26 और 29 अप्रैल को दर्ज किए गए बयानों की प्रति भी नहीं दी गई।
बता दें कि इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जाँच के लिए गठित तीन जजों की आंतरिक जाँच समिति से जस्टिस एनवी रमण ने खुद को अलग कर लिया था। दरअसल, आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी ने ही इस समिति में जस्टिस एनवी रमण को शामिल किए जाने पर ऐतराज जताया था। महिला का कहना था कि जस्टिस रमण प्रधान जस्टिस गोगोई के करीबी दोस्त हैं और उनके घर पर अक्सर उनका आना-जाना रहता है।