बेंगलुरु में इस्लामिक हिंसा भड़कने के बाद जेएनयू प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने समुदाय विशेष से अपील की कि जो भी लोग कुरान की एक ऐसी आयत का विरोध करते हैं, जिसमें अल्लाह या अल्लाह के बंदों को दुत्कारने पर सजा मिलने की बात है, उन्हें अब मुखर होकर बोलना चाहिए।
आनंद रंगनाथन का यह ट्वीट उन लोगों पर एक निशाने की तरह था, जो आम दिनों में मजहब और दीन की बातें करते हैं लेकिन जब बेंगलुरु जैसी कोई मजहबी हिंसा घट जाती है तो मानवता की बात करके उनके अपराधों से ध्यान भटकाने में लग जाते हैं।
जेएनयू के प्रोफेसर ने इसी रवैये पर कुरान की इस आयत को कोट किया था- “जो भी अल्लाह और उसके बंदे को दुत्कारेगा, अल्लाह उन्हें इस जहां में लानत देता है और उनके लिए अपमानजनक दंड भी तैयार रखता है।”
डॉ रंगनाथन ने कुरान की इन पंक्तियों को लिखते हुए कहा था कि जो कुरान की इन बातों में विश्वास नहीं रखते, उन्हें यह बात मुखर हो कर कहना चाहिए। मगर, ट्विटर ने उनके इस ट्वीट को नियमों का उल्लंघन बताकर उनका अकाउंट लॉक कर दिया।
कारण में ट्विटर ने आनंद रंगनाथन के ट्वीट को ‘घृणा वाला’ बताया। जिस पर जेएनयू प्रोफेसर ने अपील करते हुए ट्विटर को लिखा कि उन्होंने जो भी ट्वीट किया है, वह कुरान की एक आयत है। तो क्या इसका मतलब ये है कि कुरान में लिखी आयात घृणा वाली है। किस मामले में ये निर्धारित होगा कि किसी आयत का हवाला देना आपके नियमों का उल्लंघन है।
Meanwhile Twitter has locked account of @ARanganathan72 for posting a verse from The Holy Quran in reference to violence in Bangalore. Twitter says it violated their rules. Ranga Sir has appealed. The verse can be found here https://t.co/blw8NlUOhW pic.twitter.com/hpWpTh0tZ3
— Rahul Roushan (@rahulroushan) August 12, 2020
आपको बता दें कि डॉ आनंद रंगनाथन ने अपने ट्वीट में जिस कुरान की आयत का उल्लेख किया है, उसे https://quran.com/33/57 पर यहाँ पढ़ा जा सकता है। फिर सवाल उठता है कि ट्विटर के नियमों का उल्लंघन किससे हुआ। क्या बस आनंद रंगनाथन के ट्वीट से? या फिर आयात में मौजूद आदेश से?
इस घटना के बाद आनंद रंगनाथन के ट्विटर पर वापस लाने की माँग तेज हो गई है। लोग अपने-अपने ट्विटर हैंडल से #BringBackAnandRanganathan ट्वीट करके उनकी वापसी की माँग करने लगे। लोगों ने उन्हें सबसे समझदार आवाज बताते हुए ट्विटर से अपील की कि उन्होंने कोई भी नियम उल्लंघन नहीं किया। उन्हें वापस लाया जाए।
He is one of the most knowledgeable voices I know. All he did was quote verses from the Quran. @ARanganathan72 did not violate any rules. This is censorship of the worst kind @TwitterIndia. Bring him back!#BringBackAnandRanganathan
— Priti Gandhi – प्रीति गांधी (@MrsGandhi) August 13, 2020
एक ने आनंद रंगनाथन के अकॉउंट ब्लॉक सुनकर कहा कि मतलब कुरान की आयत ट्विटर पर न डाली जाए, क्योंकि ट्विटर उसे हेटस्पीच मानता है। एक यूजर ने ट्विटर को वामपंथियों का उपकरण बताया। एक अन्य नेटिजन ने पूछा कि क्या कुरान की आयत कोट करना ईशनिंदा हो गई?
So please do not quote any verse from the Quran as it will be considered Hate Speech. However, you are free to mock, deride, insult anything Hindu. #BringBackAnandRanganathan
— Nandini 🇮🇳 (@NAN_DINI_) August 13, 2020
वहीं, डॉ रंगनाथन ने खुद भी टाइम्स नाऊ में एक डिबेट में अपने साथ हुई घटना पर बात करते हुए कुछ उन पुराने मुद्दों का जिक्र किया, जब पैगंबर का नाम आने के कारण इस्लामिक भीड़ भड़क गई। वह रंगीला रसूल की किताब का जिक्र करते हैं और बताते हैं कि कैसे इल्मुद्दीन नामक कट्टरपंथी ने उन्हें मारा और बाद में जिन्ना ने उसी हत्यारे का केस लड़ा।
वह कहते हैं कि यह पहली बार नहीं हुआ है। कमलेश तिवारी की हत्या की माँग भी कॉन्ग्रेस विधायक समेत संप्रदाय विशेष के सैंकड़ों द्वारा की जा रही थी। वह पूछते हैं कि क्या एक पोस्ट मात्र से भड़क जाना असहिष्णुता नहीं है? साजिद बुखारी नामक पत्रकार की बात का जिक्र करते हुए आनंद रंगनाथन बताते हैं कि उसने भी कहा था, “जब बात पैगंबर की आती है जो मुझे गर्व है असहिष्णु होने पर।”
Listen to Abdul Rehmetanathan from JNU quote verses from Qur’an pic.twitter.com/hYC8q3f11M
— Rahul Roushan (@rahulroushan) August 12, 2020
आनंद रंगनाथन शार्ली ऐब्दो मैग्जीन पर हुए हमले की ओर ध्यान आकर्षित करवाते हैं और कमलेश तिवारी मामले में ओवैसी की उस बात को कोट करते हैं, जिसमें ओवैसी ने कमलेश तिवारी को गाली देते हुए कहा था कि अब उनकी गुस्ताखी ने बर्बादी को दावत दी है।