Saturday, July 27, 2024
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‘उस किताब का नाम ले सकते हो जो असल में वायरस है’: जानें कैसे कॉन्ग्रेस के ‘वैक्सीन’ मीम्स ने किया उसका ही छीछालेदर

ट्वीट में कॉन्ग्रेस ने मनुस्मृति को वायरस कहा, जिसे बाद में भाजपा कर्नाटक ने भी अपने हैंडल से शेयर किया। इसमें पूछा गया है कि क्या कॉन्ग्रेस में इतना दम है कि वह उस किताब का नाम ले सके जो असल में वायरस है। आखिर डरपोक कॉन्ग्रेस ने यह ट्वीट डिलीट क्यों किया है।

कोरोना काल में सोशल मीडिया पर मीम का कारोबार बहुत तेजी से बढ़ा है। कुछ लोगों ने अपनी सृजनात्मकता दिखाने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल किया तो कुछ ने अपनी कुंठा निकालने के लिए। लेकिन इस बीच कुछ ऐसे भी धूर्त दिखे जिन्होंने अपनी वाहवाही के लिए बिना सोच समझे मीम को सहारा बनाया। कॉन्ग्रेस, उसी सूची में शामिल नामों में से एक है।

अभी हाल में कर्नाटक कॉन्ग्रेस के ट्विटर हैंडल से कुछ ट्वीट किए गए। इसमें एक तरफ वायरस और दूसरी तरफ वैक्सीन दिखा कर पार्टी ने अपनी हिंदूविरोधी, भाजपा विरोधी, आरएसएस विरोधी मानसिकता का खूब प्रदर्शन किया। मगर, ट्रेंड फॉलो करने के चक्कर में पार्टी भूल गई कि जिन मीम को वो शेयर कर रहे हैं उनका कोई अर्थ है भी या नहीं।

उदाहरण के तौर पर सबसे पहले एक ट्वीट देखिए। इसमें कॉन्ग्रेस ने बताना चाहा कि इस देश के लिए सबसे बड़ा वायरस भगवा रंग का RSS है और इसकी वैक्सीन उनकी पार्टी यानी कॉन्ग्रेस है। अब तर्कों पर बात करें, तो ये सब जानते हैं कि कोई भी वैक्सीन किसी वायरस के बाद आती है लेकिन कॉन्ग्रेसियों को इस लॉजिक से क्या? शायद उन्हें यही नहीं मालूम कि आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी, जबकि कॉन्ग्रेस 1885 से अस्तित्व में है।

इस मूर्खता के लिए कई सोशल मीडिया यूजर्स ने कॉन्ग्रेस को लताड़ा है। कर्नाटक की भाजपा अध्यक्ष ने तथ्य बताते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस 1885 में आई और आरएसस 1925 में। आज भी कॉन्ग्रेस को साफ करने के लिए आरएसएस प्रयास ही कर रही है। मगर कुछ संक्रमण ऐसे होते जिन्हें हटाना मुश्किल हैं लेकिन यदि उनका सफाया नहीं हुआ तो देश कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा।

इसके बाद एक अन्य ट्वीट इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दिखाया गया है। नरेंद्र मोदी पर वायरस लिखा है और मनमोहन सिंह पर वैक्सीन। यहाँ ज्ञात हो कि मनमोहन सरकार के 10 साल के कार्यकाल के बाद मोदी सरकार सत्ता में आई। ऐसे में कॉन्ग्रेस के मीम के क्या अर्थ हैं? क्या कभी ऐसा हुआ है कि वैक्सीन के होते हुए वायरस आए। नहीं, क्योंकि वैक्सीन, वायरस के लक्षण देखने के बाद उसी आधार पर निर्मित होती है। यूजर्स ने इस ट्वीट पर भी कॉन्ग्रेस का खूब मजाक उड़ाया है। लोगों ने पूछा है कि वैक्सीन इतनी कमजोर थी क्या कि वायरस दोबारा आ गया।

बता दें कि इन दोनों ट्वीट में जहाँ एक पार्टी और विचारधार के प्रति कॉन्ग्रेस ने अपनी कुंठा निकाली है और खुद को सर्वेसर्वा दिखाया है वहीं इनके द्वारा किया एक ऐसा भी ट्वीट है जिसमें पार्टी ने संविधान को वैक्सीन बताकर हिंदुओं के प्रति नफरत जाहिर की है।

ट्वीट में कॉन्ग्रेस ने मनुस्मृति को वायरस कहा, जिसे बाद में भाजपा कर्नाटक ने भी अपने हैंडल से शेयर किया। इसमें पूछा गया है कि क्या कॉन्ग्रेस में इतना दम है कि वह उस किताब का नाम ले सके जो असल में वायरस है। आखिर डरपोक कॉन्ग्रेस ने यह ट्वीट डिलीट क्यों किया है। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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