अफगानिस्तान में तालिबान के घुसने के बाद वहाँ अफरा-तफरी का माहौल है। अधिकांश अफगानी देश छोड़ना चाहते हैं। यही वजह है कि काबुल एयरपोर्ट पर एक हफ्ते से भीड़ कम नहीं हो रही। ऐसी मानव आपदा के बीच भारत के कट्टरपंथी अफगानियों का समर्थन करना तो दूर, उन्हें कोसने में व्यस्त हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो लोग तालिबान से भागना चाहते हैं। इसी सूची में एक नाम पत्रकार अली सोहराब का भी है।
सोहराब वही शख्स हैं जिन्होंने कभी हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी के कत्ल पर दिवाली की बधाई दी थी। अब वही अली सोहराब तालिबान के समर्थन में ट्वीट कर रहे हैं। अपने सोशल मीडिया अकॉउंट पर हाल में सोहराब ने न केवल ये बताया कि तालिबानियों से भागने वाले वो अफगानी हैं जिन्होंने कभी मुसलमानों को मारने में यूएस का साथ दिया था बल्कि काबुल एयरपोर्ट पर हो रहे कत्लेआम को भी जस्टिफाई किया।
ट्वीट में देख सकते हैं कि सोहराब कहते हैं कि जिन लोगों ने मुस्लिमों को मारने में यूएस मिलिट्री का साथ दिया, उनका जुर्म माफी के काबिल नहीं है। इसके बाद उन्होंने लिखा, “जैसे फ़तह मक्का के वक्त भी आम माफी के बाद भी कुछ लोगों को माफ़ी नहीं दी गई और उन्हे क़त्ल किया गया, क्योंकि उनके जुर्म ही ना क़ाबिल-ए-माफी थे और ऐसे कई लोग मक्का छोड़कर फरार भी हो गए थे, क्योंकि वो जानते थें की उनके जुर्म ही ना क़ाबिल-ए-माफी है।”
पत्रकार अली सोहराब के इस ट्वीट के बाद कई यूजर्स ने उनकी बात से सहमति जताई। कट्टरपंथियों ने माना कि काबुल एयरपोर्ट पर हो रहा कत्लेआम एकदम सही है क्योंकि वो लोग मरना डिजर्व करते हैं।
बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से भारत के कट्टरपंथी इस जीत का जश्न मना रहे हैं। जिस दिन तालिबान काबुल में घुसा उसी दिन सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हुई। जिसमें जामिया का छात्र और दिल्ली दंगों का आरोपित आसिफ इकबाल तन्हा अफगानिस्तान में तालिबानी शासन का खुलकर समर्थन कर रहा था।
ट्विटर स्पेस पर साथियों से चर्चा करते हुए रविवार (15 अगस्त 2021) को उसने कहा, “मैं एक अच्छी खबर देना चाहता हूँ, अशरफ गनी ने इस्तीफा दे दिया है। अल्लाह का शुक्रिया कि धीरे-धीरे ही सही लेकिन इस्लामिक एमिरेट ऑफ अफगानिस्तान (तालिबान का शासन) स्थापित हो गया। हमें इससे प्रेरणा लेने और सीखने की की जरूरत है कि कैसे आजादी के आंदोलन के लिए संघर्ष किया जाता है।” स्पेस पर जिस टॉपिक पर चर्चा हो रही थी वह था, “क्या भारत में मुस्लिम आजाद हैं?” उस दौरान भी उत्तर प्रदेश के पत्रकार अली सोहराब को इकबाल के समर्थन में ‘अल्हम्दुलिल्लाह’ कहते हुए सुना गया था।
मालूम हो कि सोहराब को उत्तर प्रदेश पुलिस ने नवंबर 2019 में हिन्दू समाज के संस्थापक कमलेश तिवारी की हत्या के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट करने के जुर्म में दिल्ली से गिरफ्तार किया था। सोहराब के खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 295A, 295B, 66, 67 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था।