5 अगस्त को कश्मीर पर भारत सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के बाद वामपंथी मीडिया गिरोह ने इसे लेकर भ्रान्तियाँ फैलाना शुरू कर दिया था। इन गिरोहों द्वारा फैलाए जा रहे झूठ और फेक न्यूज़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट की एक सुनवाई में भारत सरकार ने इनका खंडन करते हुए ऑपइंडिया की एक रिपोर्ट पेश की ।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान भारत के सॉलिसिटर जनरल ने ऑपइंडिया की मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए अपनी बात रखी। इस दौरान वे द-वायर और इंडिया स्पेंड जैसी वेबसाइट द्वारा कश्मीर पर फैलाए जा रहे झूठ पर अपनी बात रख रहे थे। इस दौरा सॉलिसिटर जनरल द्वारा ऑपइंडिया का हवाला देने की बात सुनते ही वामपंथी मीडिया वर्ग को बड़ा झटका महसूस हुआ।
मीडिया के इस वर्ग की सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि इसके लोग अपने से भिन्न विचार वाले इंसान को देखना तक नहीं चाहते। इनके मुताबिक मुख्यधारा की चर्चाओं में एक आम नागरिक के लिए कोई जगह नहीं है, चर्चा का यह मंच सिर्फ और सिर्फ इलीट क्लब के लोगों का एकाधिकार है। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट में ऑपइंडिया की खबर का ज़िक्र हुआ- यह सुनकर उनके कान खड़े हो गए।
झूठ की फैक्ट्री ‘एनडीटीवी’ की एंकर निधि राजदान ने इस पर आरोप लगाते हुए कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने फेक न्यूज़ वेबसाइट का हवाला दिया है। हालाँकि, सच्चाई यह है कि एनडीटीवी खुद कई बार झूठ फैलाते पकड़ा गया है। इस सम्बन्ध में एनडीटीवी की कथित निष्पक्षता की कई रिपोर्ट ऑपइंडिया वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। पूरे एनडीटीवी कुनबे की नींव ही फेक न्यूज़ फ़ैलाने पर टिकी है। दरअसल, इस कुनबे के अनुसार फेक न्यूज़ की परिभाषा ही बदल जाती है। निधि राजदान के ही मुताबिक “वह जिस न्यूज़ को दबाना चाहते हैं वही फेक न्यूज़ है।” उसके लिए खबर का पूरी तरह से झूठा होना मायने नहीं रखता। फेक न्यूज़ फैलाने के बावजूद हद तो तब हो जाती है जब एनडीटीवी खुद फेक न्यूज़ पर ही एक डिबेट रखता हैं।
अकेले निधि ही नहीं, अशोक स्वेन भी उनमें से हैं जिन्हें ऑपइंडिया की खबर से मिर्ची लगी है। यह स्वेन वही हैं जो लिबरल्स की भीड़ इकठ्ठा करने के लिए जाने जाते हैं। अशोक जो खुद नफरत फैलाने के लिए जाने जाते हैं मगर उन्होंने ऑपइंडिया वेबसाइट को फेक न्यूज़ वेबसाइट बताया है।
इनके अलावा गालीबाज ट्रोल स्वाति चतुर्वेदी ने भी इस मसले पर ऑपइंडिया को घेरने की कोशिश की। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल के कदम को ही Utter Lunacy यानी गन्दी हरकत बता दिया। स्वाति चतुर्वेदी का इतिहास खंगालें तो असल में फेक न्यूज़ फैलने की महारथी रही हैं, इन्हें गाली बकने के लिए जाना जाता रहा है। एक बार तो स्वाति ने पीएम मोदी की फोटोशॉप की हुई फोटो तक ट्वीट कर दी थी। इस फोटो में पीएम मोदी को अरबी पोषक पहने दिखाया गया था। इन्होने दावा किया था कि संसद में कार्रवाई के दौरान अमित शाह सो रहे थे, बाद में उनका यह दावा झूठा साबित हुआ। इतना ही नहीं, स्वाति चतुर्वेदी पर प्लेजियरिज्म यानी साहित्य चोरी के भी आरोप हैं। वहीं फैक्ट्स प्रकाशित करने पर स्वाति ने ऑपइंडिया को ही मानहानि का नोटिस भेज दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में ऑपइंडिया का हवाला दिए जाने से जिन लोगों को धक्का लगा उनमें द वायर की पत्रकार रोहिणी सिंह भी हैं। रोहिणी ने भी एक रीट्वीट के ज़रिए अपनी कुंठा व्यक्त की। यह द वायर की वही रोहिणी सिंह हैं जिन्हें अमित शाह के बेटे जय शाह ने कोर्ट में चुनौती दे डाली थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ऑपइंडिया की इस रिपोर्ट को उस पीत-पत्रकारिता का अंग तक नहीं माना जो सिर्फ दर्शकों को लुभाने के उद्देश्य से बनाई जाती है। बता दें कि वायर फेक न्यूज़ फ़ैलाने के मामले में कभी पीछे नहीं रहा।
I promise you this & one can’t make this up ..To counter our allegations made using data from India Spend on #Kashmir , SG Tushar Mehta counters using @OpIndia_com article on India Spend ! Friends ..This tweet would be funny if it was not such a tragedy ! https://t.co/Gx0qQHXcr4
— Tehseen Poonawalla Official (@tehseenp) November 21, 2019
ऑपइंडिया की रिपोर्ट का हवाला दिए जाने से परेशान लोगों की लिस्ट में एक नाम तहसीन पूनावाला का भी है। दरअसल पूनावाला के लिखे का खंडन ऑपइंडिया की ही रिपोर्ट में मौजूद था, पूनावाला की उदासी की एक वजह यह भी हो सकती है।
.@BhallaAjay26 sir hope you are aware about the credibility or lack of it of Opindia! https://t.co/bkiLiOiqIg
— vijaita singh (@vijaita) November 21, 2019
इसके बाद नाम आता है विजेता सिंह का, विजेता सिंह जिन्हे रेवेन्यु और प्रॉफिट यानी राजस्व और मुनाफे के बीच का फर्क भी मालूम नहीं है। हैरानी की बात यह है कि विजेता सिंह द हिन्दू के लिए काम करती हैं जो खुद तथ्यों को तोड़ मरोड़ और उलझा कर पेश करने के लिए जानी जाती हैं। विजेता पर खुद भी यह आरोप हैं कि उन्होंने भी कई बार भ्रामक जानकारी फैलाई है।
सुप्रीम कोर्ट में ऑपइंडिया की रिपोर्ट के आधार पर सॉलिसिटर जनरल का अपनी दलील पेश करना लिबरल्स को पसंद नहीं आया क्योंकि इस रिपोर्ट में उन्हीं की फैलाई फेक न्यूज़ का खंडन किया गया था। जबकि लिबरल्स के मुताबिक फेक न्यूज़ वह होती है जिसे वह नापसंद करते हैं और देखना नहीं चाहते। जो उनके फैलाए झूठ का भंडाफोड़ करे, यह लोग उसपर फेक न्यूज़ फ़ैलाने का आरोप लगाए बगैर रह नहीं पाते।