हिन्दू विरोधी नैरेटिव बनाने, हिन्दू प्रतीकों को अपमानित करने और हिन्दूफोबिया से ग्रसित मशहूर पार्ट टाइम जर्नलिस्ट सबा नक़वी ने अपनी बौद्धिक क्षमता की नई मिसाल पेश करते हुए सोशल मीडिया को कॉमेडी सर्कस में तब्दील कर दिया है। यह पहली बार नहीं है जब किसी सत्ता विरोधी और कॉन्ग्रेस-वादी, चाहे वो पत्रकार हो, लेखक हो, या फिर सोशल मीडिया पर दिन रात सरकार की नीतियों में ‘मुस्लिम विरोधी नजरिया’ तलाशने वाला कोई कॉन्सपिरेसी थ्योरी एक्टिविस्ट हो, ने अपनी गलती स्वीकार करने की जगह उल्टा अपने पूर्वग्रहों से दूसरों पर कीचड़ उछालने का काम किया हो।
दरअसल, सोशल मीडिया पर एक फर्जी खबर वायरल की जा रही थी जिसमें बताया गया कि कानपुर के बाबूपुरवा में बुधवार (जुलाई 3, 2019) रात तीन युवकों ने मिलकर एक ऑटो चालक आतिब को शौचालय में बंधक बनाकर ईंट-पत्थरों से पीट-पीटकर मरणासन्न कर दिया। इस मामले में आतिब ने आरोप लगाया था कि हमलावरों ने ‘जय श्री राम’ का नारा न लगाने पर उसके साथ मारपीट की।
लेकिन जब ऑपइंडिया द्वारा इस खबर का फैक्ट चेक किया गया, तो पता चला कि यहाँ एकदम गलत और झूठी खबर थी, जिसे हिन्दूफोबिया से ग्रसित सबा नक़वी जैसे मनगढंत पत्रकारों द्वारा बड़े स्तर पर वायरल किया गया। साथ ही, तमाम भ्रामक आरोपों और ‘जय श्री राम’ के नारों को ऐसी एकदम काल्पनिक घटनाओं के साथ जोड़कर एक फर्जी ‘डर का माहौल’ तैयार किया गया।
Another day in the life of the nation….#Muslim #JaiShriRam Auto Driver Tied Up, Thrashed for Refusing to Chant ‘Jai Shri Ram’ in UP https://t.co/wg2yMY7OxH via @caravandaily
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) July 5, 2019
लेकिन इससे भी ज्यादा दुखद ऑपइंडिया द्वारा किए गए इस फैक्ट चेक पर सबा नक़वी की प्रतिक्रिया थी। सबा नक़वी को यह फर्जी खबर ट्ववीट करने पर लोगों द्वारा सच्चाई बताने पर उन्होंने यह तो स्वीकार किया कि उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम सांप्रदायिक एंगल होने के कारण यह फर्जी खबर फैलाई, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने उनके इस फर्जी खबर का खंडन करने वाले ऑपइंडिया पर विश्वास ना करने की भी सलाह दी। सबा नक़वी एक्सपोज़ भी हुई, लेकिन यह भी लिखा कि ऑपइंडिया ने यह फैक्ट चेक किया है लेकिन यह एक फैक्ट चेकर नहीं बल्कि साम्रदायिक वेबसाइट है।
If this is fake news I would withdraw it with apologies…so I ask @CaravanDaily and @AltNews. Do not consider Opindia a fact check but a malicious communal site spewing fake news and pretending to fact check selectively. https://t.co/yH2Z24pVGH
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) July 5, 2019
सबा नक़वी के हास्यास्पद ट्वीट के बाद ट्विटर यूज़र्स ने उन्हें याद दिलाया कि उन्हें सिर्फ ‘कुछ भी कहने के लिए कुछ भी कहने’ वाली आदत से बाज आना चाहिए। और सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए। सबा नक़वी को जवाब देते हुए @HittsVora ने लिखा है, “एक तरफ आप झूठी खबर फैलाने वाली फैक्ट्री (कारवाँ डेली) को यह झूठी खबर हटाने के लिए कह रही हैं और दूसरी ओर इस खबर का पर्दाफाश करने वाले ऑपइंडिया को ही झूठा बता रही हैं।”
Uffff this pontification!! On one end u are asking the chief fake news peddlers to delete fake news nd on the other calling the ones who actually EXPOSED the fake news peddler Fake! @OpIndia_com @UnSubtleDesi @rahulroushan
— Lotus (@HittsVora) July 5, 2019
सबा नक़वी द्वारा खुद एक सांप्रदायिक तनाव पैदा करने वाली फर्जी खबर को फैलाया और बदले में पकड़े जाने पर उन्हीं लोगों पर आरोप लगाया जिनके द्वारा यह सच्चाई सामने लाइ गई। देखा जाए तो इस प्रकार का दोहरापन मात्र सबा नक़वी में ही नहीं बल्कि हर दूसरे नेहरुघाटी सभ्यता में पलने वाले पत्रकार के भीतर पाया जाता है।
before apologizing, delete the tweet, otherwise it’ll be considered part of ur propaganda.. And, stop sharing fake news so that those, who you claim share fake news, catch you sharing fake news time and again.. Also, stop relying on ur fact checking jokers to save embarrassment
— Keh Ke Peheno (@coolfunnytshirt) July 5, 2019
Actually these kind of fake news and that getting encouragement by responsible journalists like @_sabanaqvi is very dangerous for this country. Please avoid playing and experimenting with fire.
— Anik Ghosh (@anikghosh) July 5, 2019
Ohh… So that’s the reason u want @OpIndia_com to be declared as Fake news…. Cause they caught shitb peddled by you and your ilks https://t.co/tNFjH8TNbv
— Sanjay (@Sanjaypro) July 5, 2019
खुद ही मज़हबी घृणा की झूठी खबर फैलाने के बाद दूसरों को सांप्रदायिक बताने वाली सबा नक़वी जैसे सस्ती लोकप्रियता के चितेरों की आजकल सोशल मीडिया पर कोई कमी नहीं है। वास्तव में सोशल मीडिया पर इन आदर्श लिबरल्स की फर्जी सेक्युलरिज्म की दुकान कुछ इन वजहों से ही चल रही है। झूठी बातों को चिल्ला-चिल्लाकर सच साबित करना इन मीडिया गिरोहों को बहुत ही अच्छे से आता है और इनके मासूम भक्त ऐसी ही ख़बरों को सच मानकर हिन्दफोबिया से ग्रसित हो जाते हैं।