Friday, April 19, 2024
Homeसोशल ट्रेंड'बिहार में ई बा' के बाद मैथिली ठाकुर ने पूछा- किसकी सरकार?

‘बिहार में ई बा’ के बाद मैथिली ठाकुर ने पूछा- किसकी सरकार?

मैथिली ठाकुर का ‘बिहार में ई बा’ गा देना तो सीधे सीधे बिहार के कुछ स्थापित नामों के धंधे पर चोट था! ये वो लोग थे जिन्होंने बिहार की पृष्ठभूमि को अपहरण, रंगदारी, गुंडागर्दी और तमाम तरह के सामाजिक अपराधों तक समेटकर रख दिया था।

बिहार चुनावों की शरुआत से ही राजनेताओं और बाहुबलियों की चर्चा के साथ एक नाम मैथिली ठाकुर (Maithili Thakur) का भी सामने आया था। दरअसल, मैथिली ठाकुर ने एक गाने ‘बिहार मा का बा’ (Bihar me ka ba) के जवाब में बताया था कि ‘बिहार में ई बा’ (Bihar mein ee baa) और ये गाना सबकी जुबान पर चढ़ गया था।

बिहार में आज मंगलवार (नवम्बर 10, 2020) को बिहार चुनावों के नतीजे आ गए हैं और मैथिली ठाकुर ने अपनी एक तस्वीर ट्वीट करते हुए इस बार खुद सवाल किया है। मैथिली ने ट्वीट में लिखा है – “किसकी सरकार?”

इस तस्वीर में मैथिली ठाकुर के पीछे जो पोस्टर नजर आ रहा है उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और नीतीश कुमार नजर आ रहे हैं। हालाँकि, उनके अलावा पोस्टर में दो और शख्सियत राहुल गाँधी और तेजस्वी यादव भी मौजूद हैं लेकिन मैथिली ठाकुर का इशारा साफ़ नजर आ रहा है।

आखिरकार बिहार के चुनाव परिणामों से लगभग स्पष्ट हो चुका है कि बिहार की जनता ने राजद और महागठबंधन को नकार कर NDA को अपना समर्थन देकर सत्ता सौंप दी है। जिसका अर्थ है कि NDA ही बिहार में सरकार बनाने जा रही है।

रुझानों में एनडीए के पास 120 से ज्यादा सीटें दिख रही हैं, वहीं राजद को करीब 110 सीटें मिलती दिख रही हैं। अन्य को भी 10 के करीब सीटें मिलती दिख रही हैं। हालाँकि, फिलहाल दोनों ही मुख्य दल अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं।

कुछ लोगों को रास नहीं आया था मैथिली ठाकुर का जवाब

मैथिली ठाकुर का ‘बिहार में ई बा’ गा देना तो सीधे सीधे बिहार के कुछ स्थापित नामों के धंधे पर चोट था! ये वो लोग थे जिन्होंने बिहार की पृष्ठभूमि को अपहरण, रंगदारी, गुंडागर्दी और तमाम तरह के सामाजिक अपराधों तक समेटकर रख दिया था।

पेट पर कोई लात मार दे और वो बिलबिलाएँ भी नहीं, ऐसा कैसे हो सकता था? मैथिली का गाना उनके ‘विकास’ की राह में रोड़ा बन गया। उन्हें राज्य के विकास से कोई लेना देना नहीं, उनके निजी स्वार्थों से इस गीत के बोल टकराते हैं। ये विवाद गीत पर नहीं हुआ, ये निजी स्वार्थ के सामाजिक हितों से टकराव का शोर था।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कौन थी वो राष्ट्रभक्त तिकड़ी, जो अंग्रेज कलक्टर ‘पंडित जैक्सन’ का वध कर फाँसी पर झूल गई: नासिक का वो केस, जिसने सावरकर भाइयों...

अनंत लक्ष्मण कन्हेरे, कृष्णाजी गोपाल कर्वे और विनायक नारायण देशपांडे को आज ही की तारीख यानी 19 अप्रैल 1910 को फाँसी पर लटका दिया गया था। इन तीनों ही क्रांतिकारियों की उम्र उस समय 18 से 20 वर्ष के बीच थी।

भारत विरोधी और इस्लामी प्रोपगेंडा से भरी है पाकिस्तानी ‘पत्रकार’ की डॉक्यूमेंट्री… मोहम्मद जुबैर और कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम प्रचार में जुटा

फेसबुक पर शहजाद हमीद अहमद भारतीय क्रिकेट टीम को 'Pussy Cat) कहते हुए देखा जा चुका है, तो साल 2022 में ब्रिटेन के लीचेस्टर में हुए हिंदू विरोधी दंगों को ये इस्लामिक नजरिए से आगे बढ़ाते हुए भी दिख चुका है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe