दिग्गज बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह द्वारा अफगानिस्तान में तालिबान की जीत का जश्न मनाने के लिए भारतीय मुसलमानों की आलोचना करने के बाद से ही तमाम भारतीय मुस्लिम, तथाकथित लिबरल-वामपंथी पत्रकारों सहित कट्टरपंथी मुस्लिमों की लॉबी पुरस्कार विजेता अभिनेता को गाली देने और लताड़ने के लिए खुलेआम सोशल मीडिया पर नंगई पर उतर आई है। नसीरुद्दीन शाह ने एक वीडियो जारी कर हिन्दुस्तानी मुसलमानों से शांति और अहिंसा का पालन करने और कट्टरपंथी बहशी इस्लामी समूह का समर्थन नहीं करने के लिए कहा था।
बुधवार को नसीरुद्दीन शाह ने एक वीडियो जारी कर अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का जश्न मनाने के लिए हिंदुस्तानी मुसलमानों के एक वर्ग की निंदा की। दिग्गज अभिनेता ने अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी का जश्न मना रहे भारतीय मुसलमानों के एक वर्ग को बेहद खतरनाक करार दिया।
नसीरुद्दीन शाह ने वीडियो में कहा, “हालाँकि, अफगानिस्तान में तालिबान का फिर से हुकूमत पा लेना दुनिया भर के लिए फिक्र का बायस (चिंता का विषय) है, इससे कम खतरनाक नहीं है हिन्दुस्तानी मुसलमानों के कुछ तबकों का उन बहशियों की वापसी पर जश्न मनाना।”
A message for the Talibani cheerleader in India. pic.twitter.com/J0pVWZmwQI
— Tejinder Singh Sodhi 🇮🇳 (@TejinderSsodhi) September 1, 2021
उनका वीडियो भारतीय मुसलमानों के एक वर्ग पर प्रतिक्रिया के रूप में सामने आया था, जिसमें कट्टरपंथी इस्लामी संगठन तालिबान को बन्दूक के बलपर अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए सराहा जा रहा था। ऐसा करने वालों में प्रमुख मुस्लिम मौलवियों, कट्टरपंथी मुस्लिमों के साथ लिबरल गिरोह का एक वर्ग भी शामिल था जिसने अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के लिए बधाई दी थी और कहा था कि युद्धग्रस्त देश में तालिबान की जीत पूरे इस्लामी समुदाय के लिए जश्न का क्षण है। .
इस तरह के बधाइयों और जश्न के जवाब में, 71 वर्षीय अभिनेता ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें कहा गया था कि तालिबान के फिर से आने के कारण खुश होने वालों को खुद से सवाल करना चाहिए कि क्या वे अपने मजहब में सुधार करना चाहते हैं या पुरानी बर्बरता के साथ रहना चाहते हैं।
वीडियो में, शाह ने यह भी कहा, “आज हर हिंदुस्तानी मुसलमान को अपने आप से यह सवाल पूछना चाहिए कि उसे अपने मजहब में इस्लाम रिफॉर्म्ड और जिद्दत पसंदी (आधुनिक इस्लाम) चाहिए या पिछली सदियों के बहशीपन का इकदार (वैल्यूज़)।”
अनुभवी अभिनेता शाह ने मिर्ज़ा ग़ालिब का हवाला देते हुए अंत में कहा, “मैं एक हिंदुस्तानी मुसलमान हूँ, और जैसा कि मिर्जा गालिब एक अरसा पहले फरमा गए हैं कि मेरा रिश्ता अल्लाह मियाँ के साथ बेहद बेतकल्लुफ़ है। मुझे सियासी मजहब की कोई जरूरत नहीं है।”
नसीरुद्दीन शाह ने आगे ‘हिंदुस्तानी इस्लाम’ और कहीं और प्रचलित इस्लाम के बीच अंतर बताया है। वीडियो में अंत में उन्होंने कहा, “ईश्वर ऐसा समय न लाएँ जब हिन्दुस्तान में इस्लाम इतनी तेजी से बदल जाए कि इसे पहचाना ही न जा सके।”
भड़के कट्टरपंथी मुस्लिम और लिबरल गिरोह
नसीरुद्दीन शाह द्वारा हिंदुस्तानी मुसलमानों को तालिबान जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों से दूर रहने की सलाह देने वाले वीडियो ने मुस्लिम समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। पढ़े-लिखे तमाम मुस्लिमों ने भी ने दिग्गज अभिनेता के वीडियो पर आपत्ति जताई है और उन्हें इस्लाम पर टिप्पणी करने से दूर रहने के लिए कहा है।
आप समर्थक ब्लॉग ‘जनता का रिपोर्टर’ के रिफत जावेद ने नसीरुद्दीन शाह को उनकी टिप्पणियों के लिए फटकार लगाई है और कहा कि उन्हें अपनी फिल्मों में लगे रहना चाहिए और उन विषयों से दूर रहना चाहिए जिन्हें वह नहीं जानते हैं।
नसीरुद्दीन शाह को ‘नॉन-प्रैक्टिसिंग’ मुस्लिम बताते हुए, जावेद ने इस्लाम में मजहबी सुधारों की माँग के लिए अनुभवी अभिनेता पर हमला किया। रिफत जावेद ने अपने ट्विटर पोस्ट में कहा कि काश, उन्होंने इस भयावह सलाह को देने से पहले थोड़ा इस्लाम का पालन भी कर लिया होता।
एक अन्य ‘पत्रकार’ सबा नकवी को भी हिन्दुस्तानी मुसलमानों को नसीरुद्दीन शाह की सलाह से तकलीफ हुई है। सबा नकवी ने ट्विटर पर पूछा कि भारतीय मुसलमानों को तालिबान की निंदा करने के लिए क्यों कहा जा रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या भारतीय मुसलमानों ने तालिबान को भारत में चुना, वोट दिया या फिर आमंत्रित किया।
सबा नकवी ने आगे कहा कि दिग्गज अभिनेता तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के मुद्दे पर बोल कर बुरी तरह फँस गए हैं।
खैर, यह सिर्फ रिफत और सबा की बात नहीं है। कल से ही कई मुस्लिम सोशल मीडिया यूजर नसीरुद्दीन शाह को उनके हिंदुस्तानी मुस्लिमों को ‘दोस्ताना’ सलाह देने के लिए गाली देने और निंदा करने में लगे हुए हैं।
मोहम्मद हजार इमाम ने नसीरुद्दीन शाह को यह कहते हुए सलाह दे डाली कि इस्लाम में सुधार की कोई जरूरत नहीं है और कोई भी इस मजहब में सुधार नहीं ला सकता है। हजार इमाम ने यह भी दावा किया कि यदि कोई पूरी ईमानदारी के साथ इस्लाम का पालन करता है, तो वह न केवल अपने इस जीवन में बल्कि इंतकाल के बाद के जीवन में भी सफल होगा।
एक अन्य यूजर अब्दुल शाहिद ने कहा कि इस्लाम कुरान का पालन करने और नबी की सुन्नत का पालन करने के बारे में है और कुछ नहीं। नसीरुद्दीन शाह का खंडन करते हुए, शाहिद ने दावा किया कि 1400 साल पहले इस्लाम अपनी स्थापना से पहले ही पूरा हो चुका था और अब इस मजहब में जोड़ने या हटाने के लिए कुछ भी नहीं है।
वे द वायर की पत्रकार आरफ़ा खानम शेरवानी द्वारा साझा किए गए वीडियो का जवाब दे रहे थे। हालाँकि, अरफ़ा तब से पूरे मामले पर पलटी ही मारी है। शुरुआत में, आरफ़ा ने अपनी टाइमलाइन पर नसीरुद्दीन शाह का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा था, “हिंदुस्तानी मुसलमानों को ये सोचना चाहिए कि उनको अपने मज़हब में सुधार और आधुनिकतावाद चाहिए या पिछली सदियों के मूल्य।”
हालाँकि, कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा उनके टाइमलाइन पर गाली देने के बाद अरफ़ा ने यू-टर्न ले लिया। मुस्लिमों की लताड़ के डर से, आरफ़ा ने यह कहते हुए यू-टर्न लिया कि वह नसीरुद्दीन शाह से असहमत हैं। उन्होंने कहा कि वह प्रमाणित नहीं कर सकते कि एक आदर्श या पूर्ण मुसलमान कौन है?
आरफा ने कहा, “केवल अल्लाह ही जानता है कि हम सभी में सबसे नेक कौन है।” उन्होंने यह भी कह डाला कि वह नसीरुद्दीन शाह की हर बात से सहमत नहीं हैं।
आरफा खानम शेरवानी को जवाब देते हुए, जो शुरू में नसीरुद्दीन शाह से इत्तेफाक रखती नजर आ रही थीं, लेकिन बाद में इस्लामवादियों द्वारा ट्रोल किए जाने के बाद अपना रुख बदल लिया था, वसीम शेख ने आरफ़ा और नसीर दोनों को इस मुद्दे पर अपनी राय नहीं देने की चेतावनी देते हुए कहा, “अरफ़ा जी नसीर साहब से कह दीजिए कि तुम और तुम्हारे जैसे लोगों की दीन में कोई हैसियत नहीं है और रही वहशीपन की बात तो मंगोल जैसे मुस्लिम होते तो अब तक सिर्फ मुस्लिम ही होते।”
तकी खान ने परोक्ष रूप से नसीरुद्दीन शाह की तुलना कुत्ते से करते हुए तंज किया।
गौरतलब है कि जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, तब से तमाम लोगों ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ-साथ महिलाओं के अधिकारों पर भी चिंता जताई है। अफगानिस्तान से चौंकाने वाले दृश्य तब से सामने आ रहे हैं जब से काबुल पर तालिबान ने कब्ज़ा किया। लोग तब से ही बेहतर भविष्य की उम्मीद में देश से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे। उड़ान भरते समय लोगों के विमानों पर लटके होने के दृश्य भी वायरल हुए कि कैसे लोग जान जोखिम में डालकर भी वहाँ से भागना चाहते हैं। और साथ ही इन विमानों से आसमान से गिर रहे अफगानों के दृश्य भी वायरल हुए। इन सब के बीच, कई भारतीय मुसलमानों ने अफगानिस्तान के तालिबान के कब्जे का स्वागत किया है।