माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर से 2 दिसंबर 2021 को यूजर MrSinha_ को एक ईमेल मिला कि उन्हें उनके प्लेटफॉर्म पर उनके एक पोस्ट के खिलाफ कंपनी को शिकायत मिली है। ईमेल में देश के कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कोलकाता के सहायक पुलिस आयुक्त (III), विशेष कार्य बल की ओर से सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है।
इस मामले में ट्विटर ने कोई एक्शन तो नहीं लिया, लेकिन यह याद दिलाया कि पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए सिन्हा को इसकी जानकारी अवश्य दी है। ये ईमेल मानकीकृत प्रारूप में था। ट्विटर इस तरह का ईमेल हर उस व्यक्ति को भेजता है, जिसके बारे में उसे कोई शिकायत मिलती है। ईमेल के जरिए ट्विटर ने सिन्हा को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए उचित कार्रवाई करते हुए अपने वकील से सलाह लेने को कहा है।
बांग्लादेश में तोड़े गए हिंदू मंदिरों की तस्वीर किया था ट्वीट
सिन्हा के खिलाफ यह शिकायत उनके उस ट्वीट को लेकर की गई है, जिसे उन्होंने अगस्त 2021 में किया था। 8 अगस्त 2021 को सिन्हा ने ट्विटर पर दो तस्वीरें पोस्ट की थीं, जिसमें बांग्लादेश के एक मंदिर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को टूटा हुआ दिखाया गया था। इसमें उन्होंने लिखा था, “ऐसा तभी होता है जब हिंदू अल्पसंख्यक होते हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं के घरों और मंदिरों पर हमला किया गया और मूर्तियों को तोड़ दिया गया। यह खबर ‘धर्मनिरपेक्ष/उदारवादियों’ का ध्यान नहीं खींच पाएगी। कोई भी संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखने वाला नहीं है। हमले में किसी अल्पसंख्यक को निशाना नहीं बनाया गया।”
इस मामले की अधिक जानकारी के लिए ऑपइंडिया ने इन तस्वीरों को गूगल पर रिवर्स-सर्च करके देखा तो इससे रिलेटेड कई मीडिया आउटलेट्स की खबरें मिली, जिन्होंने इसे कवर किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, ये घटना बांग्लादेश में हुई थी। 9 अगस्त 2021 की एक रिपोर्ट में ‘फ्री प्रेस जर्नल‘ ने ‘पाकिस्तान के बाद, बदमाशों ने बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर किया हमला: वीडियो देखें:’ टाइटल के साथ रिपोर्ट पब्लिश की थी। इस न्यूज में उसी तरह की इमेज का इस्तेमाल किया गया था, जैसी सिन्हा ने पोस्ट की थी।
इसके साथ ही एक YouTube वीडियो भी एम्बेड किया गया था। एफपीजे के मुताबिक, बांग्लादेश के खुलना जिले के रूपशा उपजिला के शियाली गाँव में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच विवाद के बाद इस तरह की घटना हुई थी। एफपीजे ने ढाका ट्रिब्यून के हवाले से कहा, ”बदमाशों ने सबसे पहले शियाली महाश्मशान मंदिर पर हमला कर मंदिर की मूर्तियों में तोड़फोड़ की। इसके बाद वो शियाली पुरबापारा गए और वहाँ पर उन्मादी भीड़ ने हरि मंदिर, दुर्गा मंदिर और गोविंदा मंदिर में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ दिया”
इस रिपोर्ट को पढ़ते समय हमें ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट भी मिली, जिसमें वैसी ही इमेज का इस्तेमाल किया गया था जैसी इमेज सिन्हा ने ट्वीट किया था। केवल उन तस्वीरों को थोड़ा बड़ा कर दिया गया था। इन तस्वीरों को देखने के बाद यह सिद्ध होता है कि ये तस्वीरें बांग्लादेश की ही थीं। इतना ही नहीं इसी तस्वीर को ट्रिब्यून, द वीक, द कम्यून और कई दूसरे मीडिया हाउस ने भी कवर किया था। इस केस में 10 की गिरफ्तारी भी हुई थी।
ऑपइंडिया भी इस रिपोर्ट को कवर कर चुका है। इसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
इस मामले में हैरान करने वाली बात यह है कि ये घटना हिंदुस्तान नहीं, बल्कि बांग्लादेश में हुई थी, लेकिन मामले में शिकायत पश्चिम बंगाल की पुलिस कर रही है।
हिंदुओं पर हमले में ट्विटर की खामोशी का लंबा है इतिहास
हिंदुओं के लिए आवाज उठाने वालों को ट्विटर खामोश करता रहा है। हाल ही में ट्विटर ने ‘स्टोरीज ऑफ बंगाली हिंदू’ नाम के अकाउंट को बंगाल में सताए गए बंगाली हिंदुओं की आवाज उठाने के मामले में नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए सस्पेंड कर दिया था। उस अकाउंट के मालिक डॉ दास ने भी इसके बारे में बताया था कि ट्विटर से एक ईमेल मिला जिसमें कहा गया था कि हमें ‘टाल-मटोल’ के कारण निलंबित कर दिया गया था। खास बात ये है कि जब दास ने इस मामले में ट्विटर से और अधिक स्पष्टीकरण माँगा तो उसने कोई जबाव ही नहीं दिया।
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ने इससे पहले एक नॉन-लेफ्ट अकाउंट को भी बिना कारण बताए सस्पेंड कर दिया था। इसी साल सितंबर में ट्विटर ने लोकप्रिय ट्विटर अकाउंट ‘प्रिंसेस वोक लिबरल‘ (@workingboxwali)’ को महज इसलिए सेंसर और बैन कर दिया था, क्योंकि उसने एले मैगज़ीन पर इस्लामिस्ट राणा अय्यूब के प्रोपेगेंडा पर सवाल कर दिया था। इसी तरह से पिछले साल भी पेरिस में सिर काटे जाने की निंदा करने के कारण नॉन-लेफ्ट अकाउंट @effucktivehumor को अनिश्चित समय के लिए बंद कर दिया गया था। इसमें यूजर को ट्विटर ने कारण बताया था कि उसके अकाउंट को घृणित आचरण के कारण निलंबित किया गया। हालाँकि, तब भी सोशल मीडिया दिग्गज ने ये स्पष्ट नहीं किया था कि आतंकी हमले की निंदा घृणित कैसे हो सकता है।