हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिटायर होने के बाद बहरुल इस्लाम फिर से सक्रिय राजनीति में चले आए। लेकिन इंदिरा गाँधी की सोच कुछ और थी। 9 महीने के रिटायरमेंट के बाद वह सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए। एक रिटायर जज का इस तरह फिर से जज बनाने का फैसला काफी अजीब और अद्वितीय था लेकिन...
आज भारत के सबसे लंबे कैनाल का नाम उसी व्यक्ति के नाम पर नहीं है, जिसने इसका सपना देखा, जिसने इस पर काम शुरू करवाया था। पंजाब से लेकर बीकानेर तक जिसके नाम की कभी तूती बोलती थी उसे उसके काम के क्रेडिट से भी वंचित कर दिया गया।
'केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार' वाले ऐतिहासिक केस ने संविधान की मर्यादा को पुनर्स्थापित किया। इसे भारतीय न्यायपालिका का सबसे 'लैंडमार्क फ़ैसला' कहा जाता है। एक ऐसा निर्णय, जिसने लोकतंत्र की मर्यादा और संविधान की अक्षुण्णता को बरक़रार रखा।
"इंदिरा गॉंधी हमारी नेता और आदर्श हैं। बीजेपी के साथ रहते हुए भी संजय राउत उनके खिलाफ टिप्पणियॉं करते थे। अब सरकार में होने के बाद भी वे इससे बाज नहीं आ रहे। यदि वे सोचते हैं कि हम चुपचाप सुनते रहेंगे तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं।"
अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान के गोद लिए हुए पुत्र सुंदर शेखर ने शिवसेना नेता संजय राउत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संजय राउत सही हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गाँधी करीम लाला से मिलती थीं। कई अन्य नेता भी आते थे। हाजी मस्तान एक व्यापारी थे। बालासाहेब ठाकरे भी हाजी मस्तान के अच्छे दोस्त थे।
"करीम लाला अफ़ग़ानिस्तान से आए पठानों के नेता थे। उन्होंने 'पख्तून-ए-हिंद' नामक एक संगठन का नेतृत्व भी किया था। उनसे बहुत से लोग मिलने के लिए जाया करते थे। इसमें कई राजनेता भी शामिल थे। जो भी नेता उनसे मिलने आते थे, उनसे पठान नेता के रूप में मुलाकात करते थे।"
करीम लाला मूल रूप से अफगानिस्तान से था। उसका असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था। उसका परिवार काफी संपन्न था। लेकिन ज्यादा कामयाबी की चाह में वो हिंदुस्तान आया और 1960 से 1980 के बीच में मुंबई अंडरवर्ल्ड का एक बड़ा नाम बन गया। वह मुंबई में कच्ची शराब की भट्ठियाँ और जुए के अड्डे चलवाता था।
SIT की रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रेन में सफर कर रहे सिख यात्रियों की ट्रेन और रेलवे स्टेशनों पर हमला करने वाले लोगों द्वारा हत्या किए जाने के पाँच मामले थे।
प्रियंका गाँधी के जन्मदिन की सुबह दैनिक भास्कर अख़बार के पहले पन्ने पर ही इंदिरा गाँधी के साथ उनकी तुलना करते हुए कॉन्ग्रेस के नेता जी द्वारा लिखी गई प्रशंसा तो यही बता रही है कि ट्विटर पर आधी रात को किए गए उनके मन्त्र जाप का असर प्रियंका गाँधी पर जल्द ही होने वाला है।
1981 का एक ऐसा समय था, जब जेएनयू को 46 दिनों के लिए बंद किया गया था। आज फ़र्ज़ी 'स्टिंग ऑपरेशन' कर के वामपंथियों को बचाने वाले 'इंडिया टुडे' ने तब JNU को वामपंथी अराजकता का गढ़ बताया था, जहाँ छात्र फालतू वाद-विवाद में लगे रहते हैं। पत्रिका ने कहा था कि जेएनयू केवल रुपए डकारता है।