"इंदिरा गाँधी भी इन मामलों में अपने पिता जैसी थीं। जैसे ही कोई इंदिरा गाँधी से असहमत होता या उनके सामने तर्क रखने का प्रयास करता वह मेज पर रखे लिफ़ाफ़े और कागज़ उठाने लगतीं। जिससे ऐसा लगे कि उनके पास करने के लिए और भी ज़रूरी काम हैं।"
एक आत्महीन देश ही किसी ‘उन्नत’ देश को धन्यभाव से देखता और पिछलग्गू बन जाता है। नेहरू ने भारत को उसकी मूल संस्कृति से काटकर असल में ऐसा ही देश बना दिया जो अपनी हर गति, हर उन्नति के लिए परमुखापेक्षी हो गया।
इस वर्ष भी 18 अगस्त की तारीख आई लेकिन इस बात पर शायद ही किसी का ध्यान गया हो कि PM मोदी ने नेताजी की इस तथाकथित पुण्यतिथि पर किसी भी प्रकार का कोई संदेश जारी नहीं किया।
चीन के साथ युद्ध की स्थिति 1960 से पहले ही पैदा हो चुकी थी। लाल किला एक्सरसाइज में यह दर्ज है। लेकिन लेफ्टिनेंट जनरल थोराट के आकलन को नेहरू ने गंभीरता से नहीं लिया।
आजाद भारत में भी राम के खिलाफ साजिशें बंद नहीं हुईं। इसके अगुवा खुद नेहरू थे। लंबे संघर्ष के बाद 5 अगस्त का वो दिन आ रहा है जब पीएम मोदी खुद मंदिर की शिला स्थापित करेंगे।