"अपने-आप को कमतर मत आँकिए। विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। ये तब तक चलता रहेगा, जब तक दोनों उल्टी न कर दें। इंशाअल्लाह, हमारे बहुत सारे लोग जो ज़मीन पर उतरे हुए हैं और इस कोशिश में लगे हुए हैं कि एनआरसी एवं एनपीआर लागू नहीं हो, वे सफल होंगे।"
दंगाई मोहम्मद शाहरुख जब बन्दूक से फायरिंग करते हुए आगे बढ़ रहा था, तब एक जाँबाज पुलिसकर्मी को उसकी बन्दूक के सामने आकर उसे रोकने का प्रयास करते हुए देखा गया। बावजूद इसके शाहरुख गोलियाँ बरसता रहा।
देश के लिए जान देने वाले, दंगाइयों के हाथों मारे जाने वाले और अपना पूरा जीवन जनता की सुरक्षा में खपा देने वाले जवान के लिए कोई नेता आवाज़ क्यों नहीं उठा रहा? हिंसा करने वालों का नाम क्यों नहीं ले रहा?
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि 42 वर्षीय हेड कॉन्स्टेबल की मौत गोली लगने से हुई न कि पथराव के कारण। रिपोर्ट में लिखा गया है, "रतन लाल के शरीर में एक गोली लगी थी।"
नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हिंसा के दौरान शाहरुख़ ने पुलिस पर फायरिंग की थी। उसने कुल 8 राउंड फायर किए थे। उस वक़्त उसने लाल रंग की टीशर्ट पहन रखी थी। पूछताछ के बाद उसके बारे में कई और खुलासे होने की उम्मीद है।
दंगाइयों ने जिस हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की जान ली वह मूलरूप से राजस्थान के रहने वाले थे। दो दिन पहले ही माँ से फोन पर बात की थी। उनसे एक वादा किया था। लेकिन, मॉं को क्या पता था यह बेटे से आखिरी बात है।
नार्थ-ईस्ट दिल्ली में हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं। मौजपुर और ब्रह्मपुरी इलाके में पत्थरबाजी की खबर है। कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया। दिल्ली पुलिस और आरएएफ के जवान इलाके में मार्च कर रहे हैं।
शाहरुख ने सोमवार को मौजपुर-जाफराबाद सड़क पर ताबड़तोड़ कई राउंड फायर किए थे। उसने करीब 8 राउंड फायर किए। इस दौरान एक पुलिसवाले ने उसे रोकने की काफी कोशिश की लेकिन वो नहीं रूका और फायर करते रहा।
ओवैसी, शरजील इमाम, हुसैन हैदरी, इकबाल, जिन्ना, लादेन की फेहरिश्त में आप नाम जोड़ते जाइए उन सबका भी जो शायद आपके आसपास बैठा हो, जो आपके साथ काम करता हो, जिनका पेशा कुछ भी क्यों न हो लेकिन वो लगे हों उम्मत के लिए ही।