राजपक्षे ने कहा कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों ने हमले को लेकर पहले ही आगाह कर दिया था लेकिन श्रीलंका सरकार हमले को रोक नहीं पाई। भारत ने आरोपितों के नाम, पता, कांटेक्ट और हमले का समय और जगह को लेकर भी पक्की जानकारियाँ दी थीं।
रुक-रुककर नारेबाजी का ये सिलसिला आधी रात तक चलता रहा। यहाँ कुछ एएमयू की छात्राओं ने भी तकरीर के जरिए महिलाओं को सीएए वापस होने तक डटे रहने और आमजन से धरने को सहयोग करने की अपील की।
बकौल रोहित उसके कैब में बैठने के बाद से यह यात्री फोन पर भड़काऊ बातें कर रहा था। शाहीन बाग़ के बारे में बातें कर रहा था। कह रहा था- "इस देश में आग लगने वाली है।"
भला हो मोदी, LG, हाशमी दवाखाना और हर उस आदमी का जिन्होंने अरविन्द केजरीवाल को कभी कुछ करने ही नहीं दिया, वरना शाहीन बाग़ वालों को लंदन में बिरियानी के लिए लंगर लगाने और धरना प्रदर्शन करने की इजाजत ही कैसे मिल पाती, क्योंकि लंदन में तो हर काम के लिए कागज दिखाने पड़ते हैं और शाहीन बाग़ वालों के कागज़ तो कब की बकरी खा गई थी।
जेन सदावर्ते ने 2018 में 10 साल की उम्र में 17 लोगों की भीषण आग से जान बचाई थी, जिसके बाद उसे बहादुरी का अवॉर्ड दिया गया था। मुंबई के क्रिस्टल टॉवर में लगी आग के दौरान उसने ये कारनामा किया था। उसकी चिट्ठी पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान।
कपिल गुर्जर ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि उसको परिवार में होने जा रही एक शादी की तैयारी के लिए अक्सर लाजपत नगर जाना पड़ता है और इस कारण वह रोज-रोज के ट्रैफिक जाम से ऊब गया था। अब उसके भाई व पिता से पूछताछ हुई है।
मेडिकल की पढ़ाई कर रहे इस जोड़े जुनैद और समर के बीच प्रदर्शन के दौरान बातचीत शुरू हुई और अब ये प्यार में बदल गई। विरोध प्रदर्शन के दौरान ही उन्होंने इस बात की जानकारी अपने परिवार को दी। वैलेंटाइन वीक में ये दोनों...
अपनी वीडियो में गुंजा उक्त सभी बातों का उल्लेख करके इसे शाहीन बाग का सच बताती हैं। वे कहती हैं कि जो शाहीन बाग संविधान की कसम लेता है, भारत के संविधान को सर्वोच्च बताता है, वही शाहीन बाग खुलकर कहता है कि उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं है।
गाँधी की हत्या की पेंटिंग अपने बजट दस्तावेज पर छापने के कारण केरल सरकार विवादों के केंद्र में है। कॉन्ग्रेस और IUML भी इस मामले में वामपंथी सरकार को आड़े हाथों ले रही है।
उसने कहा कि सरकार ने एनआरसी न लाने की बात कही है, इसे लोगों को अपनी जीत समझना चाहिए। दारुल उलूम देवबंद के ठंडे पड़े तेवर को शाहीन बाग़ प्रदर्शन पर लगे कई आरोपों से जोड़ कर देखा जा रहा है। क्या विदेशी फंडिंग की पोल खुलने से दारुल उलूम डर गया है?