भारत में यह पहला मौका है जब इस कोर्स के तहत देश में सनातन परंपरा, ज्ञान मीमांसा सहित तत्व विज्ञान लेकर सैन्य विज्ञान जैसे प्राचीन हिंदू शास्त्रों को एकेडमिक स्वरूप प्रदान किया गया है।
वैदिक इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग स्टडीज नामक कोर्स की बात करें तो ये दुनिया में पहली बार होगा जब टेक्नोक्रेट वेदों में बताए गए प्रौद्योगिकी पर अध्यापन और शोध कार्य करेंगे।
BHU के कुलपति राकेश भटनागर JNU के पूर्व प्रोफ़ेसर हैं। छात्रों ने आरोप लगाया है कि वीसी हिन्दी भाषी छात्रों के साथ भेदभाव कर रहे हैं। यहाँ तक कि भर्ती प्रक्रिया में वह अपने JNU के छात्रों को वरीयता दे रहे हैं। उन पर BHU का कुलपति रहते हुए अधिकांश नियुक्तियों में JNU, वामपंथ और अँग्रेजी को वरीयता देने जैसे कई गंभीर आरोप छात्रों ने पहले भी लगाए हैं।
‘भूत विद्या’ विशुद्ध विज्ञान है। यह आष्टांग आयुर्वेद से जुड़ा है। भूत विद्या की शिक्षा लेने वाले मनोदैहिक विकार का उपचार करने में समर्थ होंगे। इस तरह के विकार मन में पैदा होकर शरीर को कष्ट देते हैं।
जिस पैम्पलेट में प्रोफेसरों के हस्ताक्षर के साथ दावा किया गया था कि 51 प्रोफेसर CAA के विरोध में हैं, फ़र्ज़ी है। उस पैम्पलेट में कहा गया था कि ये क़ानून स्वीकार्य नहीं है और ये बँटवारे की भावना फैला रहा है। अब कई प्रोफेसरों ने ऐसी किसी बात का समर्थन करने से इनकार किया है।
"जब जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाए गए और उसके बाद देश के अन्य शिक्षण संस्थानों को अस्थिर और देशद्रोह के विष से व्याप्त करने की कोशिश की गई तब BHU के छात्रों ने तय किया कि एक ऐसा छात्र समूह बनाया जाए जो कि शिक्षण संस्थानो में जेहादी, नक्सली और देशद्रोही प्रवृत्ति का विरोध हर स्तर पर कर सके।"
BHU में जॉइंट एक्शन कमिटी के बैनर तले कुछ वामपंथी संगठन के लोगों ने CAA के विरोध में जुलुस निकाला। लेकिन ठीक उसी समय बहुत से BHU के छात्र ऐसे भी थे, जो देश के इस कानून के साथ थे। ऐसे समर्थक छात्रों ने एक बड़ी सभा की लेकिन दूसरों को गोदी मीडिया कहने वाली मीडिया गिरोह ने यह खबर दबा दी।
कुछ लोगों ने महात्मा गाँधी का नाम भी सुझाया तो छात्रों ने यह कहकर इसे ख़ारिज किया कि वाराणसी में पहले से ही महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ है। उन्होंने कहा कि सावरकर का नाम भी चल सकता है क्योंकि वो भी महामना के सहयोगी रहे हैं।
आधिकारिक रूप से BHU प्रशासन द्वारा SVDV से डॉ. फिरोज खान के इस्तीफे की पुष्टि करते ही छात्रों ने इसे धर्म, सत्य और मालवीय मूल्यों की जीत बताया है। अब उसी BHU के कला संकाय के संस्कृत विभाग में डॉ. फिरोज खान पढ़ाएँगे जिसका यही छात्र तहे-दिल से स्वागत करेंगे।