हिन्दू कहीं भी हो, कट्टर नहीं है। वो सामाजिक अपराध कर सकता है, धार्मिक आतंकवादी नहीं बनता। लेकिन, बांग्लादेशी यहाँ दीमक की तरह फैल रहे हैं, और समाज को खोखला कर रहे हैं। इन्हें बाहर फेंकना समय की माँग है, इसलिए इन्हें नागरिकता देने का तो सवाल ही नहीं उठता।
विज्ञान कहता है कि पीरियड का शादी की उम्र से कोई रिश्ता नहीं होता। कम उम्र में शादी का लड़कियों के जीवन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। बाल विवाह रोकने के लिए कानून भी है। फिर भी मुस्लिम लॉ का हवाला देकर अदालत के फैसले पर सवाल। आखिर इस दकियानूसी सोच और कठमुल्लों के दवाब का क्या है इलाज?
सांप्रदायिकता की लकीर खींचने के लिए अंग्रेज मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एप्लिकेशन एक्ट लेकर आए। आजादी के बाद कॉन्ग्रेस की तुष्टिकरण नीति की वजह से बाल विवाह के कानून बदले, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को छुआ भी नहीं गया।
जब समुदाय विशेष का व्यक्ति विशेष रूप से हलाल मांस की माँग करता है, तो ऐसे में वह साफ़ तौर पर ऐसी सेवा की माँग कर रहा होता है, जो केवल उसके ही मजहब द्वारा ही दी जा सकती है। बेहद साफ़ है कि एक मुस्लिम अपनी धार्मिक पहचान के कारण एक ग़ैर-मुस्लिम से सेवा लेने से इनकार करता है।
स्क्रीनशॉट में जोमैटो का कस्टमर केयर ग्राहक से बार-बार माफी मॉंगता नजर आ रहा है। इस स्क्रीनशॉट की सत्यता की पुष्टि के लिए हमने जोमैटो के कार्यालय से कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
जबलपुर के एसपी ने बताया कि पंडित अमित शुक्ला को नोटिस भेजा जाएगा। साथ ही, उससे बॉन्ड भी साइन कराया जाएगा। इसके अलावा पुलिस अगले 6 महीने तक उसकी गतिविधियों पर नजर रखेगी। अगर वह ऐसी हरकत दोहराता है तो उसे हिरासत में भी लिया जाएगा।
Zomato के तथाकथित मूल्य कितने खोखले हैं, इसकी नज़ीर यह है कि जब एक 'शांतिप्रिय' ने गैर-हलाल खाने के लिए शिकायत की, तो Zomato उसके चरणों में गिर गया। उस समय उसके 'मूल्य' हवा हो गए।
हर कुत्ते को भौंकने के लिए एक भागती हुई कार चाहिए। आरएसएस वही भागती हुई, चमचमाती कार है जिसे देख कर ये भौंकते हैं क्योंकि इनका एक भी संगठन इस तरह का नहीं बन पाया जो कि अपनी राष्ट्रवादी विचारधारा को सत्ता तक पहुँचा दे।
इस्लामिक संगठन ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) आतंकवाद विरोधी अभियानों के नाम पर समुदाय विशेष के घरों में छापेमारी करके उनकी छवि को धूमिल कर रही है।
शिवभक्त काँवड़िया जब इन इलाकों से गुजरता है तो पत्थरबाजी और मार-पीट की खबरें कैसे आती हैं? क्या इसके उलट आपने कहीं सुना है कि ईद की नमाज पढ़ते, या ईद तो छोड़िए हर शुक्रवार सड़क घेर कर देश के कई इलाके में नमाज पढ़ते शांतिप्रिय पर किसी ने आवाज भी उठाई हो?