सुप्रीम कोर्ट ने राफ़ेल विमान सौदे को लेकर उछल-कूद मचा रहे विपक्ष और स्वघोषित डिफेंस-एक्सपर्ट लोगों को करारा झटका दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने राफेल मामले में दायर की गईं सभी पुनर्विचार याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है।
स्पेशल वीवीआईपी सिक्योरिटी यूनिट के कमांडोज़ की एक टुकड़ी राहुल गाँधी के तुग़लक़ लेन स्थित आवास पर तैनात है। प्रियंका गाँधी के लोधी एस्टेट घर की सुरक्षा-व्यवस्था भी दूसरी टीम ने सॅंभाल ली है।
केंद्र सरकार ने खतरे का आकलन करने के बाद पाया कि गाँधी परिवार को किसी तरह का सीधा खतरा नहीं है। बता दें कि राजीव गाँधी की 1991 में हत्या के बाद फैसला किया गया था कि पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी एसपीजी सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
दिल्ली में 1 मई 2014 को ग़ैर-सब्सिडी वाले LPG की क़ीमत ₹928.50 थी और उसी साल जनवरी में इसकी क़ीमत ₹1241.00 थी। मौजूदा कीमत (₹681.50) से तुलना करें तो पता चलता है कि 2014 से यह ₹247.00 सस्ती है न कि ₹302.50 महॅंगी, जैसा सुरजेवाला ने दावा किया है।
राहुल के विदेश दौरे को आध्यात्म से जोड़ सुरजेवाला ने सोशल मीडिया में खुद के साथ अपने नेता की भी भद पिटवा ली। किसी ने पूछा आध्यात्म के लिए बैंकॉक कौन जाता है? एक ने तो उन्हें राहुल की आया भी बता दिया।
कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गॉंधी की इस महीने यह दूसरी विदेश यात्रा है। महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले वे बैंकॉक गए थे। इसको लेकर उनकी खासी आलोचना हुई थी।
पिछले 10-15 सालों में जनता ने इस बात को बखूबी समझा है कि कॉन्ग्रेस पार्टी में सत्ता-सुख की लालसा रखने वाला केन्द्रीय नेतृत्व यानी गाँधी परिवार पर गाहे-बेगाहे भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं। आरोप लगने से लेकर इसकी सच्चाई आने तक जनता एक मतदाता के रूप में अपना काम कर चुकी होती है। क्यों, क्योंकि खून-पसीना एक कर टैक्स भरने वाली जनता और करे तो क्या करे?
महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावी नतीजों में कुछ भी अप्रत्याशित नहीं है। गॉंधी परिवार प्रचार से दूर रहा। राहुल कम बोले। इसका असर दिखना लाजिमी था। सो, भाजपा की सीटें दोनों जगह घट गईं।
कहते हैं कि आदमी को आगे से हॉंकते हैं और बैल को पीछे से। पार्टी तो जीते-जागते, विचारों से लैस लोगों का ही संगठन होता है। सो, कायदे से उसका भी नेतृत्व आगे से होना चाहिए। लेकिन, आज कॉन्ग्रेस को पीछे से हॉंकने को भी कोई तैयार नहीं है।
अर्थशास्त्री बनर्जी ने कॉन्ग्रेस को झटका देते हुए कहा है कि वो नहीं मानते हैं कि 'न्याय योजना' एक अच्छी तरह तैयार की गई योजना थी। साथ ही उन्होंने इस योजना की रूपरेखा तैयार करने के लिए ख़ुद को ज़िम्मेदार बताने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इसे लागू करने के लिए इनकम टैक्स बढ़ाना होता।