एमपी की बीजेपी सरकार ने पंचमढ़ी में कैबिनेट की बैठक की। पंचमढ़ी में बैठक करने का मकसद नर्मदांचल के शिवाजी कहलाने वाले राजा भभूत सिंह को सम्मानित करना था
सेल्युलर जेल में हिंदू क्रांतिकारी बहुसंख्यक थे। उनको नियंत्रित करने और यातनाएँ देने के मकसद से जेलर बारी ने मुसलमान अपराधी कैदियों को वार्डर, पहरेदार और हवलदार वगैरह नियुक्त कर दिया था।
अनंत लक्ष्मण कन्हेरे, कृष्णाजी गोपाल कर्वे और विनायक नारायण देशपांडे को आज ही की तारीख यानी 19 अप्रैल 1910 को फाँसी पर लटका दिया गया था। इन तीनों ही क्रांतिकारियों की उम्र उस समय 18 से 20 वर्ष के बीच थी।
1927 में मुस्लिमों ने एक हिन्दू शादी में बैंड बजाने पर बवाल कर दिया था। विद्यार्थी ने कुछ नेताओं के साथ मिल कर एक मस्जिद के सामने संगीत बजाकर इस मानसिकता का विरोध किया।
कानपुर में भगत सिंह को गणेश शंकर विद्यार्थी जैसा गुरु मिल चुका था, तो चंद्रशेखर आज़ाद और बटुकेश्वर दत्त जैसा साथी भी मिला था। मनीष श्रीवास्तव ने 'क्रांतिदूत' श्रृंखला की 'घर वापसी' में बताई है सारी कहानी।