वैष्णव समाज में रामानुज की परंपरा में ही संत रामानंदाचार्य हुए, जिन्होंने विशिष्टाद्वैत सिद्धांत को आगे बढ़ाया। अहं का त्याग और समर्पण - रामानंदी भक्ति धारा इन्हीं पर आधारित है। रामलला एक बालक हैं, इसीलिए संरक्षक बन कर पुजारी पूजा करेंगे।
HT वाली पत्रकार से उन्होंने कहा, "कोई बात नहीं बहन, जिस दिन तुम 'लव जिहाद' का शिकार होगी निकिता तोमर की तरह तो तुम्हारे साथ भी बिट्टू बजरंगी खड़ा मिलेगा।"
छात्र ने कहा, "जय भीम से बड़ा कोई सम्मान नहीं है, जो भीम का नहीं है वो इंसान नहीं है। यूँ तो पूजते हैं लोग पत्थरों को, मगर मेरे बाबा साहेब से बड़ा कोई भगवान नहीं है। न राम ने कुछ किया है न श्री कृष्ण ने कुछ किया है।"