चिंता का विषय यह है कि इन लोगों ने उन छात्रों को भी शिक्षित किया जो भविष्य में सैकड़ों लोगों को शिक्षित करेंगे। यह हमारी शिक्षा की स्थिति की एक भयानक तस्वीर को उजागर करता है। इससे यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि वर्तमान सरकार को प्राथमिकता के आधार पर छात्रों को पढ़ाए जाने वाले इतिहास के पाठ्यक्रम में संशोधन की आवश्यकता क्यों है?
VHP के नेताओं ने भी संतों द्वारा सुझाई गई दो तारीखों पर अपनी सहमति दी है और कहा कि उनके द्वारा सुझाई गईं तारीख़ों से बेहतर और कोई तारीख़ नहीं हो सकती। कुल मिलाकर अब सरकार पर भी दबाव रहेगा कि वो जल्द ही ट्रस्ट बनाए और इसमें संतों के प्रमुख वर्गों को शामिल करें।
पटकथा लेखक सलीम ख़ान के अलावा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति लेफ़्टिनेंट जनरल (रिटायर) जमीरउद्दीन शाह ने अयोध्या फ़ैसले पर आधारित टीवी पर एक चर्चा के कार्यक्रम में कहा था कि मुस्लिमों को दी जाने वाली ज़मीन पर स्कूल या अस्पताल का निर्माण क्यों नहीं कर लेना चाहिए? अयोध्या में पहले से ही पर्याप्त मस्जिदें हैं।
ओवैसी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मोहम्मद आमिर ने कहा कि मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को जो जमीन दी जा रही है, वो खैरात नहीं, बल्कि मुआवजा है।
जस्टिस गांगुली का कहना है कि अल्पसंख्यकों ने अरसे तक वहाँ मस्जिद देखी है, जिसे तोड़ डाला गया। साथ ही संविधान के अस्तित्व में आने से पहले वहॉं मस्जिद थी। इसलिए उन्हें इस फ़ैसले को समझने में मुश्किल आ रही है।
बैठक में आशंका जताई कि कुछ राष्ट्रविरोधी तत्व माहौल खराब करने की साजिश रच सकते हैं। ऐसी ताकतों को रोकने के लिए धर्मगुरुओं से सहयोग की डोभाल ने अपील की।
बाबरी मस्जिद का टूटना भले ही भारतीय कानून की दृष्टि में एक आपराधिक घटना है, लेकिन हिन्दुओं के इतिहास के हिसाब से यह उस आस्था के साथ न्याय है जिसके मंदिर की दीवार पर मस्जिद खड़ी की गई थी।
इस विशाल मंदिर को विशिष्ट बनाने के लिए स्टील का कोई उपयोग नहीं किया जाएगा। रामलला की मूर्ति भूतल पर ही रखी जाएगी। छत पर एक "शिखर" होगा, जो विशाल राम मंदिर की भव्यता को प्रदर्शित करेगा।
"हमें मस्जिद की ज़रूरत नहीं, नमाज तो हम कहीं भी पढ़ लेंगे..ट्रेन में, प्लेन में ज़मीन पर, कहीं भी पढ़ लेंगे। लेकिन हमें बेहतर स्कूल की ज़रूरत है। तालीम अच्छी मिलेगी 22 करोड़ मुस्लिमों को, तो इस देश की बहुत सी कमियाँ ख़त्म हो जाएँगी।"
संजुक्ता ने लिखा है कि आज भारतीय मुस्लिम राजनीतिक तौर पर अनाथ हो गए हैं। एक भी ऐसा नेता नहीं है, जिसने अयोध्या फ़ैसले पर अल्पसंख्यकों के अधिकार की बात की हो।