78,000 ईसापूर्व से लेकर 18,000 ईसापूर्व और 7000 ईसापूर्व से लेकर 2500 ईसापूर्व की समयावधि में सरस्वती नदी निरंतर बिना किसी रुकावट के बहा करती थी। इसके साथ ही ऋग्वेद की उन कई ऋचाओं पर भी मुहर लग गई है, जिनमें सरस्वती नदी का जिक्र है।
पड़ोसी राज्य ओरछा व दतिया के हमलों को नाकाम करने वाली रानी जिसे अंग्रेजों ने घेर लिया, फिर भी उसने घुटने नहीं टेके। 29 साल की उम्र में वीरगति को प्राप्त करने वाली उस मर्दानी की वीरगाथा सदियों तक यूॅं ही गूॅंजती रहेगी।
पुलवामा और उरी के हमले अगर इंदिरा सरकार के समय में हुए होते, तो भी पाकिस्तान को कमोबेश वैसा ही जवाब मिलता, जैसे मोदी ने दिया। लेकिन वही 26/11 के बाद, बनारस, दिल्ली से लेकर मुंबई, हैदराबाद और दंतेवाड़ा अनेकों बम धमाकों के बाद भी यूपीए सरकार ने लचर रुख अख्तियार किया।
जेएनयू छात्रों की हड़ताल में जर्मन कोर्स की एक छात्रा शामिल नहीं होना चाहती थी, इसलिए वह क्लास करने के लिए जर्मन फैकल्टी की ओर बढ़ी। उसका नाम था मेनका गाँधी- संजय गाँधी की पत्नी और इंदिरा गाँधी की बहू।
16 वर्ष के बच्चे ने मराठा साम्राज्य की कमान सँभाली। जलवा ऐसा कि दिल्ली के सिंहासन पर कौन बैठेगा, ये भी उसके इशारे पर तय होता था। जानिए, कौन था मैसूर के हैदर अली और हैदराबाद के निज़ाम को धूल चटाने वाला महायोद्धा?
राजस्थान में (जहाँ कॉन्ग्रेस का शासन है) इतिहास की पाठ्य पुस्तकों से उनके नाम से 'वीर' हटा दिया गया और अब इतिहासकारों की स्वायत्त संस्था ICHR को राजस्थान यूनिवर्सिटी ने कह दिया है कि यूनिवर्सिटी कैम्पस में सावरकर छोड़ कर किसी भी विषय पर सम्मेलन हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने बहुप्रतीक्षित फ़ैसला सुनाया दिया है। अयोध्या की पूरी विवादित ज़मीन रामलला की है। मंदिर वहीं बनेगा। मस्जिद के लिए अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ ज़मीन दी जाएगी।
विवाद बढ़ता देख कर सोनी टीवी ने एक ट्वीट कर विवाद पर माफ़ी माँग ली है। साथ ही दावा किया है कि कल जिस एपिसोड की शूटिंग हुई है उसमें उन्होंने माफीनामे का एक 'स्क्रॉल' जोड़ दिया है।
देश के कई मुस्लिम आज भी कबायली प्रवृतियों का अनुसरण करते नजर आते हैं। अल्पसंख्यक इलाकों में अशिक्षा, भुखमरी, दरिद्रता और तमाम प्रकार की गरीबी आज भी उसी तरह से नजर आती है, जिस हाल में बहादुर शाह जफ़र छोड़कर गए थे।
राजनीतिक और सैन्य कारणों से मराठे पवित्र स्थलों को वापिस पाने का सपना पूरा नहीं कर पाए। लेकिन भरसक प्रयासों में कोई कोताही नहीं बरती। आज यह याद करना ज़रूरी है कि हमारे पूर्वजों ने धन, प्राण, शक्ति समेत कितनी कुर्बानियाँ दी।